शिक्षा के मायने। The Meaning of Education.

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शिक्षा का मतलब ये नहीं होता की आप किसी पाठशाला में जा कर शिक्षा ग्रहण करते हैं, शिक्षा का मतलब ये नहीं होता की आप बड़ी-बड़ी डिग्रीया हासिल करते हैं बल्कि शिक्षा का वास्तविक और सही मायने ये होता हैं की आप हकीकत में अपने विचारो से अपने संस्कारो से कितने शिक्षित हैं। भले ही आप किसी भी बड़े शहरों में चले जाए या बड़े से बड़े स्कूल या कॉलेज में दाखिला करवा ले मगर यदि आपका परिचय वास्तविक शिक्षा से नहीं होता तब तक आपका कोई भी डिग्री या किताबी ज्ञान काम नहीं आता। इसलिए शिक्षा के सही मायने को जानना सभी के लिए अत्यंत आवश्यक हैं क्योकि इसका जुड़ाव व्यक्ति के भविष्य से होता हैं और जिसका भविष्य ही अंधकार में होता हैं वो अपने जीवन में प्रकाश कैसे ला सकता हैं ?


शिक्षा के सही मायने -


सही मायने में शिक्षा आपके व्यक्तित्व को दर्शाती हैं जिसकी जैसी शिक्षा होगी उसका व्यक्तित्व ठीक वैसा ही निखार लाएगा। उदाहरणस्वरुप जब कोई व्यक्ति किसी से ऊँची आवाज़ में बात करता हैं तो लोग उसके बोलने के लहज़े से यही कहते हैं की लगता नहीं ये एक शिक्षित इंसान हैं क्योकि एक शिक्षित इंसान की पहचान उसके व्यवहार,संस्कार और विचारो से ही पता चल जाता हैं।


 मगर आजकल के युवा तो बस अपने किताबी ज्ञान और डिग्रियों के माध्यम से ही ये अनुमान लगा लेते हैं की उनसे ज्यादा शिक्षित और ज्ञानी कोई अन्य नहीं हो सकता उनका यही अभिमान उनके लिए अनेको समस्याओ को जन्म देता हैं। आपने ग्रंथो में पुराणों में पढ़ा या सुना होगा पुराने दौर में लोग जब अपने बच्चो को शिक्षा ग्रहण करने भेजते थे तो उनके गुरु सर्वप्रथम उन बच्चो के संस्कारो की शिक्षा सर्वप्रथम दिया करते थे  तभी उन्हें अपने शिष्य के रूप में स्वीकार करते थे इतने कठिन नियम से अनेको परीक्षाओ से गुजर कर ही उस युग में लोग अपनी शिक्षा ग्रहण कर पाते थे। तभी उस युग में लोग अपने वचन और अपनी मर्यादा को कभी भंग नहीं होने देते थे चाहे प्राण जाए मगर वचन कभी खाली ना जाए ऐसी सभ्यता और संस्कारो में पले लोग कभी अनीति और अधर्म का चयन नहीं कर सकते। 


मगर आजकल के गुरु भी अपने संस्कार अपनी मर्यादा को जब भुला चूके हैं तो उनके शिष्य कैसे सही मार्ग का अनुशरण कर सकते हैं ? माता-पिता से बड़ा गुरु जग में कोई नहीं होता इसलिए यदि आप स्वयं को सही मायने में एक शिक्षित और ज्ञानी इंसान समझते हैं तो आप कभी अपने माता-पिता का अपमान नहीं कर सकते यदि आप पढ़-लिख कर भी अपने बड़े बुजुर्गो का सदैव अपमान करते हैं तो ये मान लेना आपने शिक्षा के सही मायने को नहीं समझा हैं और ना ही आप एक शिक्षित इंसान कहलाने के हक़दार हो। 


एक शिक्षित व्यक्ति की पहचान -


एक शिक्षित व्यक्ति की पहचान सर्वप्रथम उसकी वाणी से होती हैं अर्थात जिसकी वाणी कठोर और अपमानजनक हो वो व्यक्ति कभी शिक्षित नहीं कहला सकता। एक शिक्षित व्यक्ति की वाणी बहुत मधुर होती हैं वो कभी किसी से ऊँची आवाज़ में बात नहीं करता यदि क्रोध भी आ जाए तो भी एक शिक्षित इंसान अपनी सीमाओं में भलीभांति रहना जानता हैं। समाज में रहकर समाज की मर्यादाओं का सम्मान करना, चाहे गरीब हो या अमीर सबको एक नजर से देखना किसी भी जाति और मजहब में भेदभाव ना रखना, किसी से ईर्ष्या और नफरत की भावना ना रखना अपने भीतर अहंकार को कभी हावी ना होने देना अपने से बड़े बुजुर्गो का माता-पिता का सदा सम्मान करना तथा अपने दाम्पत्य जीवन की मर्यादाओ का पालन करना ही एक सभ्य और शिक्षित इंसान की पहचान हैं। 






 शिक्षा कैसे आपके भविष्य को सुनिश्चित करती हैं -


शिक्षा आपके भविष्य को दिशा प्रदान करने में आपकी सहायक का कार्य करती हैं। यदि शिक्षा को सही मायने में अपनी जिंदगी में शामिल किया जाए तो वो शिक्षा आपकी जिंदगी को बदल कर रख देती हैं कहने का अर्थ हैं शिक्षा से ही मनुष्य में ज्ञान का विकास होता हैं और ज्ञान ही मनुष्य को सही और गलत को परखने में सहायक का कार्य करता हैं। 


जिस व्यक्ति ने अपने ज्ञान को उचित दिशा देने का फैसला कर लिया मानो उसने शिक्षा के वास्तविकता को जान लिया। शिक्षा आपके विचारों को सुसज्जित करने में अहम भूमिका निभाती हैं क्योकि आपके विचारो से ही आप लोगो के समक्ष जाने जाते हैं की आपमें उचित और अनुचित को समझने की कितनी परख हैं।चाहे आप किसी भी शहर या देश में जाए लोग सर्वप्रथम आपके विचारो से ही आपको पसंद करते हैं क्योकि जिसके विचार में कोई अवगुण शामिल नहीं होता जिसके विचार में कभी अहम भाव नहीं होता वही इंसान इस दुनिया में शिक्षा का वास्तविक उदाहरण माना जाता हैं आपके विचारो से आपके शिक्षित होने का प्रमाण मिलता हैं। जिनके विचार और संस्कार सही होते हैं ऐसे ही लोग शिक्षित और सभ्य कहलाते हैं ऐसे लोग आजीवन अपनी जिंदगी में बड़े मकाम को हासिल कर पाने में सक्षम होते हैं।हर कोई ऐसे सभ्य शिक्षित लोगो से मिलना उनसे बात करना पसंद करता हैं तथा उनके द्वारा दी गई हर एक सीख को सभी अमल करते हैं।   


* ज्ञान बन जाता हैं वरदान जब कोई अपने ज्ञान पर करता नहीं अभिमान,मगर जिसे हो जाए अपने ज्ञान पर अभिमान तो ये समझ लेना वो शिक्षा के असल मायने से हैं अनजान।।


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