क्रोध का दुष्प्रभाव।

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 क्रोध से आज तक ना किसी का भला हुआ है, ना होगा,क्योकि क्रोध आपका मित्र नहीं आपका सबसे बड़ा शत्रु कहलाता है। 




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1.  क्रोध का दुष्प्रभाव। 


आज इस दुनिया में अधिकांश रिश्ते जो टूट कर बिखर रहे है, उसमे कहीं ना कहीं आपका क्रोध भी जिम्मेदार है, क्योकि क्रोध में व्यक्ति को नहीं पता होता कि वो अपने क्रोध के आवेश में जो कह रहा है उसका परिणाम क्या होगा ? क्रोध व्यक्ति के दिमाग को दीमक की भांति खोखला बना देता है, उसे पता नहीं होता कौन सी बात सही है और कौन सी गलत।अक्सर क्रोध में आ कर कई लोग गलत फैसले ले लेते है, जिसका अनुमान उन्हें उस वक्त नहीं होता बाद में होता है कि अपने क्रोध में आ कर उन्होंने कितनी बड़ी भूल कर दी।क्रोध के वश में आ कर व्यक्ति स्वयं ही अपनी बर्बादी के द्वार खोल देता है, क्योकि उसे किससे कैसे बात करनी चाहिए इसका अनुमान नहीं होता इसी कारण उसके कुछ रिश्ते टूट कर बिखर जाते है। 


प्रत्येक चीज की एक सीमा होती है,यदि वो सीमा पार कर जाए तो भयंकर परिणाम देती है, जैसे समुंद्र का पानी यदि अपनी सीमा पार कर जाए तो वो भी भयंकर विनाश का कारण बन सकता है,उसके निकट रहने वाले कई घर तबाह हो सकते है,किसी की जान भी जा सकती है, ठीक वैसे ही तुम्हारा क्रोध है जो यदि सीमा से बाहर गया तो ना जाने वो तुमसे क्या करा दे ?


2. क्रोध कहां पर उचित है और कहां पर अनुचित ?


क्रोध तो हमे उस पर आता है जो अपराध करते है,जुर्म करते है, अपने माता-पिता बड़े बुजुर्गो का अपमान करते है, अपने स्वार्थ और लोभ के लिए दूसरो को कष्ट पहुंचाते है, एक अधर्मी और एक पापी पर क्रोध आना लाजमी है। मगर जो बेगुनाह है, जो निश्कपट है उन पर क्रोध दिखाना क्या उचित है ?


तुम्हे क्या लगता है कि तुम्हारे क्रोध प्रदर्शन से सब तुमसे डर गए ? ये तुम्हारी सबसे बड़ी भूल है, क्योकि तुम्हारे क्रोधी स्वाभाव से सब तुमसे नफरत करते है, इसलिए तुमसे दूर रहना शुरू कर देते है और तुम्हारे पीठ पीछे सब तुम्हारी निंदा ही करते है, तुम्हारे क्रोध की प्रसंशा नहीं। 


चाहे कोई रिश्ता हो,हर रिश्ता विश्वास और प्यार पर टिका होता है, यदि रिश्ते में क्रोध ने अपना स्थान बनाने का प्रयास किया तो वो रिश्ता बस नाम का रह जाता है।तुम किसी को प्यार और सम्मान दोगे तो तुम्हे भी बदले में प्यार और सम्मान की ही प्राप्ति होगी। यदि अपने क्रोध में आ कर तुम किसी का अपमान करोगे तो तुम्हे भी बदले में अपमान की ही प्राप्ति होगी। 


इस दुनिया में छोटा-बड़ा,अमीर गरीब कोई नहीं होता सब अपने कर्म से बड़े होने का दर्जा पाते है। मगर क्रोध में दूसरो का अपमान कर अक्सर कई लोग सबकी नजरो में खुद को छोटा साबित कर जाते है। 


3. क्रोध ही आपकी सबसे बड़ी समस्या है। 


क्रोध व्यक्ति को इंसान से हैवान बना देता है, क्रोध में आ कर व्यक्ति बिना सोचे कोई भी निर्णय ले लेता है,जिससे उसका भी अहित होता साथ ही साथ उसके अपनों को भी उसके क्रोध का परिणाम भुगतना पड़ता है। क्रोध व्यक्ति के सकारात्मक सोच को नाकारात्मक सोच में परिवर्तित कर देता है,जिससे उसे अच्छी बात भी बुरी लगती है, अपने प्रिय जन भी उसे अपना शत्रु प्रतीत होते है।क्रोध तुम्हारी हर समस्या का समाधान नहीं होता बल्कि क्रोध ही हर समस्या का कारण होता है, जिसने अपने क्रोध पर विजय पा लिया उसके लिए हर समस्या का समाधान स्वतः ही हो जाता है। 


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