क्या वाकई तीर्थ स्नान से सारे पाप धूल जाते है ?

World Of Winner
2


(toc) #title=(Table Of Content)


 1. क्या वाकई किसी तीर्थ या गंगा में डुबकी लगाने से सारे पाप धूल जाते है ?



यदि ऐसा है तो फिर कोई भी अधर्मी दुष्ट असुर अपने पाप से मुक्ति पाने के लिए गंगा में डुबकी लगा कर अपने सभी पाप और कुकर्मो से मुक्ति पा जाता और उसका अंत ईश्वर के द्वारा ना होता और वो स्वर्ग में निवास का अधिकारी हो जाता। 


आपका कर्म ही आपको पुण्य और पाप का भागीदारी बनाता है यदि आपने अपने फायदे के लिए किसी का इस्तेमाल नहीं किया, यदि आपने लोभ में आ कर कोई गलत कार्य नहीं किया, यदि आपने अपने बड़े बुजुर्गो का माता पिता का कभी दिल नहीं दुखाया तो आप पाप के भागीदार नहीं हो सकते और ना ही आपको कभी अपने कर्मो पर शर्मिंदा होना पड़ेगा मगर यदि आपने सदैव गलत रास्ते पर चल कर सबको कष्ट पहुंचाने का प्रयास किया है अपने अहंकार में चूर हो कर सदैव सबको निचा दिखाने का प्रयास किया है, सदैव अपनों से अधिक आपने पैसे को अहमियत दिया है, और अपने माता पिता का अपमान किया है तो आप चाहे कितने भी तीर्थ और गंगा में डुबकी लगा ले आपके पाप कभी धूल नहीं सकते और ना तो आप अपने बुरे कर्मो से कभी निजात पा सकते है। क्योकि मनुष्य जैसा कर्म करता है वही लौट कर उसके पास जाता है। 


नहाए धोए क्या हुआ, जब मन का मैल ना जाए, 

चाहे जाए काशी, चाहे नहाए गंगा,

 बुरे कर्मो से कोई बच ना पाए।


किस विडंबना में जी रहे आप ? जो सच है उसे आप झुठला रहे और जो झूठ और असत्य  है उसे आप सत्य मान रहे। मनुष्य हो कर आप दूसरे मनुष्य से घृणा करते हो गैरो की तो छोड़ो आप अपनों के लिए भी कांटे बिछाते हो, ना रहा अब कोई रिश्ता किसी काम का, रह गया अब हर रिश्ता बस नाम का। 


2. जो 56 भोग आप भगवान को खुश करने के लिए चढ़ाते हो वो भोग क्या वाकई भगवान खाते है ?


ये तो केवल आपके तसल्ली की खातिर आप करते हो, मगर यदि सत्य कहूं तो यदि आप किसी भूखे या गरीब को वो भोजन करा दो तो यकीनन  भगवान तुम्हारे चढ़ावे को स्वीकार कर लेंगे क्योकि एक निर्धन भी ईश्वर की ही संतान है और एक धनी व्यक्ति भी ईश्वर की ही संतान है, एक संतान नंगे पाँव कांटो भरी रास्ते पर चले और दूसरी संतान पाँव में जूतियां पहन कर मखमल पर चले तो ईश्वर को एक संतान की पीड़ा और दूसरी संतान की खुशियां सुकून नहीं पहुंचा सकती, क्योकि हमारे शरीर का एक हिस्सा यदि पीड़ा में है तो हम कैसे सुकून महसूस कर सकते है ?


इस वहम और इस विडंबना से बाहर निकलने का प्रयास करें समय किसी का एक समान नहीं रहता आज जो दुःख का समय है कल वो सुख का समय होगा, आज जो पाप कर्म करने के बाद भी सुख में है कल उनके सुख का अंत होगा जब उनके कर्मो का किताब ईश्वर के समक्ष खुलेगा। 


Post a Comment

2Comments

Post a Comment