जल्द होगा संसार न्याय से रूबरू।

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1. क्या है रिश्ते में अविश्वास का कारण ?


जैसे-जैसे ये समय बढ़ते जा रहा, वैसे-वैसे समय के साथ सभी मनुष्यों में भी बदलाव आ रहा है, क्योकि आज इस बदलते युग में मनुष्य अपनी सभ्यता, संस्कृति, पुराने उचित संस्कार को भुला चुका है।इसका परिणाम आज आप सबके सामने है, ना तो माता पिता को अपनी संतान पर विश्वास रहा, ना तो पति पत्नी को एक दूसरे पर विश्वास रहा, आज के युवा और युवती अब बस अपने स्वार्थ के लिए कोई भी रिश्ता निभाते है, सच्चा प्रेम, वफादारी, अब ये सब बस नाम के लिए रह गया है, बहुत कम ही ऐसे लोग होंगे जिनके दिलों में आज भी सच्चाई और वफादारी जीवित होगी। 


2. जीवन में केवल पैसे को महत्व देने वाले ध्यान दे। 


एक पैसा ही यदि तुम्हारे लिए सब कुछ है, तो ये मान लेना तुम अपनी बर्बादी के बहुत नजदीक हो और अपनी बर्बादी के जिम्मेदार तुम खुद होंगे क्योकि जिस पैसे के लिए तुम अपनों से बगावत कर रहे हो अंतिम क्षणों में वो पैसा भी तुम्हारे किसी काम नहीं आएगा। जरूरी नहीं हर जगह पुरुष ही गलत होते है और नारी सही होती है, कभी-कभी पुरुष सही होते है, और नारी गलत होती है, जो स्वार्थ की पूर्ति के लिए अपने पति को धोखा देती है, उनसे पैसे और जायदाद के लिए बगावत करती है।


 ये सत्य है कि एक नारी यदि चाहे तो अपने बिखरे घर को समेट कर उसे स्वर्ग बना सकती है, नारी यदि चाहे तो एक स्वर्ग जैसे सुखी घर को नर्क बना सकती है। आज इस बदलते युग में यही आप सब देख रहे है जिससे नारी शक्ति की मर्यादा भंग हो रही है। मैं भी एक नारी हूँ मगर क्यों मैं एक नारी को आज दोषी ठहरा रही इसके पीछे कोई तो कारण अवश्य होगा वरना एक नारी दूसरी नारी के खिलाफ क्यों खड़ी हो सकती है ?


आप हर दिन नई खबर और समाचार देखते और सुनते रहते है, जिससे आपको एक नई सीख मिलती है, या आपका मनोबल टूटने लगता है, आपका विश्वास हर रिश्ते को ले कर कमजोर पड़ने लगता है, कि ये जमाना इतना बदल गया है कि अब तो अपने साए पर भी विश्वास नहीं रहा फिर हम किसी पर क्या विश्वास करेंगे ?


3. अपने अंदर छिपे शैतान को कैसे हराए ?


मगर बस ऐसे ख्यालात से आपकी समस्या का कोई हल नहीं निकल सकता। जब तक मनुष्य स्वयं में बदलाव नहीं लाता तब तक उसके जीवन में कोई बदलाव नहीं आ सकता, कहने का अर्थ ये है कि अपने अंदर छिपे शैतान को तुम्हें खुद ही हराना होगा, अपने भीतर इंसानियत, करुणा, दया, विनम्रता, सहानुभूति, हिम्मत को तुम्हें खुद ही जगाना होगा और निर्भय हो कर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना होगा अन्यथा तुम्हें कोई रास्ता दिखाने नहीं आएगा और ना ही कोई तुम्हारे दुख और तकलीफ को समझ पाएगा, चाहे तुम पुरुष हो या नारी तुम्हें अपने विवेक से काम लेना सीखना होगा क्योकि अक्सर क्रोध और आवेश में आ कर किया गया फैसला तुम्हारे ही अहित का कारण बनता है। 


सोशल मीडिया आपके मनोरंजन का साधन है ना की आपके जीवनसाथी को तलाशने का जरिया, क्योकि जिसे आपने जाना नहीं, जिसे आपने कभी देखा नहीं, जिससे आप कभी मिले नहीं, जिसके विषय में आपको कोई जानकारी नहीं, उससे कुछ पल प्यार के मीठे बोल बोलने से कोई आपका सच्चा और वफादार जीवनसाथी नहीं बन जाता, जीवनसाथी का मतलब भी जिसे सही से नहीं पता वो क्या आपका जीवनसाथी बनेगा या बनेगी ?


ये जो आज कल आप नए-नए ऐप्स पर लोगों को डेट कर रहे है, इससे बेहतर होगा आप सही समय और सही जीवनसाथी का वेट कर ले। क्यों आप खुद ही किसी के निशाने का शिकार बनने की भूल कर रहे है ? अभी भी वक्त है अपनी जिंदगी को बर्बाद होने से बचाने का, अभी भी वक्त है अपनी हर भूल को सुधारने का, अभी भी वक्त है अपने भीतर एक अच्छे बदलाव को लाने का, अभी भी वक्त है अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने का, क्योकि सबसे बड़ा कानून आपके अंदर छिपा है जो आपको कभी अन्याय नहीं दिला सकता यदि आपका नेतृत्व सदैव नेक और भलाई के लिए सबके हित में रहा है। 


ये जीवन बहुत अनमोल है, इसकी कद्र करें, तनाव या आवेश में आ कर अपने जीवन को समाप्त करने का पाप और अन्याय कदापि ना करें अन्यथा मर कर भी आपको कभी न्याय नहीं मिल सकता क्योकि अपने जीवन को खुद खत्म करना भी एक जुर्म है अन्याय है, जिसे ईश्वर कभी क्षमा नहीं करते। 


यदि अपने शत्रु को हराना है तो तुम्हें जीना होगा, यदि तुम्हें न्याय चाहिए तो अन्याय के लिए आखरी सांस तक लड़ना होगा, तभी तुम्हारी जीत संभव है, क्योकि ये एकमात्र तुम्हारी लड़ाई नहीं बल्कि ईश्वर और अन्याय की लड़ाई है, क्योकि न्याय में ही ईश्वर का वास है, फिर क्यों आज भरी सभा में अन्याय उठा रहा न्याय पर इतने सवाल ? यदि तुम सही हो तो अपने हक के लिए लड़ना सीखो अन्याय के हर प्रश्न का जवाब देना सीखो। 


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