* बेकसूर होकर भी जो सजा पा रही हैं,गुनहगार हैं कोई और मगर देश की बहु,बेटियां अपनी जिंदगी गवां रही हैं ।।
* क्या कसूर हैं उन बेटियों का जिनकी निर्मम हत्या हो रही हैं ? जिस नारी शक्ति से हैं अस्तित्व पुरुषों का, आज वहीं नारी उनके शोषण का शिकार बन रही हैं।।
* लड़की होना कोई अपराध नहीं,फिर क्यों तुम पुरुषों ने उन मासूम लड़कियों को कसूरवार ठहराया ? अपनी हवस मिटाने के खातिर क्यों तुमने उन्हें अपने हवस का शिकार बनाया ?
* शांति धारण की थी मैंने,ना ही की हैं अपनी हार स्वीकार,अब जो चिंगारी लगा दी तुमने,फिर मेरे भयंकर आक्रोश में जलने के लिए भी हो जाओ तैयार।।
*अब तक क्यों सो रहा उनका जमीर ? नारी पर अत्याचार होते क्यों चुपचाप सब देख रहे,जात -धर्म में बट कर तुम क्यों आपस में लड़ कर देश को तोड़ रहे।।
* एक नारी को अबला समझने की भूल फिर से की हैं तुमने,नारी के अस्तित्व को मिटाने का पाप फिर से किया हैं तुमने,मत भूलो तुम्हे भी अस्तित्व में एक नारी ही लाई हैं,जब -जब नारियों पर अत्याचार हुआ हैं उसका बदला लेने भी एक नारी ही इस धरा पर आई हैं।।