कहां है जीवन का सुख और वैभव ?

World Of Winner
0

 एकमात्र क्षणिक सुख के खातिर यदि तुम गलत रास्ते का चुनाव करने जा रहे हो तो सावधान हो जाओ क्योकि गलत रास्ता तुम्हे कभी सही परिणाम नहीं दे सकता सिवाय तुम्हारी बर्बादी के तुम्हे कुछ भी हासिल नहीं होगा। 




(toc) #title=(Table Of Content)


हाँ मैं मानती हूँ दुनिया का हर व्यक्ति हर सुख सुविधाओं से परिपूर्ण रहना चाहता है,मगर सुख सुविधा यदि तुम अपने कठिन मेहनत से प्राप्त करते हो,सही रास्ते का चुनाव करते हो,तो आजीवन तुमसे तुम्हारा सुख और तुम्हारी खुशी कोई छीन नहीं सकता। 


संसारवासियो यदि मैं सत्य कहूं तो, क्या आप सब मेरे सत्य को स्वीकार करना चाहेंगे ?धन,वैभव,पैसा ये सब आपको प्राप्त तो हो जाएगा मगर क्या आप जीवन के असली सुख और वैभव से अवगत हो ? समस्त संसारवासियों आज मैं आप सबको बताती हूँ कि आपके जीवन का असली सुख और वैभव क्या कहलाता है ? 


1. कहां है जीवन का सुख और वैभव ? 


आपके जीवन का असली सुख और वैभव होता है आपका परिवार,यदि आपके परिवार में एकता है तो आप हर सुख सुविधा से परिपूर्ण है,यदि आपके परिवार में एकता नहीं तो ये मान लेना आपका धन,पैसा और दौलत किसी काम का नहीं।क्योकि जिस घर में बड़े-बुजुर्गो का सम्मान होता है,जिस घर में भाई-भाई में एकता होती है वही घर एक मंदिर कहलाता है, क्योकि छल-कपट, भेदभाव, लोभ, स्वार्थ, नफरत, अहंकार, ईर्ष्या ऐसे घर से दूर रहा करते है, जहां आपसी संबंध अटूट और पवित्र होते है वहां केवल देवी देवता ही विराजते है, ऐसे घर में कभी कोई नकारात्मकता नहीं समा सकती क्योकि हर पल एक दिव्य ऊर्जा उस घर की रक्षा करती है हर बाधाओं और समस्याओ से उन्हें बचा कर रखती है। 


मगर कलयुग में मनुष्य अपने निजी स्वार्थ में इतना उलझ गया है कि अपने फायदे और लाभ के लिए वो अपने परिवार से छल कर बैठता है,भाई अपने भाई का ही दुश्मन बन जाता है,अपने ही भाई की तरक्की और कामयाबी दूसरे भाई से देखी नहीं जाती है और नफरत ईर्ष्या में डूब कर वो अपने ही भाई को नुकसान पहुंचाने से जरा भी पीछे नहीं हटता है। 


2.परिवार में एकता का महत्व। 


 क्या तुमने कभी ये विचार किया है कि जो खुशी अपनों के साथ रह कर हमे प्राप्त होती है वो खुशी हमे अकेले कभी प्राप्त नहीं हो सकती।जैसे एक तिजोरी की रखवाली एक बंद ताला करता है,यदि उस ताले की चाभी किसी कारणवश खो जाती है तो वो ताला किसी अन्य चाभी से नहीं खोला जा सकता,यदि ताला को खोलना है तो उसे पहले तोड़ना होगा,क्योकि उसकी चाभी ही तुमने भूलवश खो दिया तो अब वो ताला भी किसी काम का नहीं रहा। मेरे कहने का तात्पर्य यही है कि एकता हमारे परिवार का वो ताला है जिसकी चाभी हम खुद है,यदि हमे अपने परिवार की सही तरीके से रखवाली करना है उसे बिखरने से बचाना है तो हमे कभी किसी गलत रास्ते से नहीं गुजरना है क्योकि यदि हम एक बार उस गुमनाम रास्ते से गुजरे, तो हो सकता है हमारी वापसी ना हो सके और उस चाभी की तरह हम भी अपना अस्तित्व खो दे और हमारा परिवार भी टूट कर बिखर जाए। 


इसलिए सदैव मेरी इस बात को स्मरण रखना निरर्थक वस्तुओ से अधिक मोह मत रखना यदि तुम्हे मोह रखना है तो अपने परिवार के प्रति मोह रखो,अपने कर्तव्यों का उचित पालन करना सीखो,अपनी जिम्मेदारियों को समझो,अपने परिवार की एकता को कभी भंग ना होने दो।


क्योकि जीवन का असली सुख वैभव तुम्हे एकमात्र अपने परिवार से ही प्राप्त हो सकता है,क्योकि पैसो से कहीं ज्यादा अहमियत हमारे रिश्तों की होती है,पैसा यदि तुम गवा भी दिए तो वो दोबारा लौट कर आ जाएगा मगर यदि पैसे की मोह और लालच में आ कर तुमने अपने परिवार को गवा दिया तो आजीवन तुम हर सुख वैभव को अपनी भूल और मूर्खता की वजह से खो सकते हो। 



Post a Comment

0Comments

Post a Comment (0)