क्या होता है त्याग, कोई शिव से पूछे, क्या होती है प्रतीक्षा कोई शिव से पूछे, हो कर भी ईश्वर शिव ने हर दुःख को सहा है, क्या सीख शिव ने संसार को दिया है।
वो है अपार धन के स्वामी, वो है महाज्ञानी, फिर भी कभी अभिमान ना शिव ने किया है, क्या सीख शिव ने संसार को दिया है।
जरा सोचो क्या नहीं है शिव के पास, फिर भी शमशान उनका निवास, क्यों कहलाते वो देवो के देव, क्योकि वो नहीं करते किसी में भेद।
जिसका सब तिरस्कार करते, उसे एकमात्र शिव ही स्वीकार करते, गले में शर्पो की माला शिव ही धारण करते।
देवों को कभी अमृत ना मिलता, समुंद्रमंथन से जब तक विष ना निकलता, विष निकलते ही सबने शिव को याद किया, शिव ने विष का पान कर देवों को अमृत प्रदान किया।
प्रेम की वेदना में जल कर, जिसने कई जन्मों तक सती का इंतजार किया, सोचो संसार को शिव ने क्या सीख प्रदान किया।
क्यों वो नीलकंठ कहलाए, क्यों वो अर्धनारीश्वर कहलाए, शिव की महिमा को भला कोई कैसे समझ पाएं।
काम को भी अपने वश में वो रखते, कामदेव को यदि वो भस्म ना करते, तो देवता भी इस सत्य को जान ना पाते।
सती के विरह में जिसने समाधि को स्वीकार किया, कामदेव के बाणो का उन पर कोई असर ना हुआ, क्या है महिमा शिव और सती के प्रेम का ये सारा जग जान लिया।
विनाश और सृजन है जिनके हाथ, जो देते सदा धर्म का साथ, पापियों के लिए जो है महाकाल, सत्पुरषो के लिए है वो उद्धार।
तन पे भस्म लगाए, मृगछाला वस्त्र वो अपनाए, ना तो कुछ पाने की लालशा, ना कुछ खोने का गम, तभी तो है अपार शिव की महिमा का वर्णन।
काल भी उनसे डरता, उनके सच्चे भक्तों को अकाल मृत्यु का भय ना रहता, योगी नहीं महायोगी है वो, कालो के भी काल महाकाल है वो।
जिनका ना कोई आदि है ना ही अंत, कहलाते है जो अनंत, निराकार और साकार है वो, किसी को नहीं पता कि यही कहीं मौजूद है वो।
शिव ही सत्य है, कब तक तुम झुठलाओगे, अधर्म और आतंक को कब तक तुम फैलाओगे, होगा जब शिव से सामना पल भर में तुम भस्म हो जाओगे।
शिव ही है मोक्ष का द्वार, शिव ही है नर्क का द्वार, बिना शिव के सहयोग के नहीं चल सकता ये संसार, सृष्टि की रचना करने वाले शिव को है मेरा नमन बारम्बार।
जहां रहती शक्ति, शिव भी वहीं रहते, हर अवतार में शिव शक्ति के साथ ही रहते, क्योकि हर युग के अंत का शंखनाद केवल शिव और शक्ति ही करते।
ReplyDeleteVery beautiful poem by you. This poem touched my heart.👍
Thank you so much
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