मनुष्य के अंदर बसा उसका आलस्य ही उसके जीवन का सबसे बड़ा शत्रु होता हैं। क्योकि आलस्य जिसके भीतर समाहित होता हैं वो हर कार्य में दुसरो की तुलना में सदैव पीछे रहता हैं। जब भी प्रातः काल निद्रा तुम्हे जागने नहीं देती तुम्हे सुबह उठने में आलस्य का अनुभव होता हैं तो एक बात अवश्य अपने मन में लाना यदि तुमने अपने आलस्य पर विजय हासिल नहीं किया तो एक दिन यही आलस्य तुम्हारी असफलता का कारण बनेगा।
toc #title=(Table Of Content)
1. समय रहते आलस्य पर काबू पाना क्यों महत्वपूर्ण है ? (Why is it important to overcome laziness in time?)
आलस्य यदि समय रहते आपसे दूर नहीं हुआ तो आपका समय आपसे आगे निकल जाएगा और आप अपने आलस्य के वजह से अपना सही समय गवा बैठेंगे।आलस्य एकमात्र सुबह उठते वक्त ही नहीं महसूस होता बल्कि अक्सर जब कोई बड़ा कार्य आपको दिया जाता हैं उसमे भी आपको आलस्य महसूस होता हैं आपको लगता हैं की मैं थोड़ा आराम कर लू बाद में काम खत्म कर लूँगा मगर जब आप आराम करने लगते हैं तो आपको फिर से ये विचार सताने लगता हैं कि आपका सारा काम अभी बाकि हैं कैसे वो कार्य जल्दी खत्म होगा की आपको उस काम से निजात मिले।
ये आलस्य तो ज्यादातर मनुष्यों में समाया होता हैं उनमे से कुछ लोग अपने आलस्य पर बड़ी आसानी से विजय प्राप्त कर आगे बढ़ जाते हैं वही लोग अपने जीवन में विकास कर पाने में सफल होते हैं।पढ़ते वक्त भी कुछ छात्र और छात्राओं को आलस्य पढ़ने नहीं देता उन्हें बार-बार पढ़ते वक्त ऐसा महसूस होने लगता हैं की उन्हें थोड़ा आराम कर लेना चाहिए पढ़ाई तो बाद में भी हो जाएगी ऐसे छात्र ही अपने आलस्य के वजह से अपनी परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं हो पाते उन्हें बाद में अपनी भूल का एहसास होता हैं जब समय उनके हाथ से निकल जाता हैं।
2. कैसे पाए आलस्य पर विजय ?
आलस्य आपको तभी तक अपने वश में रख सकता हैं जब तक आप स्वयं उसका त्याग करने का पहल नहीं करते। जब आप आलस्य से लड़ कर स्वयं को फुर्तीला नहीं बनाते तबतक आलस्य आपका पीछा नहीं छोड़ता।सुबह का अलार्म बजने के बावजूद कुछ लोग अलार्म को पुनः बंद कर सो जाते हैं, क्योकि उनका आलस्य उनका पीछा नहीं छोड़ता उन्हें लगता हैं अभी नींद बाकि हैं मगर यही उनकी भूल हैं।जब तक तुम नहीं चाहोगे तब तक कोई तुम्हे परेशान नहीं कर सकता ना ही कोई तुम्हारे पीछे पड़ेगा यकीनन तुमने ही मौका दिया हैं जिसके फलस्वरूप चाहे आलस्य हो या कोई इंसान तुम्हारा शत्रु बन बैठा हैं,जो तुम्हारा पीछा छोड़ने का नाम नहीं ले रहा।एक बार तुम प्रयास तो करो देखो तुम्हे अपने प्रयास में कैसे सफलता नहीं मिलती मगर इसके लिए तुम्हे जिद्दी बनना होगा तुम्हे यदि अपने जीवन में समय के साथ चलना हैं तो तुम्हे अपने अंदर पल रहे सबसे बड़े शत्रु आलस्य से लड़ कर जीत हासिल करनी होगी।
समझो तुम्हारी ये जिंदगी एकमात्र जिंदगी नहीं बल्कि एक जंग का मैदान हैं जिसमे कई योद्धा खड़े हैं मगर जो योद्धा इस जंग में लड़ कर आगे निकल पाने में सफल होगा वही इस जिंदगी की जंग का असली विजेता होगा और जो आलस्य की वजह से पीछे रहेगा वो अपनी जिंदगी के जंग में पराजित हो जाएगा। तुम्हे फैसला करना हैं तुम सबसे आगे निकलना चाहते हो या सबसे पराजय स्वीकार करना चाहते हो। यदि तुम्हे सबसे आगे निकलना हैं तो उसके लिए तुम्हे अपने आलस्य को अपने जीवन से सदा लिए दूर करना होगा तभी तुम्हारी जीत हो सकती हैं।
स्वयं विचार करो यदि ईश्वर भी आलस्य करते तो आज इतने बड़े संसार का विस्तार क्या कर पाते ?
हर कार्य में परिश्रम होना अनिवार्य हैं यदि परिश्रम नहीं होगा तो तुम्हे उसकी कीमत का पता कैसे चलेगा ?आसान कुछ भी नहीं मगर आसान बनाना पड़ता हैं और आसान वही बना पाने में सक्षम होता हैं जिसके भीतर आलस्य का वास नहीं होता हैं जो अपने आलस्य से लड़ कर आगे बढ़ने का प्रयास करता हैं। आज जिस घड़ी को देख कर तुम्हे समय का पता चलता हैं उस घड़ी का भी निर्माण एक महान खोजकर्ता अविष्कारक ने ही किया उन्हें भी कई रात जागना पड़ा होगा अपनी नींद गवा कर अपने आलस्य से लड़ कर आज देश में उन्होंने इतने विकास किए यदि वो भी आलस्य में खो कर आराम से सो रहे होते तो आज देश में इतना विकास क्या संभव हो पाता ?
3. क्या कोई दवा औषधि आलस्य को दूर कर सकती है ? (Can any medicine cure laziness?)
इसलिए यदि तुम्हे अपनी अलग पहचान बनानी हैं तो आज से ही अपने अंदर के आलस्य को दूर करने का फैसला करो और अपने जीवन परिश्रम करने से कभी पीछे मत हटो ऐसा कर के देखो एक दिन तुम्हे स्वयं पर गर्व महसूस होगा।ये जो बाजार और दुकानों में अनगिनत दवाईयां मिलती हैं लोग सलाह देते हैं आलस्य दूर होने के लिए उन्हें ये नहीं पता की किसी दवा में इतनी शक्ति होती तो आज संसार में हर बीमारी को पल भर में ठीक करने की कला होती। अपनी हर बीमारी की दवा तुम खुद हो और ये आलस्य कोई गंभीर बीमारी नहीं जिसमे किसी दवा-औषधि की जरूरत हैं।