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सच्चे दिल से की गई दुआ कभी किसी को निराश नहीं करती, हमारे जीवन में कई उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है,मगर जब हमारा दुःख असहनीय होने लगता है तब एकमात्र दुआ ही हमे उम्मीद की एक किरण के रूप में दिखाई देती है।
1. दुआ कब और कैसे असर दिखाती है ?
दुआ खुद के लिए की जाए या किसी और के लिए ये सबके काम आती है,अक्सर जो लोग दुसरो के लिए दुआ करते है,बिना मांगे ही उनकी दुआ कबूल हो जाती है, क्योकि ईश्वर यही देखते है कि इस व्यक्ति में कितनी उदारता है जो ये खुद के लिए कुछ नहीं मांग कर दुसरो के हित के लिए दुआ कर रहा, ऐसी सोच जिस व्यक्ति की होती है वो ईश्वर के प्रिय भक्तो में से एक होते है और उनकी दुआएं बहुत जल्द अपना असर दिखाती है।परोपकार की भावना जिसके अंदर समाहित होती है,जो किसी का निरादर नहीं करता,जो किसी में भेदभाव नहीं करता,जो सबकी मदद के लिए सदैव तत्पर रहता है ऐसे दयालु प्रवृति वाले लोगो की दुआएं बहुत जल्द अपना असर दिखाने लगती है।
जैसा कि आप सब इस सत्य से वाकिफ है कि '' जीवन एक सफर है,जिस सफर में हमे कई मुसाफिर मिलते है और आगे भी मिलेंगे भले ही हमारा उनसे कोई रिश्ता नहीं मगर जिंदगी के सफर में हर राहगुजर हमे कोई ना कोई सीख अवश्य दे जाता है, जिसे हम भूल नहीं पाते मगर अपने दिल को एक तसल्ली दे देते है,कि क्या रिश्ता था,उस व्यक्ति से चलो भूल जाते है उनकी यादो को उनकी बातो को।
मैंने इस तथ्य को क्यों कहा क्या आप जानते है ? मैंने सफर की बात इसलिए कहा क्योकि आपकी जिंदगी में कई लोग आते जाते रहते है,अच्छे या बुरे आप अच्छे लोगो की बातो को याद रखते है मगर बुरे लोगो की बातो को आप भुला देना चाहते है क्योकि उनकी कठोर और कड़वी बाते आपके दिल को ठेस पहुंचाने का कार्य करती है, जिससे आपके जीवन पर गलत असर पड़ता है और आप दुखी हो जाते है। मगर आज अपने सारे दुख को भुला दो क्योंकि तुम्हे दुखी करने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता,ऐसा इसलिए क्योकि जो कर्म किसी के दुख का कारण बने यदि कोई उस कर्म को जानबूझ कर करता है ताकि दुसरो को कष्ट में देख उसे खुशी मिले तो ये उसकी भूल होती है।
2. अच्छे कर्मो का परिणाम।
अच्छे कर्मो का अपने जीवन में यदि तुमने चयन किया है, तो तुम्हे अच्छे ही परिणाम मिलेंगे,बिना मांगे ही तुम्हारी दुआएं ईश्वर पूर्ण करेंगे,मगर यदि तुमने बुरे कर्मो का चुनाव कर अपने जीवन को यदि गलत दिशा देने का प्रयास किया है,तो तुम्हारे द्वारा की गई कोई भी दुआ कभी तुम्हारे काम नहीं आ सकती ना ही कभी ईश्वर तुम्हारी दुआओं को स्वीकार करेंगे।क्योकि कर्म से ही जीवन को बदला जा सकता है,कर्म से ही भाग्य को भी सवारा जा सकता है,यदि कर्म ही सही नहीं तो तुम्हारा भाग्य और तुम्हारा जीवन कैसे दुआओ से भर सकता है ? कैसे तुम्हारी दुआ कबूल की जा सकती है ?और कैसे तुम्हारी दुआ अपना असर दिखा सकती है ?
3. कौन सी दुआ सबसे शक्तिशाली और प्रभावशाली कहलाती है ?
हमारे बड़े बुजुर्ग हमारे माता-पिता की सेवा करना हमारा परम कर्तव्य है,बहुत सौभाग्य की बात है जो हमे अपने बुजुर्गो की सेवा का अवसर प्राप्त होता है, क्योकि माता-पिता, दादा-दादी इन बड़े बुजुर्गो की दुआओं में बहुत ताकत होती है, यदि हमारे सर पर वो प्यार से एक बार भी अपना हाथ रख देते है, तो हमारी हर बला,हमारा हर दुःख हमसे दूर होने लगता है। माता-पिता में ही ईश्वर विराजते है, उनकी दुआओं से ही बंद किस्मत भी खुल जाती है,बहुत खुशनसीब होते है वो लोग जिनके घर में बड़े बुजुर्ग निवास करते है।
4. कामयाबी के शिखर को कौन छूते है ?
जब आप अपने बड़ो का सम्मान करते है,कभी किसी को तकलीफ नहीं पहुंचाते तो आपकी दुआ अपनी शक्ति और प्रभाव दिखाना शुरू कर देती है। गरीब हो या अमीर यदि आप किसी को स्वयं से छोटा नहीं समझते तो आपकी यही उदारता आपके जीवन को सही दिशा में ले जाती है और एक दिन आप कामयाबी की शिखर को भी बड़ी आसानी से छू लेते हो।
अपने मन में यदि आप लोभ,ईर्ष्या,नफरत,क्रोध,अभिमान,स्वार्थ को नहीं लाते तो आपकी सोच सदैव आपको बेहतर परिणाम देती है,जीवन के किसी भी मोड़ पर आप खुद को कभी अकेला महसूस नहीं करते है,क्योकि सबकी दुआओं का हाथ सदैव आपके ऊपर बना रहता है जो हर दुःख,मुसीबत में आपकी रक्षा करता है।
यदि आप किसी गरीब असहाय की मदद करते है, तो उसे भी सम्मान भरी नजरो से ही देखे,उसे छोटा समझने की भूल ना करे।क्योकि ईश्वर कब किस रूप में किसकी परीक्षा लेते है इसकी खबर किसी को नहीं होती इसलिए सदैव परोपकार और उदार भाव को अपने भीतर बसा कर रखे। कब किसकी दुआ क्या असर दिखा जाए इसकी खबर या अनुमान किसी को नहीं होता।
जब आप किसी की मदद करते है तो सदैव इस विचार को अपने दिल में बसा कर रखे कि ये आपकी खुशनसीबी है जो ईश्वर ने आपको इस काबिल बनाया कि आप ईश्वर के कार्यो में उनके भागीदार बनने का अवसर पा रहे है,क्योकि किसी को दान देने से उसकी मदद करने से आपका कुछ घटेगा नहीं ना ही नुकसान होगा बल्कि आप उससे कई अधिक पाएंगे एक उस व्यक्ति की दुआ आपको प्राप्त होगी जिसकी मदद आपने की, दूसरा ईश्वर आपसे प्रसन्न होंगे जिससे आप सदैव ईश्वर के सानिध्य में रहेंगे।