आपको नहीं पता मगर आपके द्वारा कहे गए एक-एक शब्द बहुत मायने रखते हैं चाहे अच्छे हो या बुरे।आज के इस बदलते युग में मानव अपना तहजीब और तमीज़ सब भुला चुके हैं कब,कहां किस वक़्त क्या बोलना चाहिए क्या नहीं बोलना चाहिए इसका उन्हें जरा भी समझ नहीं यही वजह हैं की आज लोगों में एक दूसरे के प्रति प्यार और सम्मान की भावना खत्म हो चुकी हैं। पल-पल मानव स्वयं को ही क्षति पहुँचा रहा अनजाने ही सही कई गलतियों को दोहरा रहा यही वजह हैं जो मानव अपनी समस्याओं को खुद ही बढ़ा रहा।
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जब आप किसी भी इंसान को बिना जाने बिना सोचे यदि कुछ अशब्द कहना शुरू करते हैं यदि वो इंसान बेकसूर हैं तो आपके द्वारा कहे गए शब्दों के बाण आपके ही क्षति का मुख्य कारण बनेगा क्योकि जो शब्दों की ताक़त हैं वो मनुष्य को ही बिना किसी तीर,अस्त्र और तलवार के बगैर घायल करने की ताक़त रखता हैं। क्योकि जब आप किसी अपने खास इंसान को यदि क्रोधवश कुछ अशब्द कहते हैं तो आपके द्वारा कही गई बाते सीधे उसके दिल पे असर करती हैं और आपके संबंधो में दरार उत्पन्न करने की यही मुख्य वजह बनती हैं। जरा स्वयं विचार करे जब आपसे कोई ऊँची आवाज़ में बात करता हैं तो आपको कैसा महसूस होता हैं ?
1. आपके शब्द आपके जीवन में महत्व रखते हैं। (Your words matter in your life.)
यदि हर मनुष्य अपने द्वारा किए गए भूल और अपराध या अपने द्वारा बोले गए कठोर शब्दों को स्वयं पर रख कर सोचे की जिस लहज़े में वो दूसरों से बात कर रहा हैं जो कठोर दुर्वचन वो दुसरो को कह रहा हैं यही अगर कोई उसे कहता तो उसे कैसा महसूस होता ? तो आज कोई भी मनुष्य किसी का शत्रु ना होता किसी भी मनुष्य का रिश्ता आज टूट कर ना बिखरा होता। आज इस कलयुग में क्यों पति-पत्नी एक दूसरे के जान के दुश्मन बन बैठे हैं? क्यों बेटा अपने पिता के जान का दुश्मन बन बैठा हैं?
2. जीवन में मानवता की भूमिका। (The role of humanity in life.)
क्यों माता-पिता की ममता भी शर्मशार हो रही हैं? क्यों भाईचारे की भावना खत्म होने लगा हैं क्यों भाई ही भाई का हत्यारा बनने पर मजबूर हो गया हैं ? क्यों आपका ही मित्र आपका सबसे बड़ा शत्रु बन बैठा हैं ? सबकी वजह हैं मानव। मैंने ऐसा इसलिए कहा क्योकि मानव में मानवता का कोई वास नहीं रहा, अपने तहजीब और तमीज़ को भुला कर आज देश भर में मानव शत्रुता को पाल बैठे हैं एक दूसरे का अपमान कर अपनी ही जिंदगी को खतरे में डाल कर स्वयं ही अपने विनाश का आगाज़ उपन्न कर रहे हैं।
3. निर्मल जल की धारा से आप क्या सीखते है ? (What do you learn from the stream of clear water?)
प्यार और सम्मान में इतनी शक्ति हैं जो हर कठोर से कठोर इंसान को झुकने पर मजबूर कर देता हैं यदि आप अपने जीवन को सदैव सुखी समपन्न देखना चाहते हैं तो बुरी यादो को भुला कर नफरत को मिटा कर स्वार्थ और अहंकार को त्याग कर जल की धारा की तरह निर्मल और शीतल बने जो बिना भेदभाव किए सबकी प्यास को बुझाता हैं निर्जीव में भी प्राण भर देता हैं। यकीन माने फिर कोई भी रिश्ता कभी नफरत की भेट नहीं चढ़ेगा आपके जीवन में सदैव खुशियों का ही आगमन होगा।