नवरात्रि- पाप और अधर्म के अंत का प्रतिक ? (Navratri – a Symbol of The End of Sin and Unrighteousness?)

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** कौन है देवी कात्यायनी ?(Who is Goddess Katyayani?)


नवरात्रि का त्यौहार देवी दुर्गा को इसलिए समर्पित हैं क्योकि जब पाप और अधर्म अपनी चरमसीमा पार कर चुका था ,जब अहंकार और अन्याय अपना आतंक का विस्तार कर लोगो को भयभीत कर रहा था जब स्त्रियों का अपमान और उनका शोषण किया जा रहा था,जब एक अहंकारी अधर्मी खुद को सर्वोच्च समझने कि भूल कर रहा था हर स्त्री को अबला समझ कर अपने आतंक से उन्हें सता रहा था तब उस पापी के अहंकार को मिटाने उसके पाप और अधर्म के बोझ से धरती को मुक्त करने,एक स्त्री ने अवतार धारण कर उस अधर्मी राक्षस का अंत किया और सम्पूर्ण जगत की रक्षा की वो स्त्री कोई और नहीं बल्कि महादेव की अर्धांगिनी पार्वती थी,आदिशक्ति  जिन्होंने कात्यायनी अवतार ले कर महृषि कात्यान की पुत्री के रूप में जन्म लिया और दुष्ट महिषासुर का अंत किया। संसार को पाप और अधर्म के साम्राज्य से मुक्त कराया।


** देवी पार्वती को दुर्गा के नाम से क्यों जाना जाता है ?(Why is Goddess Parvati known as Durga?)


देवी दुर्गा हर दुर्गति और बुराई का अंत करती हैं नवरात्रि में देवी के नव रूपों का आवाहन कर उनकी पूजा अर्चना व्रत अनुष्ठान किए जाते हैं। नवरात्रि विभिन्न संस्कृतियों का मिश्रण है और इसका एक सामान्य अर्थ है, यानी बुराई पर अच्छाई की जीत। चैत्र नवरात्रि में, राक्षस महिषासुर, जिसने सभी देवताओं को पराजित किया था, अंततः वो असुर देवी दुर्गा द्वारा मारा गया था।


** सनातन धर्म में नवरात्रि का महत्व।(Importance of Navratri in Sanatan Dharma.)


हिंदू संस्कृति में नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण और शुभ त्योहारों में से एक है जिसे बहुत खुशी, और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह 9 दिनों का त्यौहार है। भक्त इस त्योहार पर देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा करते हैं। उत्सव पहले दिन से शुरू होता है जब नवरात्रि स्थापना का अनुष्ठान किया जाता है। इस विशेष दिन पर, लोग एक कलश में जौ के बीज बोते हैं और उस कलश को एक पवित्र स्थान पर अलग रख दिया जाता है जहां नौ दिनों तक प्रार्थना की जाती है। ये बीज छोटे अंकुरों में विकसित होते हैं जिन्हें बाहर निकाला जाता है भक्तो को प्रदान किया जाता हैं।  


कलश स्थापना या घटस्थापना को सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान माना जाता है जो नवरात्रि  उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। कलश स्थापित कर देवी का आह्वान करने की रस्म निभाई जाती है।भक्त दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं और अखंड ज्योति भी जलाते हैं जो उत्सव के पूरे नौ दिनों तक जलाई जाती है। कलश स्थापित करके नवरात्रि स्थापना का अनुष्ठान करने का सबसे शुभ और महत्वपूर्ण समय प्रतिपदा के दौरान किया जाता है। यदि यह संभव न हो तो अभिजीत मुहूर्त में भी अनुष्ठान किया जा सकता है। हर त्यौहार अपने साथ एक खास सन्देश ले कर आता हैं।




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