आज इस कलयुग में कुछ लोग शिक्षा को गलत दिशा में ले जा रहे है सीधे शब्दों में कहूं तो कुछ लोग अपनी शिक्षा का व्यापार कर रहे है, जो ना सिर्फ शिक्षा का अपमान है बल्कि ज्ञान की देवी का अपमान है। आप में से कुछ लोगों को शायद मेरी बातें अच्छी तरह समझ नहीं आई होगी मगर जो लोग इस कार्य में लगे है, वो समझ चुके होंगे कि मैंने ऐसा क्यों कहा ?
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1. क्या है संसार की बर्बादी का कारण ?
आज हर तरफ बस बेईमानी, रिश्वतखोरी,झूठ,लोभ-लालच से घिरा ये संसार बड़ी तेजी से अपनी बर्बादी की तरफ बढ़ते जा रहा है, मगर अंजाम की फिक्र किसी को नहीं क्योकि जो अपने लोभ में वशीभूत होते है, उन्हें हकीकत और अंजाम की फिक्र नहीं होती, क्योकि उन्हें तो बस ढ़ेर सारा पैसा कमाना है,रईस बनना है, चाहे पैसा कहीं से भी आए, कैसे भी आए मगर बस पैसे की कोई कमी ना रहे, चाहे गलत रास्ते पर चल कर ही पैसा क्यों ना आए, चाहे किसी निर्दोष के भविष्य के साथ खेल कर ही पैसा क्यों ना आए उन्हें तो बस पैसो से मतलब है, ना की किसी के दर्द और तकलीफ से।
ये जरूरी नहीं कि यदि आप उम्र में काफी बड़े है तो आपसे कोई त्रुटि या भूल नहीं हो सकती, ये जरूरी नहीं कि बढ़ती उम्र के साथ सबकी सोच बड़ी और नेक हो, क्योकि कुछ लोगों की चाहे कितनी भी उम्र हो जाए उनमें सही और गलत को समझने और परखने का हुनर नहीं आता। उम्र बढ़ जाने से हर कोई समझदार और तजुर्बेदार नहीं होता। ये तो इंसान की सोच पर निर्भर करता है, क्योकि कहीं पर छोटे उम्र के बच्चे भी समझदारी की बातें करने लगते है, सही और गलत को भी परखने का हुनर उनमें कम उम्र से ही आने लगता है।
आज इस दुनिया में जो वफादार,ईमानदार, और सच्चा है वो किसी की नजरों में ना तो महान है, और ना ही अच्छा क्योकि ये संसार बस पैसों की गुलामी करता है, शासन और सत्ता की गुलामी और पेशकश मंजूर करता है, यहां हर तरफ झूठ का बोलबाला है, सच्चाई और ईमानदारी को कोई कहां पूछता है ?
ना जाने कितने अच्छे होनहार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया है, चंद कागज की टुकड़ो की लोभ में। शिक्षा को व्यापार बना डाला रिश्वत और धन के लोभ में। हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या कभी खत्म नहीं हो सकती क्योकि यहां रिश्वत का रोजगार अपनी चरमसीमा पर है। कोई किसी की जाति और धर्म के भेदभाव में आ कर उसकी शिक्षा और ज्ञान को नजरअंदाज कर रहा है, तो कोई अपने धन सम्पति को बढ़ाने की लोभ में होनहार छात्रों के भविष्य के साथ खेल रहा है।
एकमात्र भगवान ही है जो किसी में भेदभाव किए बगैर किसी के साथ पक्षपात नहीं करते, जैसे सूर्य की गर्मी और रौशनी एक गरीब को भी ठंड से राहत दिलाती है, और उसकी झोपड़ी को अंधकार से रौशनी में बदल देती है, ठीक वैसे ही एक समान गर्मी और रौशनी एक अमीर को भी प्राप्त होती है। बस एक मनुष्य ही है, जो अमीर और गरीब का भेद रखता है, अपने लोभ में आ कर किसी की मजबूरी का फायदा उठाने में जरा भी संकोच नहीं करता।
वो शिक्षा किस काम की जिसे ग्रहण करने के बावजूद भी तुम्हें सही और गलत को परखने का हुनर और ज्ञान नहीं ? वो शिक्षा किस काम की जो तुमसे तुम्हारे विवेक को ही छीन ले ? वो शिक्षा किस काम की जो तुम्हारी बुद्धि को ही नष्ट कर दे ? वो शिक्षा किस काम की जो तुम्हें सत्य से दूर कर असत्य के मार्ग पर चलने को मजबूर कर दे ? वो शिक्षा किस काम की जो तुम्हें लोभी, स्वार्थी और रिश्वतखोर बना दे ?
2. क्या स्वार्थ आपके समस्त ज्ञान को नष्ट कर देता है ?
इसका अर्थ यही हुआ कि जो शिक्षा तुमने ग्रहण की उसके पीछे एक स्वार्थ छिपा था, जो शिक्षा स्वार्थ की पूर्ति के लिए ग्रहण की जाती है, वो शिक्षा भविष्य में तुम्हारी बर्बादी के सिवा कुछ भी प्रदान नहीं कर सकती, एक झूठ की ईमारत जो आज शोभायमान प्रतीत हो रही मगर उस ईमारत की पत्थर इतनी मजबूत नहीं, वो झूठ की ईमारत कभी भी टूट कर बिखर सकती है, मगर सच्चाई और ईमानदारी के बल पर यदि एक झोपड़ी भी बनाई जाती है तो उसे कोई तोड़ नहीं सकता, क्योकि सच्चाई और ईमानदारी में बहुत ताकत होती है और वो टिकाऊ होती है, जिसे साक्षात् ईश्वर का संरक्षण प्राप्त होता है।

