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कोई भी अशांति का माहौल बेवजह नहीं होता जब तक कोई किसी बड़ी घटना को अंजाम नहीं देता। आज हर तरफ अफरा-तफरी का माहौल हैं उसकी वजह हैं इंसान,वो इंसान जिसमे इंसानियत का दूर-दूर तक कोई वास नहीं,वो इंसान जिसको सही और गलत की पहचान नहीं, वो इंसान जिसमे जानवरों से भी ज्यादा कुरुरता का समावेश हैं,वो इंसान जिसके लिए हैवानियत ही उसका उदेश्य हैं।
1. बच्चों को बेहतर ज्ञान और संस्कार कौन दे सकता है ? (Who can give better knowledge and manners to children?)
देश की हर माताओं को मैं यही संदेश देना चाहती हूँ की चाहे आप किसी की भी माँ हो बेटे की या बेटियों की मगर आपका बस एक ही उदेश्य होना चाहिए की आप अपनी हर संतान को सही और गलत की सीख अवश्य दे वरना आजीवन आपको पश्चाताप की अग्नि में जलना होगा। इसलिए सर्वप्रथम इस बात को अपने दिलों-दिमाग में अवश्य बैठा ले की यदि आप बेटे की माँ हैं तो इस बात का गुरुर स्वयं के भीतर कभी ना लाए की मैं तो बेटे की माँ हूँ चाहे बेटा कोई भी गलती करे इससे क्या फर्क पड़ता हैं वो तो एक लड़का हैं उसका कोई क्या बिगाड़ सकता हैं ?
2. कहाँ है बच्चे का वास्तविक गुरुकुल ? (Where is the child's real Gurukul?)
यदि आपमें ऐसी सोच हैं तो यकीनन ऐसी माताओं को एक दिन अपने बेटे के गुनाह के लिए अपनी कोख पे शर्मिंदा होना पड़ सकता हैं। यदि समय रहते अपनी भूल को ना सुधारा गया तो बाद में वही भूल एक अपराध बन जाती हैं और ये अपराध पल भर में आपके बसे बसाए घर को बर्बाद कर देता हैं। कोई भी बच्चा जन्म लेते ही अपने साथ कोई अधर्म या अपराध नहीं लाता बल्कि ये जन्म के बाद वो बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होने लगता हैं वो अच्छी या बुरी आदतों का शिकार होने लगता हैं, एक बच्चे का वास्तविक गुरुकुल उसका घर ही होता हैं जहां रह कर वो बच्चा अच्छे और बुरे के बीच का भेद जान पाता हैं।
3. क्यों कहलाते है माता पिता अपनी संतान के वास्तविक गुरु ? (Why are parents called the real teachers of their children?)
माता-पिता ही अपनी संतान के प्रथम गुरु होते हैं और बच्चे अपने विद्यालय से ज्यादा समय अपने घर में ही बिताते हैं घरवालों के बीच रहकर बच्चे अच्छी और बुरी आदतों को सीखते हैं इसलिए घर के हर मुख्य सदस्य को माता-पिता को अपने बच्चों को बुरी आदतों से और बुराईयों से दूर रखना चाहिए क्योकि माता-पिता जैसे स्वभाव या आदतों को अपनाएंगे उनके बच्चे भी उन्ही आदतों को अपनाएंगे। इसलिए बचपन से ही यदि बच्चे को उसके छोटे बुरे कृत को भी कभी अनदेखा या अनसुना नहीं करना चाहिए बाद में बच्चों का वही छोटा कृत बड़े होने के बाद एक बड़े जुर्म और अपराध का रूप ले लेता हैं। आज जो संसार अशांत बना पड़ा हैं उसकी वजह भी एक ऐसे माता-पिता की कुपात्र और कपूत संतान हैं जो अपनी कुकृत्य से चहु ओर अशांति का माहौल बना रहे हैं आए दिन कोई ना कोई बड़ी घटना को अंजाम देते जा रहे हैं।
मैं हर माँ को या देश के हर बेटे को गलत नहीं कह रही बल्कि उन बेटे की माताओं को कह रही हूँ जिनके बेटे आज समाज में और देश में अपने आतंक का प्रदर्शन कर रहे हैं जो हर स्त्री को अपने संभोग का साधन समझने का पाप कर रहे हैं।
ऐसे दुष्ट बेटो को यही कहना चाहूंगी ये जो तुम हर स्त्री को अपमानित करने की उन्हें अपने हवस का शिकार समझने का पाप कर रहे हो ये ना भूलना तुम्हे जो जीवन प्राप्त हुआ हैं वो एक स्त्री से ही हुआ हैं वो स्त्री हैं एक माँ,आज जो तुम अपराध पे अपराध किए जा रहे हो स्वयं ही अपने सर्वनाश को आमंत्रित कर चुके हो तुम कैसे भूल गए की स्त्री से ही पुरुषों का अस्तित्व हैं तुमने एक स्त्री के सम्मान के साथ खेलने का जो जघन पाप किया हैं ऐसा कृत कर तुमने अपने अस्तित्व को ही मिटाने का प्रयास किया हैं क्योकि अब तुम्हारे विनाश की शुरूआत हो चुकी हैं तुम्हारे गुनाहो की एक चिंगारी भीषण अग्नि का रूप ले चुकी हैं ये वो अग्नि हैं जो तुम्हे एकमात्र क्षति ही नहीं पहुंचाएगी बल्कि तुम्हे भस्म कर मिट्टी में मिला जाएगी।
4. एक ऐसा कानून जिसके नियम और विधान बदला नहीं करते। (A law whose rules and regulations do not change)
जब किसी को बड़ा पद मिलता हैं तो उस व्यक्ति में अहंकार की वृद्धि होने लगती हैं वो स्वयं को सबसे बड़ा समझने लगता हैं और अपने पद के अहंकार में चूर हो कर वो व्यक्ति अनेको अपराध और भूल कर बैठता हैं।उसे यही लगता हैं की उसका कोई क्या बिगाड़ सकता हैं मगर यही उस व्यक्ति की सबसे बड़ी भूल और मूर्खता हैं क्योकि संसार में भगवान से बड़ा किसी का कोई पद नहीं,और भगवान से बड़ा कोई कानून नहीं जहां पर इंसान दुनिया के बनाए कानून के साथ खेलता हैं वहां पर स्वयं भगवान आ कर उसे सही कानून और न्याय से परिचित करा जाते हैं।
संसार की ये दयनीय हालत एक बहुत बड़ी चिंता का विषय बन चुका हैं क्योकि अब संसार में पाप और अधर्म अपनी सारी सीमाएं लांघ चुका हैं।
ReplyDeleteVery Inspiring Article by you..👍
Thank you
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