परिवर्तन है जरूरी।

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 अधिकता अक्सर बेहतर साबित नहीं होती क्योकि जब अधिक वर्षा होने लगती है तो आप उससे ऊबने लगते हो आपको किसी काम को करने की रूचि नहीं होती आप सोचते हो कब ये मौसम बदलेगा और वर्षा थमेगी ताकि हम घर से बाहर निकल सके। 


जब मौसम करवट लेता है और अधिक गर्मी पड़ने लगती है तो आप गर्मी से भी ऊबने लगते हो क्योकि अधिक गर्मी किसी से भी सहन नहीं हो सकती ऐसे में आप सोचते हो कम बारिश हो और ठंडी हवा से मौसम सुहाना हो ताकि आपको गर्मी से निजात मिल सके। ये समय का चक्र है जिसे कोई नहीं रोक सकता। समय के साथ मौसम में बदलाव आते है कभी गर्मी, कभी शीत ऋतु कभी पतझड़ कभी बरसात।


1. मानव जीवन के लिए आने वाला समय क्यों होगा कठिनाइयों से भरा ?


प्रकृति से छेड़छाड़, प्रकृति से खिलवाड़, पृथ्वी का अनादर इस बात का प्रमाण देता है कि आने वाला समय मानव जीवन के लिए कठिनाइयों और चुनौतियों से भरा होगा क्योकि जो बिना देखे बिना सोचे आगे बढ़ते है वो अक्सर मुँह के बल गिरते है। 


2. परिवर्तन क्यों है जरूरी ?


 परिवर्तन ही संसार का नियम है समय-समय पर प्रकृति अपने भिन्न-भिन्न स्वरूप में अवतरित होती है जब प्रकृति में बदलाव आता है तो उसका असर आप सभी मानव जाति पर भी पड़ता है, क्योकि आप उस प्रकृति से जुड़े है आप उस प्रकृति के ही संतान है प्रकृति इस समस्त संसार को धारण करने वाली अधिष्ठात्री है जो अपने मूल स्वरुप में बस एक बार ही प्रत्यक्ष प्रकट होती है जब संसार में पाप और अधर्म में वृद्धि होने लगती है जब पाप अपनी सारी सीमाएं लांघ जाता है तब प्रकृति अपने मूल स्वरूप में प्रकट हो कर समस्त संसार में प्रलय और विनाश आरंभ करती है। 


मानव अक्सर एक भूल कर जाते है वो इस बात को भुला देते है कि जिस धरा पर वो रह रहे है और जहां रह कर वो उत्पात और आतंक से किसी अन्य को क्षति पहुंचा रहे है असल में वो खुद ही अपने कुचक्र में फंस रहे है क्योकि तुम भूल चुके हो अपना कर्तव्य और अपने नियम मगर प्रकृति कुछ नहीं भूलती उसे सबके प्रत्येक कर्मो का पता है। नादान हो तुम ये कैसे भूल गए जिस घर में तुम निवास करते हो यदि तुम उस घर की नींव को अपने हाथो से नष्ट करने की भूल करोगे तो आघात तुम्हें ही पहुंचेगा क्योकि जिस घर की नींव क्षतिग्रस्त हो जाती है वो घर टूट कर बिखर जाता है इसमें नुक्सान केवल घर का ही नहीं बल्कि उस घर में रहने वाले सभी सदस्य को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। 


हाँ मैं मानती हूँ कि आपने बड़ी मेहनत और अपने पैसो से अपने गृह का निर्माण किया तो वो गृह वो स्थान आपका कहलाया मगर आपका गृह और आप किसकी शक्ति के द्वारा इस धरा पर टिके है ? शायद आप इसे भूल गए हो।

 

अपने घर की नींव भले ही आपने रखी है मगर इस समस्त संसार की नींव उस प्रकृति ने रखा है इस बात को कदापि ना भूले। अपने,पराए के मतभेद से बाहर आए और युग परिवर्तन में खुद को ईश्वर का सहभागी बनाएं। क्योकि यदि आप खुद को सुरक्षित देखना चाहते है तो सर्वप्रथम खुद में सुधार लाए। 


एक नए समय का आरंभ है ये एक अँधेरी रात के बाद सुबह के उजाले की शुरुआत है ये, क्योकि परिवर्तन है जरूरी।  



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  1. Very lovely article by you, after reading this article people will experience a new change in themselves.

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