अनुचित है भाग्य को कोसना।

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1. अनुचित है भाग्य को कोसना। 


भाग्य किसी का खराब नहीं होता, ना ही कोई अभागा होता है। फिर ना जाने किस व्यर्थ की चिंतन में ये समस्त संसार डूबता है ? तुमने यदि किसी ज्योतिष या पंडित के कथनों को सत्य मान कर अपने भाग्य को कोसना शुरू किया है, तो ये मान लेना कि तुमने स्वयं ही अपने भाग्य के दरवाजे को बंद करने का कार्य किया है। ये तो समय का खेल है, ये समय कब किसे कहां ले जाएगा इसकी खबर किसी को नहीं, मगर जिसने व्यर्थ की चिंतन में अपना सारा समय बर्बाद किया उसका अच्छा समय कैसे आएगा ?


आज दुख है,तो कल सुख भी आएगा। हर घनी अंधेरी रात के बाद सुबह का रोशन उजाला अवश्य आएगा।तुमने यदि अपनी आँखे नहीं खोली तो तुम्हे सुबह के उजाले का एहसास कैसे होगा ?


2. अच्छे बुरे समय का जिम्मेदार मनुष्य खुद होता है। 


समय कभी विपरीत कार्य नहीं करता, यदि समय किसी के भी विपरीत कार्य करता तो घड़ी का कांटा सीधे की जगह उल्टा घूम रहा होता। बल्कि तुम खुद समय के साथ नहीं चल रहे हो, व्यर्थ की बातो में अपना कीमती समय बर्बाद कर रहे हो।तुम खुद गलती करते हो, तुम खुद लापरवाही बरतते हो और सारा दोष अपने भाग्य को देने लगते हो, ये तुम्हारी मूर्खता नहीं तो फिर और क्या है ?


यदि सबको मेरी बात सही प्रकार से समझ नहीं आई तो मैं सरल भाषा में समझाती हूँ, मान लो तुम रसोई में भोजन पका रहे हो, तुम जान बुझ कर गर्म कढ़ाई को अपने हाथ से छूने का प्रयास करोगे तो तुम्हारा हाथ जलेगा ही इसमें तुम्हारे भाग्य का क्या कसूर ? ये तो तुम्हारी भूल और लापरवाही का फल है, जो तुम नहीं मान रहे हो, बल्कि किसी और को इसका दोषी ठहरा रहे हो। 


समस्या यूंही किसी के पास चल कर नहीं जाती, जब तक कोई समस्या को खुद आमंत्रित करने का प्रयास नहीं करता, कोई समस्या उसे परेशान नहीं कर सकती। इस संसार की समस्या ये है कि इस संसार के मनुष्य जागृत अवस्था में नहीं है, सब अभी भी सो रहे है, मेरी बाते थोड़ी अजीब लग सकती है, मगर यही सत्य है, इससे स्वीकारना ही होगा समस्त संसार को। 


जो तुम्हारे बस में है, तुम उसे करो, जो तुम्हारे बस में है ही नहीं फिर क्यों व्यर्थ में उसकी चिंता कर तुम अपना जीवन बर्बाद कर रहे हो ? तुम्हारे अज्ञान की वजह से तुम्हारा ज्ञान ढका है, तुम्हारी भूल की वजह से भाग्य भी तुम्हारे खिलाफ खड़ा है, तुम्हारी लापरवाही की वजह से तुम्हारा समय भी तुम्हारे विपरीत खड़ा है, फिर तुम दोषी हुए या तुम्हारा भाग्य ?


3. क्या हम अपनी जिंदगी बदल सकते है ?


एक बात सदैव याद रखना जिंदगी तुम्हारी है, तुम जैसे चाहो वैसे अपनी जिंदगी को दिशा प्रदान कर सकते हो, भाग्य तुम्हारा है, तुम जैसे चाहो अपने भाग्य को बना सकते हो, समय भी तुम्हारा है, तुम जैसे चाहो समय का उपयोग कर सकते हो, मगर यदि तुम्हे अपनी जिंदगी, अपने भाग्य और अपना समय सुनहरा और उज्जवल चाहिए तो उसके लिए तुम्हे अपनी निद्रावस्था को त्याग कर जागृतावस्था में आना होगा अर्थात व्यर्थ की बातो से और व्यर्थ की चिंताओं से बाहर निकलना होगा, अपनी मेहनत सच्ची लगन और अच्छे कर्मो का चुनाव कर अपने जीवन में आगे बढ़ना होगा तभी तुम्हारा कल्याण संभव है। 



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