क्या है नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे का कारण ?

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ये तो सब जानते है कि सावधानी हटी दुर्घटना घटी मगर इसे जान कर भी यदि कोई असावधानी बरतने की कोशिश करें तो कोई ना कोई घटना घटित होना लाजमी है। कुछ मृत्यु खुद चल कर आती है और कुछ मृत्यु के पास लोग खुद चल कर जाते है। यदि आप जानबूझ कर मृत्यु के मुख में जाने का प्रयास करेंगे तो इसमें भगवान या कोई इंसान क्या करेंगे ?


1. क्या है नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे का कारण ?


कल राजधानी दिल्ली में एक दुखद घटना घटी जिसको कोई भी घटित होने से रोक ना सका। अचानक भगदड़ मचने  कारण कई लोग उस भगदड़ की चपेट में आ गए और उसका शिकार हो गए, जिसमे कुछ मासूम बच्चे, कुछ बुजुर्ग और कुछ महिला भी शामिल है जिनकी जान उस भगदड़ में चली गई। ये बेहद दुखद और चिंताजनक घटना है जिसने सबको शोक में डूबा रखा है। 


2. क्या थी नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ का कारण ?


महाकुंभ मेले में शामिल होने वाले लोग जो बाहर से सफर तय कर आ रहे थे, अपना घर परिवार को छोड़ कर लोग महाकुंभ में स्नान और दर्शन की लालशा में अपना काम धाम छोड़ कर सफर पर निकले थे उन्हें खबर नहीं थी कि उनका ये सफर एक दुर्घटना में बदल जाएगा। कुछ लोग बहुत ही जल्दी में रहते है, चाहे भीड़ हो या कोई वाहन वो किसी की परवाह नहीं करते, देश में ज्यादातर लोगों की यही समस्या है कि वो ये सोचते है कि चाहे कुछ भी हो मुझे पहले निकलना है पहले पहुंचना है, भीड़ में भी एक दूसरे को धक्के मार कर आगे बढ़ने लगते है, ऐसा विचार एक इंसान का नहीं बल्कि कई लोगों का होता है क्योकि ज्यादातर लोग बहुत जल्दी में रहते है यही कारण है भगदड़ जैसी दुर्घटना की। जिसकी चपेट में ज्यादातर लोग आ जाते है और अपनी जान गवा देते है। 


आप पुलिस को दोषी ठहराते है, सरकार को इसका जिम्मेदार मानते है मगर क्या पुलिस और सरकार ने आपसे कहा कि तुम अपनी जान को जोखिम में डालो ? पुलिस तो जनता को भीड़ से अलग रहने को कहती है मगर लोग सुनते कहा है ? अपनी जिद्द और जल्दबाजी में आ कर लोग खुद हादसे का शिकार बन जाते है और बाद में इल्जाम पुलिस या सरकार पर लगा देते है। 


आखिर किस वहम में जी रहे है आप ? महाकुंभ और तीर्थ धाम से बड़ा पुण्य कर्म है परोपकार, माता पिता की सेवा, बुजुर्गो का सम्मान, इससे बड़ा ना कोई तीर्थ धाम है और ना ही कोई महाकुंभ स्नान। भगवान नहीं कहते कि तुम अपने प्राण को जोखिम में डाल कर तीर्थ धाम आओ। 


खुद भगवान गणेश ने इस संसार को एक बहुमूल्य सीख प्रदान किया है कि माता पिता से बड़ा संसार में कोई नहीं जब पृथ्वी के चारों ओर सभी देवता परिक्रमा करने निकले तब श्री गणेश ने अपने बुद्धि और ज्ञान का परिचय दिया और अपने माता पिता की परिक्रमा कर वो उस प्रतियोगिता में प्रथम आए और सभी देवताओं में सर्वप्रथम पूजित होने का दर्जा पाए।


सारे देवता क्यों पीछे रह गए क्योकि उन्हें जल्दबाजी थी प्रतियोगिता में जीतने की इसलिए वो अपने ज्ञान और बुद्धि का प्रयोग ना कर सके। 


कुछ लोग अपने माता पिता का दिल दुखा कर उनका तिरस्कार कर तीर्थ और पूजा पाठ करते है, उन्हें क्या पता कि माता पिता के चरणों में ही सारे तीर्थ धाम होते है।  यदि कोई व्यक्ति अपने मैले शरीर को साफ करने के बजाय अपने वस्त्र को साफ कर उसे धारण करता है तो वो साफ वस्त्र भी मैला होने लगता है क्योकि बाहर की शुद्धि से पूर्व हमें अपने अंतर्मन की शुद्धि करना बेहद जरूरी होता है। 


अब भी समय है आप इस दुर्घटना से कुछ नहीं सीखे तो ये आपके लिए बेहद चिंताजनक है क्योकि ईश्वर आपको यही कहना चाहते है कि ''मैं तुम्हारे पास हूँ दूर नहीं, मुझे इधर उधर ढूंढने का प्रयास मत करो अपने कर्म करो, माता पिता की सेवा करो, अच्छे कर्म करो, समय आने पर मैं खुद तुम्हारे समक्ष आ जाऊंगा। 



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