जैसा मन वैसा तन, इस कथन का सही अर्थ क्या है?

World Of Winner
1




(toc) #title=(Table Of Content)



 संसार बहुत बड़ा हैं और इस बड़े से संसार में अनेको प्रकार के प्राणी मौजूद हैं। आप जैसे वातावरण में रहते हैं आपके अंदर बिल्कुल वैसी प्रवृति का विकास होने लगता हैं।सभी मनुष्यो की सोच एक जैसी नहीं होती हैं। सभी मनुष्यो की विचारधाराए एक दूसरे से भिन्न होती हैं।अगर सबकी सोच एक जैसी हो जाए तो मेरा, तुम्हारा, अपना, पराया जैसे भेदभाव और कलह जैसी कोई समस्या ही उत्पन्न नहीं होगी।


इस संसार में हर कोई यही चाहता हैं की वो इस दुनिया का सबसे खूबसूरत और अमीर इंसान हो। ज्यादातर लोग यही सोचते हैं की खूबसूरत होने के लिए क्या चाहिए बस दौलत और पैसे फिर तो हर कोई उनके इशारो पर चलेगा। कुछ लोगो के पास अधिक धन और पैसा उपलब्ध नहीं होता तो भी उनके सुन्दर  विचार उन्हें  खूबसूरत बनाते हैं। आप खुद विचार कीजिए आप पैसो से क्या सब कुछ खरीद सकते हैं ? क्या आप पैसो से चैन की नींद और सच्चा प्यार खरीद सकते हैं ? क्या आप पैसो से सुख शांति खरीद सकते हैं ? बेशक नहीं खरीद सकते हैं। 


1. आपकी बुरी सोच का आपके जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?


क्योकि यह वो अनमोल और कीमती जीवन के रहस्यमयी सुख हैं जो कोई भी कीमती हीरे जवाहरात और पैसो से नहीं ख़रीदे जा सकते। जबतक आप अपने चंचल मन पर काबू नहीं पाते तबतक आप अपने जीवन के विशेष रहस्यमय गुणों से अवगत नहीं हो सकते। सर्वप्रथम आपको अपने मन को दर्पण की तरह बनाना सीखना होगा। किसी के भी प्रति इर्षा,नफरत और अहंकार जैसी अनुचित अवगुणो को अपने मन से सदा के लिए निकालना अत्यंत आवश्यक हैं। क्योकि प्रतिपल यदि आपके मन में बुरे विचार और बुराईया पलती रहेगी तो उसका पूरा असर आपके निजी जीवन और विशेष रूप से आपके शरीर और चेहरे पर पड़ेगा। 


2. देवता और असुर में क्यों भेद होते हैं क्या आप इस तथ्य को भली प्रकार जानते हैं ? 


मैं बताती हूँ देवता सभी मनुष्य,जीव जंतु से बिना किसी भेदभाव के बराबर स्नेह करते हैं उनकी नज़रो में कोई छोटा-बड़ा और अमीर-गरीब नहीं होता। इसलिए देवता को पूजनीय स्थान प्राप्त होते हैं जहाँ देवता निवास करते हैं इसलिए उस स्थान को सुन्दर सा स्वर्ग कहा जाता हैं। यही असुर सदा बुराई और अनीति अधर्म को अपनाते हैं और सभी जीव जंतु और मनुष्यो को ऋषि मुनियो को सताते हैं। सदा देवताओ से इर्षा करते हैं इस कारण वो भयावह और कुरूप प्रतीत होते हैं तथा उनका स्थान पाताल लोक में मौजूद होता हैं। इसलिए कोई उन्हें पूजित होने का कोई दर्जा नहीं देता।


 मैंने हमेशा से आप सभी से एक ही बात कहा हैं की आप अपने विचारो को जितना निखारने का प्रयास करेंगे आपके जीवन में वैसे ही सकारात्मक बदलाव आप पाएंगे। आपकी सोच और मन जितनी सुन्दर और निर्मल होगी आपके चेहरे और आपकी सुंदरता स्वतः आपके रूप को निखारती जाएगी।  


अपने चेहरे को दर्पण में निहारने से पूर्व बेहतर होगा अपने मन के दर्पण को निहारने का प्रयास करे। 


यदि आपका मन दूषित होगा और आप बुराई का चयन करेंगे तो वो दूषित मन आपके रूप को ना ही निखार सकती हैं और ना ही आपके जीवन को सुखमय और खुशहाल बना सकती हैं। इसलिए कहा जाता हैं जैसा मन वैसा तन। 


Post a Comment

1Comments


  1. You said it absolutely right, I agree with your statement.👍

    ReplyDelete
Post a Comment

#buttons=(Accepted !)

Our Website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!