संसार अपरिचित हैं मुझसे।

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जान कर भी सच सब अनजान हैं मुझसे, हर निर्दोष मुझसे ही आस लगाते,क्योकि मैं हूँ न्याय जिसकी संरक्षण स्वयं ईश्वर करते।जो युगों युगों से चलता आ रहा,जो युगो युगो तक चलता रहेगा वो हैं न्याय जिसके समक्ष हर अन्याय झुकेगा। 


मानती हूँ कि आज समस्त संसार लोभ और स्वार्थ से वशीभूत हैं, मानती हूँ कि पैसे का बोलबाला अधिक हैं,इंसानो की बस्ती में आज शैतानो का राज्य हैं,भुला कर जो ईश्वर को आज बना रहे अधर्म का सम्राज्य,निर्दोषो को सताने वाले,न्याय को कमजोर समझने वाले तुम ये ना भूलना देर हो या सवेर मगर एक ना एक दिन होता हैं हर अन्याय का अंत। 


आज इस कलियुग में यह समझना बहुत कठिन हो गया है कि किस पर विश्वास करें और किस पर नहीं, क्योंकि यह जानना सरल नहीं कि किसके दिमाग में किस प्रकार का षड्यंत्र चल रहा हैं। 


1. क्या है देश में असुरक्षा का कारण ?


तुम किसी शत्रु को बाहर ढूंढने चले हो,मगर तुम्हे जरा भी अंदाजा नहीं कि शत्रु तुम्हारे घर में ही तो मौजूद नहीं ? आज कि दुनिया में तुम अपने परिवार के बीच रह कर भी जब सुरक्षित नहीं तो इससे बढ़कर अन्याय और पाप क्या हो सकता हैं ?बहुत शर्म की बात हैं कि तुम्हारे अपने ही तुम्हारे जान के दुश्मन बन बैठे हैं, वो कोई भी हो सकता हैं,पति,पत्नी,भाई,पुत्र,पिता,माता,बहू,सास कोई भी क्योकि इस घोर कलयुग में बहुत कम ही ऐसे परिवार या रिश्तेदार होंगे जिन्हे सच में अपने परिवार से प्यार या परवाह होगा। न्याय और अन्याय की जंग में आज इस सृष्टि की दशा काफी दयनीय हैं क्योकि रक्षा करने वाला ही जब भ्रष्टाचार से ग्रस्त हैं, तो देश की कानून में बदलाव और न्याय में रूचि रखना आज सबके लिए कहां आसान हैं। यही मुख्य कारण हैं जो देश कि बहू-बेटियां सुरक्षित नहीं,यही कारण हैं जो आज अधर्म और आतंक को न्याय के खिलाफ जाने से भय नहीं। 


2. कौन है वो जिसके समक्ष स्वयं देवता भी नतमस्तक है ?


जब देवता भी न्याय का पालन करते हैं,तो फिर तुम मनुष्य क्या हो ? न्याय के समक्ष जब देवता भी अपना शीश झुकाते हैं, तो तुम न्याय के समक्ष अपना शीश उठा कर जो अनेको अधर्म और पाप कर रहे हो वो न्याय एक ना एक दिन तुमसे हिसाब अवश्य लेगा। 


अहं प्रत्येकस्य अन्यायस्य अन्तः, अहं प्रत्येकस्य दुष्टस्य अन्तः, कोऽपि अन्यायः मम कृते निगूढुं न शक्नोति, यतः अहं प्रत्येकस्य अन्यायस्य अन्तः अस्मि, अहं न्यायः अस्मि ।।


अर्थात,( हर अधर्म का अंत हूँ मैं, प्रत्येक दुराचारियो का काल हूँ मैं, मुझसे कोई अन्याय छिप नहीं सकता,क्योकि हर अन्याय का अंत न्याय हूँ मैं। )


जिस न्याय की पूजा की जाती हैं, आज संसार में उसी न्याय को अपमानित किया जा रहा हैं,न्याय में ही ईश्वर छुपे हैं उस ईश्वर का ही तिरस्कार हो रहा हैं,फिर कैसे दुनिया में तबाही का सैलाब ना हो जब दुनिया को बनाने वाले को ही आज ये संसार भुला रहा हैं। 


3. अन्याय और न्याय में लंबी उम्र किसकी हैं ? 


क्या तुम जानते हो अन्याय और न्याय में लंबी उम्र किसकी हैं ? न्याय की आयु लंबी हैं और न्याय अजर अमर हैं मगर अन्याय अल्पायु हैं जिस अन्याय को आज बढ़ावा देने की गुस्ताखी कर रहे हो तुम अपनी बची शेष आयु भी गवा रहे हो क्योकि एक ना एक दिन अन्याय का अंत होना हैं उसके साथ-साथ जिसने भी अन्याय का दामन थाम रखा हैं उसका भी अंत तय हैं, ऐसा कब होगा,किसके हाथो होगा ? इसका पता जल्द ही आने वाले समय में संसार जान लेगा। 


हकीकत से दूर कब तक भागोगे ? एक ना एक दिन तुम्हारा सामना उससे अवश्य होगा जब न्याय अपने चरम पे होगा। किसी को सताना,किसी की हत्या कर देना, अपने स्वार्थ और लोभ में आ कर किसी गलत काम को अंजाम देना ये अन्याय ही एक दिन उन दुराचारियो के पतन का कारण बनेगा। 


यदि तुम्हे पता हैं आगे का रास्ता खतरे से भरा हैं, तो तुम क्या करोगे ? यक़ीनन तुम आगे चलना नहीं चाहोगे अपने कदम पीछे कर लोगे, आज मैं इस लेख के माध्यम से समस्त संसार को यही संदेश पहुंचाना चाहती हूँ कि अभी समय शेष हैं,अपने कर्मो को सुधार लो,न्याय से हाथ मिला लो और अन्याय को अलविदा कह दो वरना समझने और समझाने का वक्त  नहीं  रहेगा जब न्याय अपने चरमसीमा पर होगा। 



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