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1. कौन है आपका सबसे बड़ा शत्रु ?
इस धरा पर कोई भी मनुष्य किसी का दुश्मन नहीं होता। क्योकि सारा खेल मानवी सोच पर आधारित होता हैं। मनुष्य की सोच ही उसे उसकी दिशा प्रदान करती हैं यदि किसी मनुष्य की सोच में एकमात्र जगत कल्याण की भावना उत्पन्न होगी तो वो ना ही किसी का शत्रु हो सकता हैं ना ही कोई और उसका शत्रु हो सकता हैं।
2. क्या आप जानते हैं की आपकी सबसे बड़ी समस्या क्या हैं ?
आपकी सबसे बड़ी समस्या आपके ही भीतर मौजूद हैं जिससे आप खुद ही अपने भीतर पाल रहे हैं। जैसे कि आप किसी अन्य को खुश देख नहीं पाते और हर पल बुरे विचारो को अपने भीतर पालते रहते हो जिससे आप स्वयं ही खुद के और दूसरे के शत्रु बन जाते हैं।
3. बच्चे को भगवान का रूप क्यों कहा जाता हैं ?
क्योकि उनका ह्रदय निर्मल होता हैं और वो किसी को अपना शत्रु नहीं मानते क्योकि उनको हर पल यही लगता हैं जो उन्हें प्यार दे रहे वो उसके मन की बातो को उनके स्नेह से जान लेते हैं और बच्चे उन्ही के पास ज्यादा रहना पसंद करते हैं जो निर्मल-साफ़ मन व्यक्ति होते हैं।जन्म उपरांत हर बच्चा विकारमुक्त होता हैं उनमे कोई दोष और बुराइयाँ मौजूद नहीं होती तभी अक्सर बच्चो में ईश्वर का वास होता हैं और बच्चे जो कहते हैं वो बाते सत्य होती हैं। फिर जैसे-जैसे उस बच्चे में विकास होने लगता हैं वो बुरी आदतों का शिकार होने लगता हैं।अनेको बुरे विकारो से ग्रसित होने लगता हैं तब उसकी शक्तियाँ छिन्न होने लगती हैं जो उसे ईश्वर ने प्रदान किया था जब उसका जन्म हुआ था। ज्यादातर लोग इस बात से अनजान हैं कि उनकी ही त्रुटि और दोष के कारण वो जो पा सकते हैं, या जो ईश्वर से पाया हैं उसे भी खो देते हैं।
4. कौन जीता है संसार में सम्मानित जीवन ?
आपने देखा होगा जो मनुष्य धर्म के रास्तो को अपनाते हैं वो सदैव सम्मानित जीवन जीते हैं। पैसा,धन -दौलत, और जायदाद ही सब कुछ नहीं होता आपका अच्छा कर्म और अच्छी सोच का ही महत्त्व आपके छवि को दर्शाती हैं कि आप असल में कौन हैं ?यही एकमात्र हैं हर मनुष्य की पहचान। ये तो आप सभी मनुष्य जानते होंगे जहाँ गंदगी का वास होता हैं वहाँ अनेक रोगो, अनेको बुरी नकारात्मक शक्तियों का निवास होता हैं क्योकि कोई दैविक शक्ति गंदगी और अस्वच्छ को पसंद कदापि नहीं करती और ना ऐसे स्थान पर कोई देवी- देवता रहते हैं। ठीक उसी प्रकार यदि कोई मनुष्य अपने भीतर गलत और बुरे सोच को अपनाता हैं तो ईश्वर को स्वयं से दूर कर लेता हैं और ईश्वर भी ऐसे मनुष्यो से कुपित हो कर अपनी कृपा और आशीर्वाद से उन्हें वंचित कर देते हैं।
5. जो इंसान सबका बुरा सोचता हैं और तब भी पूजा पाठ करता हैं क्या ईश्वर उसकी पूजा से प्रसन्न होते है ?
कुछ लोग ऐसा सोचते हैं की ये इंसान इतना बुरा सोचता हैं और तब भी पूजा पाठ करता हैं क्या ईश्वर इससे प्रसन्न होते होंगे ? जवाब हैं बिलकुल नहीं ईश्वर किसी अधर्मी और बुरे व्यक्ति की पूजा-पाठ से ना ही प्रसन्न होते हैं और ना ही उसकी भेट को स्वीकार करते हैं,और एक समय ऐसा भी आने वाला हैं जब ऐसे बुरे और कपटी मनुष्यो का ईश्वर की पूजा और उनके दरबार में कदम रखना भी मुश्किल हो जाएगा जब स्वयं ईश्वर कुपित हो कर ऐसा दंड हर अधर्मी को देंगे।
क्योकि स्वच्छ हाथ ही किसी देवी-देवता की पूजा अर्चना कर सकते हैं एकमात्र नहाने से साफ़ वस्त्र धारण करने से कोई शुद्ध और स्वच्छ नहीं होता जबतक कि उसका मन भीतर से निर्मल नहीं होता। इसलिए अपने भीतर छुपे सबसे बड़े शत्रु को नष्ट करे एवं अपने विचारो को एक नई उज्जवल दिशा प्रदान करे, फिर आपकी हर समस्या स्वतः ही दूर हो जाएगी और ईश्वर की कृपा भी आप पर और आपके पुरे परिवार पर बनी रहेगी।