(toc) #title=(Table Of Content)
1. विश्वास की ताकत।
तुम्हारा विश्वास ही तुम्हारी ताकत है, विश्वास पर ही ये दुनिया भी कायम है, जिसने बनाए रखा है अपने विश्वास को खुदा ने भी पूरी की है उसकी हर फ़रियाद। आज ये दुनिया कायम है तो ये उस खुदा की ही इनायत है, चाहे कोई किसी भी मजहब या जाति का हो ईश्वर के लिए सब एक बराबर है।
विश्वास है ईश्वर को इतना अपनी संतानो पर एक दिन इंसानियत जागेगी उनके दिलों में भी जो आज नफरत और भेदभाव में अपना जीवन बर्बाद कर रहे है, जो अपनों का ही रक्त बहा कर अपने हाथ को रक्तरंजित कर रहे है। आप अपने फायदे के लिए कैसे अपनों का ही अहित कर सकते हो ? आप अपने ही स्वार्थ की पूर्ति के लिए कैसे किसी की जिंदगी के साथ खेल सकते हो ? लड़ कर आज तक किसी को सिवाय बर्बादी के कुछ भी हासिल नहीं हुआ ना होगा क्योकि नफरत एक ऐसी आग है जो उसे भी जला डालती है जिसने इस नफरत को अपने अंदर पाल रखा है।
2. कैसे आपके विचारो ने ही आपको अपनों का शत्रु बना दिया ?
आप आज अपने ही परिवार को अपना सबसे बड़ा दुश्मन मान बैठते है और उनकी खुशियों को देख आप उनकी खुशियों से ईर्ष्या करने लगते है इसकी शुरुआत आखिर हुई कहां से ? इसकी शुरुआत आपके अंदर उत्पन्न हुए विचारों से हुई, इसकी शुरुआत आपके अंदर के अविश्वास से हुई। जब आप किसी से बेइंतेहा प्यार करते हो तो उसके लिए कुछ भी कर जाने को तैयार रहते हो, जब आप किसी से बेइंतेहा नफरत करते हो तो भी आप उसके लिए कुछ भी कर जाने को तैयार रहते हो।बस फर्क इतना है प्यार में आप उसका कभी अहित नहीं कर सकते मगर नफरत में आप बस उसके अहित करने के बारे में सोचते हो। मनुष्य यदि चाहे तो आज भी ईश्वर को अपने समीप ला सकता है, यदि उसे खुद पर विश्वास हो, यदि उसे अपने कर्मो पर विश्वास हो, यदि उसे ईश्वर पर विश्वास हो, यदि उसकी निष्ठा सच्ची और पवित्र हो, यदि उसके दिल में नफरत का स्थान ना हो, यदि उसके मन में किसी के प्रति घृणा या द्वेष भाव ना हो।
3.असंभव को संभव में तब्दील कैसे करें ?
क्या संभव नहीं इस दुनिया में ? असंभव को यदि संभव करना है तो सर्वप्रथम तुम्हें अपने भीतर बसे बुरे विकारों से लड़ना होगा, अपने अंदर विश्वास को जगाना होगा। क्यों कलयुग के मनुष्य ऐसा सोचते है कि वो कोई भी कार्य करेंगे तो ईश्वर की निगाह उन तक नहीं जाएगी ? ये वहम है उनका क्योकि मनुष्य के प्रत्येक क्रियाकलाप पर ईश्वर की नजरे रहती है। कर्म अच्छे हो या बुरे प्रत्येक कर्मो पर ईश्वर की निगाहें रहती है।
जो आज जातियों में बट कर नफरत और द्वेष पाल रखे है, जो ईश्वर के लिए भी अविश्वास को बनाए रखे है उनके लिए बस इतना कहना चाहूंगी तुम्हारा अविश्वास ही तुम्हें जीवन के वास्तविकता से अनभिज्ञ रखा है, तुम्हारा ये अविश्वास ही तुम्हें ईश्वर के करीब हो कर भी उनकी रहमतों से दूर रखा है। जो आज तुम अपने नेत्रों से देख रहे हो वो हकीकत नहीं जो हकीकत है उससे तुम्हें तुम्हारे अविश्वास ने दूर रखा है।
किताबों को पढ़ कर तुमने कुछ लोगों की कही सुनाई बातों पर यकीन कर लिया, सच क्या है इसे जाने बिना ही तुमने ईश्वर से नजर फेर लिया, आज बन कर नास्तिक जो घूम रहे, उन्हें इतनी भी खबर नहीं जिनकी बदौलत चल रही है उनकी साँसे उनके लिए ही वो नफरत को पाल रहे।
प्रकृति में संतुलन बनाए रखने के लिए ही मौसम में बदलाव आते है धूप,छांव, शीत,वर्षा,गर्मी आखिर किसकी वजह से आते है यदि ईश्वर तुम्हारे समीप ना होते तो क्या आज तुम सभी प्राणी जीवित और सुरक्षित होते ?