मंजर एक बड़े तबाही का।

World Of Winner
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 आज इस बदलते युग में इंसान इतना बदल गया है कि सही और गलत को परखना वो भुला चुका है। क्या है उचित और क्या है अनुचित इसका ज्ञान और हुनर इंसान खो चुका है। 




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1. कैसे होता है कर्मों का हिसाब ?


कभी भी एक बात ना भूले कि आप इंसान है भगवान नहीं जो आप लोगों के जज़्बात के साथ खेल कर उनके साथ अन्याय कर खुद को महान समझोगे, क्योकि कर्म ही इंसाफ करता है, कर्म ही तुम्हारा सर्वनाश की वजह भी बनता है। यदि तुमने अच्छे और पुण्य कर्म किए है तो तुम्हें इंसाफ अवश्य मिलेगा यदि तुमने गलत और बुरे कर्म किए है तो तुम्हारा कर्म ही तुम्हारे सर्वनाश का कारण बनेगा। 


मैंने देखा है बहुत से लोग अच्छी किताबों को, अच्छी बातों को नजरअंदाज करने की भूल कर जाते है, क्योकि कुछ लोगो को बनावटी बातें, दिखावा करना ज्यादा पसंद आता है। आज कल लोग यही तो कर रहे है, घर हो या बाहर, सोशल मीडिया हो या ईश्वर का दरबार, कहीं भी लोग दिखावा करना नहीं छोड़ते है। लोग उन्हें ज्यादा समर्थन देते है जो गलत और बेबुनियाद की बाते करते है, जो दूसरों को गुमराह करते है, जो अपनी स्वार्थ के लिए लोगों के गलत फैसलों में भी हामी भर देते है। 


आज कल तो सोशल मीडिया अपनी चरमसीमा पर है यहां हर तरह के लोग मौजूद है, अच्छे और बुरे सभी। जो हर वक्त अश्लील हरकतों से सबका मनोरंजन करते है, लोग उन्हें कभी नजरअंदाज नहीं करते बल्कि वहां तो एक भीड़ जमा हो जाती है, सब उस शख्स को फॉलो करने लग जाते है। 


आज हमारे देश में युवा पीढ़ी जिस तबाही के मंजर को देख रही उस तबाही की जिम्मेदार वो स्वयं है। एक वो दौर था जब हर स्त्री निति, कायदे, कानून, गरिमा,मर्यादा,संस्कृति और संस्कार नहीं भुला करती थी, कभी अश्लीलता नहीं परोसा करती थी मगर आज नाम और पहचान बनाने के लिए, पैसा कमाने के लिए देश में ना जाने क्या कुछ नहीं हो रहा, मगर इसे रोकना किसी के बस में नहीं क्योकि सब इस तबाही में शामिल हो चुके है।  


2. एक ऐसा कानून जिसे ना कोई बदल सकता ना ही उसके खिलाफ जा सकता। 


आज ऐसे लोग आगे बढ़ रहे है जो अनीति को फैला रहे है, आज ऐसे लोगों को सम्मान मिल रहा जो सबके सम्मान को मिटाने के प्रयास में लगे है। मगर ये सब कुछ क्षण के लिए है क्योकि इंसान यहां के नियम और कानून को बदल सकता है, यहां के नियम और कानून के साथ खेल सकता है मगर जिसने इंसान को बनाया उस खुदा के नियम और कानून को बदलने की ताकत ना तो किसी में हुई है और ना कभी हो सकती है। क्योकि आग से खेलना स्वयं को भस्म करने की भूल कहलाती है, जो भूल इंसानो से हुई है और हो रही है उसकी भरपाई भी वही करेंगे जिन्होंने इसकी शुरुआत की है। 


3. कुदरत का न्याय कैसे होता है ?


आज जो सुख तुम्हें आनंद दे रहा वही कल तुम्हारे दुःख की वजह बनेगा क्योकि उस सुख को पाने का तरीका गलत था, आज जो मनुष्य अच्छे हो कर भी दुःख प्राप्त कर रहे कल उनका दुःख सुख में बदल जाएगा क्योकि ये न्याय है उस कुदरत का, ये न्याय है मनुष्य के पुण्य कर्मो का, ये न्याय है उस विधाता का,यही कानून है उस ईश्वर का।चाहे रात्रि हो या सवेरा वो गुजर ही जाता है, क्योकि परिवर्तन ही संसार का नियम है हर अंत के बाद एक नई शुरुआत के लिए, अधर्म और पाप के अंधकार को मिटाने के लिए और पुनः संसार को सच्चाई से अवगत कराने के लिए। 




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