मकर सक्रांति कब और कैसे मनाए ?

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सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की खुशी में मकर सक्रांति का त्यौहार मनाया जाता है। हम मकर संक्रांति क्यों मनाते हैं ? आज हम इस विषय पर चर्चा करेंगे। मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो भारत के कई शहरों में मनाया जाता है। यह त्यौहार भगवान सूर्य को समर्पित है। 



** मकर संक्रांति तिथि और शुभ मुहूर्त : -


मकर संक्रांति की तिथि हिंदू सूर्य संचालित कैलेंडर के अनुसार चुनी जाती है। यह त्यौहार तब मनाया जाता है जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति 10वें सूर्य आधारित महीने के पहले दिन मनाई जाती है।


इस साल, संक्रांति 14 जनवरी, 2025 को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति पुण्य काल सुबह 09:04 से शाम 06:21 तक है और मकर संक्रांति महा पुण्य काल सुबह 09:03 से सुबह 10:55 तक है।


** मकर संक्रांति का पर्व क्यों मनाया जाता है ?


संक्रांति नई शुरुआत और विश्वास का प्रतीक है। यह उत्सव प्रकृति को फसल के लिए धन्यवाद देने और आने वाले वर्ष में समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करके मनाया जाता है। इसलिए इसे फसल उत्सव भी कहा जाता है, विभिन्न जिलों में लोहड़ी, पोंगल, पतंग उड़ाने और गंगा सागर मेले सहित विशेष रीति-रिवाज मनाए जाते हैं। 


** मकर संक्रांति का पर्व कैसे मनाएं ?


इस दिन प्रातः काल उठ कर अपने घर की सफाई कर स्नान करें, याद रहे इस दिन हल्दी और पिली सरसों का लेप तैयार कर उसे सरसों तेल में मिला कर स्नान से पूर्व अपने पूरे शरीर और चेहरे पर लगाए फिर नहाने के पानी में काला तिल और गंगाजल मिला कर स्नान करें, ऐसा करने से आपको ग्रह दोष से शांति मिलती है और शनि देव को सरसों का तेल और काला तिल अति प्रिय है इसलिए जो शनि ग्रह दोष का निवारण चाहते है वो इस दिन इस उपाय को अवश्य करें। स्नान के बाद पूजा पाठ कर दान पुण्य करें इस दिन काले तिल, गुड़ का दान भी किया जाता है बाकी आप अपनी इच्छानुसार कर सकते है। 

 

** मकर संक्रांति की कथा। 


ऐसे तो हमारे पौराणिक कथाओं में सक्रांति का वर्णन विभिन्न प्रकार से बताया गया है, मगर एक कथा में ऐसा बतलाया गया है कि इस दिन ही भगवान शनि और भगवान सूर्य ने एक साथ मिलकर सामंजस्य और संतुलन का संदेश दिया था।क्योकि जब भगवान शनि और उनके पिता सूर्य में विवाद उतपन्न हुआ था जिसमे शनि ने क्रोध में आ कर अपने पिता सूर्य को श्राप दे दिया था तब दोनों में आपसी मनमुटाव बढ़ने लगे थे, मगर जब दोनों को अपनी भूल का एहसास हुआ तब दोनों ने एक दूसरे से क्षमा मांगी और एक साथ मिल कर सामंजस्य स्थापित किया और इस दिन दोनों ने मिल कर इस उत्सव को मनाया जिसे मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है। इस दिन विशेष कर कुछ लोग खिचड़ी बनाते है और तिल से बनी मिठाई का भी भोग चढ़ाते है तथा खुद भी ग्रहण करते है। 

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  1. You have provided very beautiful information about Makar Sankranti, thank you very much for such detailed information.👍

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