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1. ज्ञान का वास्तविक अर्थ क्या हैं ?
ज्ञान का वास्तविक अर्थ होता हैं एक ऐसी प्रतिज्ञा जो सदा जग के हित का कारण बन सके सबके प्रगति का कारण बन सके जिसमे ना कोई अहंकार का वास हो ना ही स्वार्थ का वास हो। एक असली ज्ञान वही कहलाता हैं जो सही और गलत का भलीभाति आकलन कर सके। एकमात्र शिक्षा ग्रहण कर,बड़ी डिग्रीया हासिल कर कोई इंसान महाज्ञानी नहीं कहलाता।
तुम्हारी शिक्षा तभी सार्थक हैं जब तुम्हे अपनी शिक्षा और ज्ञान पर कभी अहंकार ना हो, तुम दूसरो को खुद से तुच्छ समझने की यदि भूल नहीं करते तभी तुम एक शिक्षित इंसान कहला सकते हो। जहाँ ज्ञान होता हैं वहाँ हर समस्या का समाधान होता हैं, ज्ञान एक ऐसा बहुमूल्य रत्न हैं जो यदि किसी में समा जाए तो वो उसे पत्थर से हीरे में तब्दील कर देता हैं।
किताबो को पढ़ कर यदि उसमे लिखी बातो को आप नहीं समझते तो आपको कभी सही ज्ञान का परिचय नहीं हो सकता। केवल किताबो को रटना केवल अपने शौक के लिए उससे पढ़ने से कोई फायदा नहीं होता जबतक उसमे लिखे शब्दों को आप गहराई से नहीं समझेंगे। आपको शिक्षित करने का उदेश्य क्या हैं ?
ये भलीभाति आपके माता पिताऔर आपके गुरुजन समझते हैं। कभी-कभी कुछ छात्र किताबो को समझने के बजाय उसको रटने लगते हैं उन्हें लगता हैं ऐसे उन्हें बड़ी सरलता से सब याद हो जाएगा मगर यही उनकी भूल होती हैं। क्योकि जबतक आप किसी शब्द को उचित प्रकार समझने का प्रयास नहीं करोगे वो शब्द आपको कभी समझ नहीं आ सकते हैं रटने से आप उस विषय को कुछ पल कुछ समय ही याद रख सकते हो मगर यदि उसे भलीभाति समझ कर पढ़ लिया तो आजीवन आपको वो याद रहेगा यही से शुरुआत होती हैं आपके ज्ञान के विस्तार की।
2. क्या हैं ज्ञान का महत्व ?
ज्ञान का जो महत्व इस संसार में माना गया हैं उसे समझना हर किसी के बस की बात नहीं। क्योकि आप पैसे चाहे कितने कमा लो आप कितने भी धन-दौलत इकट्ठे कर लो मगर ज्ञान के समक्ष वो सब निरर्थक हैं। धन-दौलत, पैसा आपको हर जगह सम्मान नहीं दिला सकता मगर जिसमे ज्ञान का वास होता हैं उसे दुनिया में हर जगह सम्मान प्राप्त होता हैं, क्योकि सम्मान माँगा नहीं जाता सम्मान पाया जाता हैं और सम्मान वही पा सकता हैं जिसमे सही ज्ञान का समावेश होता हैं।
ज्ञान एक ऐसा वरदान हैं जो किसी भी साधारण मनुष्य को असाधारण में बदल देता हैं क्योकि ज्ञान से ही व्यक्ति का विवेक स्थिर होता हैं वो कभी विचलित और परेशान नहीं हो सकता। क्योकि ज्ञान से ही आप हर समस्या का हल ढूँढ पाते हैं, ज्ञान से ही आप अच्छे बुरे के बीच का फर्क समझ पाते हैं, ज्ञान से ही हर निर्णय आप बड़ी आसानी से ले पाने में सक्षम होते हैं।
जो पैसा आप कमाते हैं वो स्थाई नहीं आज आपके पास हैं कल वही किसी दूसरे के पास होगा एकमात्र आपका ज्ञान ही आपका सच्चा साथी,आपका सारथि कहलाता हैं जो आपको छोड़ कर कभी किसी अन्य के पास नहीं जा सकता। ज्ञान चाहे कितना भी बांटो मगर ज्ञान कभी खत्म नहीं होता। ज्ञान एक ऐसी शक्ति हैं जिसे ना तो किसी अस्त्र की जरुरत हैं ना किसी सहायक की क्योकि ज्ञान में ही अद्धभुत शक्ति निहित होती हैं। ज्ञान आपको किसी भी बड़ी से बड़ी चुनौतियों से लड़ने की शक्ति, बुद्धि और युक्ति प्रदान करता हैं। जिसमे ज्ञान का वास होता हैं वो अपने शत्रु को भी मित्र में तब्दील कर देता हैं।
3. कब बन जाता हैं ज्ञान एक अभिशाप ?
जब किसी व्यक्ति को अपने अर्जित शिक्षा और ज्ञान का अहंकार होने लगता हैं तो उस वक़्त उसका वो ज्ञान उसके लिए एक अभिशाप बन जाता हैं। क्योकि अपने ज्ञान को वो सही दिशा में ले जाने कि जगह गलत दिशा में ले जाता हैं जिससे अहंकार वश उससे कई भूल होने लगती हैं क्योकि व्यक्ति का अहंकार उसके विवेक को हर लेता हैं। अंततः यही अहंकार सबके पतन का कारण बनता हैं।
ज्ञान में अहंकार,स्वार्थ,ईर्ष्या,नफरत,क्रोध का कोई स्थान नहीं होता। यदि शिक्षित होने के बावजूद भी आपमें ऐसे विकार मौजूद हैं तो आपकी शिक्षा में कोई त्रुटि अवश्य होगी। फिर आपको ज्ञान का सही मतलब ही नहीं पता क्योकि जब ज्ञान किसी में जगह बनाने लगता हैं तो उस व्यक्ति में खुद ही सकारात्मक बदलाव आने लगते हैं।
एक सही ज्ञानी इंसान वही हो सकता हैं जो सबको एक समान समझे। यदि शिक्षित होने के बावजूद भी आप किसी का अहित कर रहे किसी को कष्ट पहुँचा रहे तो ये अवश्य समझ जाना तुम्हारा ज्ञान अब तुम्हारे लिए एक अभिशाप बन चूका हैं। यदि शिक्षित होने के बावजूद भी तुम अपने बड़े बुजुर्गो को माता पिता को सम्मान नहीं देते,तो तुम्हारा ज्ञान तुम्हारी शिक्षा किसी काम की नहीं।
गालियाँ देना, बद्तमीज़ी करना, किसी का मजाक बनाना,किसी की निंदा करना, ये सब बुरी आदते यदि शिक्षित होने के बावजूद तुम्हारे भीतर मौजूद हैं तो ये मान लेना वास्तविक ज्ञान क्या होता हैं तुम्हे उसका बोध नहीं तुम्हारी ये शिक्षा ये डिग्री एकमात्र कागज़ के टुकड़े की भाति बन कर रह गई हैं जिसका कोई महत्व नहीं।
4. कब बन जाता हैं ज्ञान एक वरदान ?
जब ज्ञान किसी के चेहरे की उदासी को दूर कर उसके चेहरे की मुस्कान बने तो वो ज्ञान वरदान कहलाता हैं। चाहे तुमने कितनी भी बड़ी डिग्री हासिल कर ली हो मगर तुम्हे उसका कोई अभिमान नहीं तो ये मान लेना तुमने वास्तविक ज्ञान को पा लिया हैं।
यदि शिक्षा ग्रहण करने के बाद कामयाबी हासिल करने के बाद भी किसी ऊंचे बड़े पद को हासिल करने के बाद भी यदि तुम्हारी नजरो में कोई बड़ा-छोटा नहीं सभी एक समान हैं तो ये समझना तुम्हारा ज्ञान सही दिशा में हैं। यदि तुम अपने बड़े बुजुर्ग माता पिता सभी को दिल से सम्मान देते हो उनकी अहमियत को समझते हो तो ये समझ लेना तुमने अपने ज्ञान को वरदान में बदल दिया।
यदि तुम्हारे अंदर कोई बुरे विकार, नफरत,ईर्ष्या, क्रोध,अहंकार और स्वार्थ का वास नहीं तो ये समझ लेना वास्तविक ज्ञान क्या होता हैं तुमने ये जान लिया और अपने ज्ञान की शक्ति से तुमने अपने ज्ञान को वरदान में तब्दील कर दिया।
आपका ज्ञान ही आपको सही पहचान से अवगत करता हैं, आपके लिए क्या सही हैं और क्या गलत ये आपका ज्ञान ही आपको एहसास कराता हैं। बिना ज्ञान के ये जिंदगी अधूरी हैं जहाँ ज्ञान नहीं वहाँ कोई दिव्यता नहीं क्योकि ज्ञान का विकास ही किसी मनुष्य को जीवन में सफल बनाने का कार्य करता हैं। अपने अर्जित ज्ञान से ही कोई भी मनुष्य असंभव को भी संभव कर पाने में सक्षम होता हैं।
जिस ज्ञान से तुम दूसरो की सहायता करते हो जिस ज्ञान से तुम सही और गलत की पहचान करते हो तथा जिस ज्ञान से तुम निरंतर जग का कल्याण करते हो वही ज्ञान वास्तविक ज्ञान कहलाता हैं जो तुम्हे बुराई से दूर कर अच्छाई के करीब लाता हैं।ऐसे दिव्य और महा ज्ञान को पाकर ही मनुष्य महाज्ञानी कहलाता हैं।