आज मेरा सवाल सभी मनुष्यों से बस इतना ही हैं की तुम इस दुनिया में जब आए थे तो अपने साथ क्या लाए थे ? कोई भी इस दुनिया में जन्म के साथ ना ही कुछ ले कर आता हैं और ना ही कुछ ले कर जाता हैं।ये जन्म और मृत्यु का कालचक्र सदा ही गतिमान रहता हैं, अर्थात ये प्रक्रिया रूकती नहीं जिसका जन्म हुआ हैं एक दिन समय पूर्ण होने पर उसकी मृत्यु भी होना अनिवार्य हैं ये तो कई युगो से होते चला आ रहा और निरंतर होते चला जाएगा।
1. किस्मत की पहेली। (The riddle of fate.)
किस्मत एक ऐसी पहेली हैं जिसे आज तक कोई समझ नहीं पाया, कोई कहता हैं की मेरी किस्मत में लिखा ही नहीं कामयाब होना, तो कोई कहता हैं मेरी तो किस्मत ही खराब हैं, और कहीं पर कोई कहता हैं मेरी किस्मत में कोई खुशी लिखी ही नहीं भगवान ने।कोई इस दुनिया में किस्मत के भरोसे जी रहा हैं, तो कोई अपनी किस्मत को कोस रहा हैं।
2. क्या मनुष्यों के गुण अवगुण से किस्मत का जुड़ाव होता है ? ( Is destiny connected to the virtues and vices of humans?)
मैं कौन हूँ ? इसका जवाब यदि कोई पूछता हैं तो आपके हिसाब से इसका जवाब होगा मैं एक मनुष्य हूँ, एक लेखक हूँ, मगर क्या ये जवाब पर्याप्त हैं मेरे परिचय के लिए ? क्या वाकई मेरा वास्तविक परिचय यही हैं ?मुझसे बेहतर मेरा परिचय कोई अन्य नहीं दे सकता और मुझसे बेहतर मेरे विषय में कोई अन्य जान नहीं सकता इसलिए सर्वप्रथम स्वयं को जानना अत्यंत आवश्यक हैं वरना आपका जीवन निरर्थक हैं। और जहां तक किस्मत की बात आती हैं तो हर इंसान की किस्मत का संबंध उससे ही होता हैं,इंसान में जितने गुण होते हैं वो सारे गुण उसे अपनी किस्मत से जोड़े रखता हैं यदि किसी इंसान में अनेको अवगुण मौजूद होते हैं तो उसका किस्मत उसका साथ देना छोड़ देती हैं। ये किस्मत कोई रेस्टोरेंट का खाना नहीं जो बना बनाया मिलता हैं बल्कि ये किस्मत इंसान के कर्मो के द्वारा निर्धारित होती हैं आपके जैसे कर्म होंगे आपकी किस्मत ठीक वैसी होगी।
3. किस्मत के भरोसे रहने वाले अवश्य ध्यान दे। ( Those who rely on luck must pay attention.)
अब मुझे एक बात बताओ तुम्हें बहुत प्यास लगी है मगर तुम किस्मत के भरोसे बैठे रहोगे यदि किस्मत में होगा प्यास बुझना तो पानी खुद चल कर मेरे पास आ जाएगा तो क्या ये संभव हैं ?बल्कि जब तक तुम स्वयं उठ कर पानी ला कर नहीं पीते तब तक तुम्हारी प्यास कैसे बुझ सकती हैं भला ? मनुष्य जब भी कुछ कर पाने में सक्षम नहीं होता तो वो अपनी किस्मत को दोषी ठहराने लगता हैं मगर किस्मत तो तुम्हे दोषी मानती हैं तुमने यदि समय रहते इस तथ्य को स्वीकारा होता अपने अच्छे कर्मो को स्वीकार कर निरंतर परिश्रम किया होता तो ऐसा क्या हैं जो तुम्हे प्राप्त ना होता ?
4. क्यों है जरूरी वाणी पर नियंत्रण ? (Why is control over speech necessary?)
बार-बार अपनी किस्मत को कोसना सही नहीं होता जब आप ये बात स्वयं अपने मुँह से कहते हैं की मेरी किस्मत खराब हैं तो इसका अर्थ यही हुआ की आपको अपनी किस्मत का पता हैं और आप ना चाह कर भी अनजाने ही सही अपनी किस्मत को स्वयं अपने हाथो से अपने कथनों से बर्बाद कर लेते हैं। इसलिए सभी मनुष्यों को अपनी वाणी पर नियंत्रण रखनी चाहिए वरना ये आपके जीवन के लिए एक चिंता का विषय बन सकता हैं। 24 घंटे में एक बार हर मनुष्य की वाणी पर सरस्वती अवश्य विराजती हैं जिस वक्त वो विराजती हैं यदि आपकी वाणी गलत निकलती हैं तो वो सत्य हो जाती हैं। इसलिए जानबूझ कर किसी भी मनुष्य को स्वयं से कोई गलत शब्द का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
5. भाग्य कब और कैसे उदय होता है?( When and how does luck arise?)
भगवान सभी को एक मौका अवश्य देते हैं चाहे बात आपकी किस्मत की हो या आपके सुनहरे सपनों की वो सच तभी हो सकते हैं जब आप उसे पूरा करने का प्रयत्न करते हैं आप कोशिश कर के तो देखो सोई किस्मत भी जाग उठेगी आपके किस्मत के बंद दरवाज़े की चाभी आपके पास मिलेगी।
* किस्मत का तो बस इतना ही खेल है,ये तो आपके परिश्रम और कर्मो का मेल हैं।