आज इस युग में संसार के सभी मनुष्यो को ईश्वर से बस यही शिकायत हैं। चलो आज आपकी शिकायतों को दूर करते हैं क्यों नहीं मिलती अच्छे लोगो को हर खुशी ? आज इन्ही सवालों का जवाब ढूँढ़ते हैं।
अच्छे और बुरे में फर्क ढूँढने चले थे वो, और वो खुद ही उस मायाजाल में फंस गए।।
सत्य का साथ नहीं छोड़ने की खाई थी कसम जिसने, आज वो ही असत्य के मार्ग पर चल पड़े।।
*ये जरुरी नहीं की बात केवल शब्दों से ही होती हैं कभी-कभी कुछ संकेतो से भी ईश्वर आपसे बात करते हैं उन संकेतो को कभी जानने या समझने का प्रयास किया हैं किसी ने ?
अच्छे होने के बाद भी ईश्वर विनती स्वीकार क्यों नहीं करते ? ऐसा सवाल आज बहुत से मनुष्यो का ईश्वर से हैं मगर जो सवाल आप ईश्वर से कर रहे हैं उसका जवाब कहीं ना कहीं आपके पास ही मौजूद हैं।कहीं ना कहीं कोई त्रुटि तो हर मनुष्य से होती हैं क्योकि यदि मनुष्य भूल नहीं करता तो वो मनुष्य नहीं बल्कि ईश्वर बन जाता। खुद विचार करे क्या जीवन में कभी किसी भी मोड़ पर आपसे कोई भूल नहीं हुई ? जाने अनजाने ही सही भूल तो सबसे होती हैं मगर अपनी भूल को कौन याद रखता हैं ? मगर ईश्वर को सब याद रहता हैं और रहेगा।
जैसे एक टोकरी में यदि कोई एक सड़ा हुआ फल मौजूद हो तो वो सारे फलो को अपने साथ-साथ खराब कर देता हैं इसमें दोष किसका हैं उस सड़े हुए फल का या बाकि फलो का इसका जवाब यही होगा उस सड़े हुए फल का।
उसमे फलो की टोकरी का कोई कसूर नहीं हैं। मेरे कहने का यही तात्पर्य हैं की ये समस्त संसार जिस परमशक्ति का हैं आज उसके ही बनाए संसार में एक बुरा इंसान अपने साथ-साथ सबको उसी रास्ते पर चलने को विवश कर रहा हैं और लोग चल भी रहे हैं क्योकि बुरे इंसान की पहचान हैं की उसमे लोभ-लालच, ईर्ष्या, नफरत,अहंकार, और स्वार्थ समाहित होता हैं वो दुसरो को भी लोभ-लालच दे कर अपना साथी बना लेता हैं और लोग उस बुराई के रास्ते पर चल पड़ते हैं चाहे अंजाम कुछ भी हो।
जो अच्छे लोग हैं उन्हें जल्दी कोई फल प्राप्त नहीं होता तो वो निराश हो जाते हैं जो बुरे हैं उन्हें सुखी समपन्न देख वो ईश्वर को दोषी ठहराना शुरू कर देते हैं आज उनसे बस यही कहना चाहूँगी ये कलयुग हैं जो आसुरी शक्तियाँ अपने बल से बुरे को सफल और सुखी बनाने का प्रयास कर रही हैं और ईश्वर के सच्चे भक्तो को ईश्वर से दूर करने तथा बुराई को अपनाने पर मजबूर करने में लगी हुई हैं जिसे अभी कोई समझ नहीं पा रहा हैं मगर अंततः एक दिन उन्हें ये एहसास हो जाएगा की ईश्वर ने कभी अपने सच्चे भक्तो के साथ अन्याय नहीं किया।
सत्य तो ये हैं जैसे किसी संतान पर कष्ट या मुसीबत आती हैं तो उसका दर्द और दुःख जितना संतान को होता हैं उससे कहीं ज्यादा कष्ट और तकलीफ का अनुभव माता-पिता को होता हैं। आज इस कलयुग में अपनी संतानो को तकलीफ में देख ना ही ईश्वर प्रसन्न हैं और ना ही मौन। ईश्वर और ये प्रकृति जो बदलाव ले कर इस संसार में आ रहे हैं उससे आप अनजान हैं।
जब आप किसी शख्स से प्यार करते हैं उसके साथ अपना सारा जीवन व्यतीत करना चाहते हैं यदि वो अचानक आपसे किसी ना किसी वजह से दूर हो जाए या खुद आपसे अलग हो जाएं तो आप ये ना सोचना की ईश्वर ने आपके साथ नाइंसाफी की हैं बल्कि ये सोचना यदि तुम वाकई अच्छे हो तो ईश्वर ने तुम्हारे भलाई के लिए उसे तुमसे दूर किया हैं क्योकि ईश्वर के शब्दों को समझ पाना इतना सरल नहीं।
चाहे कोई भी परीक्षा हो जॉब हो या पढ़ाई आपका भविष्य सुनहरा तभी बन सकता हैं जब आपके विचार सरल और बेहतर होंगे जब आपके दिल में सभी के लिए दया,क्षमा, करुणा और सम्मान होगा। क्योकि ईश्वर ये नहीं कहते केवल मेरी पूजा करो मुझे 56 भोग लगाओ और बाकि मनुष्यो को यहाँ तक अच्छे कर्मो को भूल जाओ ऐसा तो ईश्वर नहीं कहते मगर आज के मनुष्य कर्मो को भुला कर पूजापाठ और भक्ति का सहारा ले कर ईश्वर को छलने का प्रयास कर रहे हैं जो उन्हें आशीर्वाद का नहीं दंड का भागीदार बना रहा हैं।

