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1. क्या थी सीरिया में संघर्ष की वजह ?
सीरिया में एक हिंसा के परिणामस्वरूप 1,000 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं। महिलाएँ और बच्चे, साथ ही अलावी अल्पसंख्यक समुदाय के 700 से ज़्यादा नागरिक मारे गए हैं।
अपदस्थ नेता बशर असद के प्रति वफादार बंदूकधारियों द्वारा सीरियाई सुरक्षा गश्ती दल पर घात लगाकर किया गया हमला संघर्ष में बदल गया, जिसके बारे में युद्ध निगरानीकर्ता का अनुमान है कि चार दिनों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए हैं।
बंदरगाह शहर लताकिया के पास गुरुवार को हुए हमले ने देश के 13 साल के गृहयुद्ध के घावों को फिर से हरा कर दिया और दिसंबर के बाद से सीरिया में सबसे भीषण हिंसा को जन्म दिया, जब इस्लामी समूह हयात तहरीर अल-शाम या एचटीएस के नेतृत्व में विद्रोहियों ने असद को उखाड़ फेंका था।बड़े पैमाने पर अलावी तटीय क्षेत्र में असद के वफादारों के खिलाफ जवाबी हमले ने कई शहरों और कस्बों में तबाही मचा दी। अधिकार समूहों ने अल्पसंख्यक इस्लामी संप्रदाय को निशाना बनाकर सुन्नी आतंकवादियों द्वारा बदले की भावना से की गई दर्जनों हत्याओं की सूचना दी, भले ही वे विद्रोह में शामिल थे या नहीं।
ये सब सुनते हुए और बताते हुए बहुत दुःख और पीड़ा हो रही कि वहां महिलाओं को नग्न अवस्था में परेड कराया गया, ऐसी शर्मनाक हरकत यही बताती है कि सीरिया अपने अस्तित्व को स्वयं मिटाने का आगाज कर चुका है जहां ना बच्चे सुरक्षित है और ना ही महिलाएं। जब मनुष्य अपनी सारी हदे पार कर देता है तो उसका अंजाम बड़ा ही भयावह होता है। मनुष्य हो कर भी तुम एक पशु तुल्य व्यवहार करते हो इससे साफ जाहिर होता है कि तुमने अपने अस्तित्व को स्वयं ही चुनौती दिया है।
2. किसी हिंसा और युद्ध से किसी का भला नहीं होता।
युद्ध का आगाज करते हुए अक्सर हिंसक मनुष्य भूल जाते है कि जिस युद्ध की वो शुरुआत कर रहे है वो युद्ध ना सिर्फ लोगों को क्षति या कष्ट पहुंचाएगा बल्कि उनके द्वारा किया गया युद्ध उनको और उनके अपनों को भी नुकसान और बर्बाद कर देगा। अपनी नफरत को बढ़ा कर किसी बड़े हिंसा को अंजाम देना सबके लिए घातक सिद्ध होता है क्योकि ये वही भूमि है जहां तुम्हारे शत्रु भी रहते है और तुम भी रहते हो तुम्हारे युद्ध का परिणाम ना सिर्फ उन लोगों के लिए घातक साबित होगा जिससे तुम्हे नफरत है बल्कि तुम्हारा भी खून बहेगा।
3. हिंसा का परिणाम।
जब इंसान बटने लगते है स्वयं को एक दूसरे से विभाजित करने लगते है तो वहीं से एक अंत का आगाज होने लगता है क्योकि नफरत और हिंसा मनुष्य को एक हिंसक पशु बनने पर मजबूर कर देती है जिससे उसे ये खबर नहीं होती कि वो किस घटना को अंजाम देने की भूल कर रहा है बाद में इसका परिणाम सबको भोगना पड़ सकता है। मैं समस्त संसार में बसे सभी प्राणियों को एक बात अवश्य कहना चाहूंगी चाहे आप किसी भी देश या समुदाय के हो मगर मेरी बात हमेशा याद रखना जैसे एक तेज आंधी और हवा अपने साथ सब कुछ बिखेर कर अपने बहाव में उड़ा ले जाती है ठीक वैसे नफरत और हिंसा मानव के अस्तित्व को मिटा जाती है।
भले ही देश अलग है नाम अलग है मगर आप सभी एक ही ब्रह्माण्ड के अस्तित्व से जुड़े है आप भले ही खुद को सबसे अलग समझने की भूल करें मगर सच्चाई को आप नहीं बदल सकते आपका बस अपने कर्मो पर अधिकार है ना कि ईश्वर के नियम और हस्तछेप पर किसी का अधिकार है, यदि आप अपने उचित कर्मो से मुख मोड़ने का प्रयास करेंगे तो अंत में स्वयं प्रकृति को अपना हस्तछेप करना होगा, जैसा कि आप सब जानते है प्रकृति का हस्तछेप कैसा होता है।
ReplyDeleteI am deeply saddened to see the violence happening in Syria where children, old people and 👍women are not safe