क्या आप आत्मा के इन रहस्यों से वाकिफ है ? Are you aware of these secrets of the soul?
आज मैं आपको आत्मा के उन रहस्यों से वाकिफ कराने जा रही हूँ जिससे अब तक बहुत कम लोग वाकिफ है, क्योकि कुछ मनुष्य तो सांसारिक मोहमाया में इतने उलझ चुके है कि उन्हें तो खुद की जिंदगी में सुकून का एहसास नहीं फिर वो आत्मा के रहस्य को कैसे समझेंगे ?आत्मा के रहस्य को जानने से पूर्व आपको ये समझना होगा कि आपके जीवन का लक्ष्य क्या है ? क्या आपको अपने जीवन के लक्ष्य का पता है ?क्योकि जब तक आपको अपने जीवन का लक्ष्य मालूम नहीं चलेगा तब तक आप आत्मा की सत्यता तक नहीं पहुंच पाएंगे।
मैं आपसे ऐसा इसलिए कह रही हूँ क्योकि जिन आत्माओं की इच्छाएं अधूरी रह जाती है, जो अपने सही लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाती वो कभी मुक्ति नहीं पा सकती। इसलिए आप दुनिया की भीड़ में उसका हिस्सा बनने के बजाय भीड़ से अलग हो कर स्वयं की खोज में भीड़ से दूर निकल जाए। आपका मकसद हमेशा नेक होना चाहिए दूसरों के लिए भी और स्वयं के लिए भी, तभी आप अपने लक्ष्य तक पहुंच सकेंगे।
क्या आत्माओं का भी कोई वजूद होता है ?Do souls even exist?
तो मेरा जवाब है हाँ, आत्माओं का भी अपना वजूद होता है ये उस व्यक्ति की सोच और उसके कर्म पर निर्धारित होता है, जिसने जैसा कर्म किया उसे ठीक वैसा ही परिणाम देखने को मिलता है। कुछ लोग कहते है आत्मा पवित्र होती है उनमें कोई दोष नहीं बल्कि दोष मनुष्य का होता है, हाँ मैं इस बात से सहमत हूँ मगर आप सभी मानव इस बात से अनभिज्ञ है कि आत्मा ने जिस शरीर को धारण किया है वो शरीरधारी मनुष्य का आचरण,व्यक्तित्व,उसकी आदते और उसके कर्म पवित्र और नेक है या नहीं। यदि उसके कर्मो में दोष है तो उसकी आत्मा मृत्यु के बाद भी मुक्त नहीं होती जब तक वो अपने कर्मो का भुगतान और प्राश्चित नहीं करता। क्योंकि बुरे कर्मों के कारण आत्मा भी अपवित्र हो जाती है क्योकि वो उसी व्यक्ति के शरीर में थी जिसने आज तक पुण्यकर्म नहीं किया।
आत्मा का वजूद न होता तो मनुष्य का कोई अस्तित्व न होता क्योकि मृत्यु के बाद आत्मा को नहीं बल्कि आत्मा ने जिस शरीर को धारण किया उस शरीर को जलाया जाता है, आत्मा तो अजर अमर है।
आत्मा से परमात्मा तक का सफर -The journey from the soul to the divine.
सांसारिक मोह पाश में मानव इतने उलझ गए है कि अब उससे बाहर आने का समय नहीं रहा क्योकि इंसान मोहमाया में उलझ सकता है परमात्मा नहीं, इंसान भीड़ का हिस्सा बन सकता है मगर भगवान नहीं। जब तुम्हारे दिमाग में इतना शोर है फिर तुम तक परमात्मा की आवाज कैसे पहुंच सकती है ?
मनुष्य के बुरे कर्मो का ऋण उसकी आत्मा को भी चुकानी पड़ती है। बहुत तपने के बाद सोने में चमक आती है, उसी तरह मनुष्य को बहुत कुछ त्याग करना पड़ता है, जो बहुत कम लोग कर पाते है। जैसे अपनी इच्छाओं पर काबू पाना, बुराई के रास्ते से दूर रहना,ईर्ष्या, लालच,अहंकार पर विजय प्राप्त करना। मानवता को अपने अंदर बसा कर सबका भला करना।तभी आत्मा पवित्र और शुद्ध कहलाती है और मृत्युपरांत आत्मा परमात्मा के अंदर जा कर प्रविष्ट हो जाती है अर्थात मोक्ष प्राप्त कर लेती है। क्योकि एक अपवित्र और बुरी प्रवृति शरीर धारी आत्मा को ईश्वर कभी अपने निकट स्थान नहीं देते है।
अंतर आत्मा से परमात्मा का रिश्ता-God's relationship with inter-soul-
आपके अंतर आत्मा में ही परमात्मा बसे है मगर आपकी गलत मानसिकता, बुरी आदते, बुरे कर्म का ये परिणाम है कि आप उस परमात्मा के निकट रह कर भी उन तक नहीं पहुंच पाते परिणामस्वरूप तुम आजीवन दुख में घिरे रहते हो। मनुष्य अपनी अंतर आत्मा की आवाज को नहीं सुन पाता क्योकि प्रत्येक क्षण मनुष्य मोहमाया के आकर्षण में खोया रहता है, मनुष्य के दिमाग में हर पल एक शोर मचा रहता है, वो शोर बाहर का नहीं बल्कि मनुष्य के भीतर बसा है,आपकी इच्छाओं का पूरा ना होना,हर क्षण एक नई इच्छा का जन्म होता है, यदि वो पूर्ण नहीं होती तो मनुष्य का दिमाग अनेकों विचारों से घिर जाता जिस कारण मनुष्य अपनी इच्छाओं के बिछाए जाल में उलझ कर रह जाता है, यही कारण है आपकी आत्मा कभी परमात्मा के निकटम स्थान तक नहीं पहुंच पाती है। इसलिए अपनी इच्छाओं पर आज से ही अंकुश लगाओ ताकि तुम्हारा जीवन सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सके और तुम्हारी आत्मा का जुड़ाव उस परमपिता परमात्मा से हो सके।


