सच्चे प्यार की दास्तान।

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1. एक ऐसा वरदान जो सबको प्राप्त नहीं होता। 


 प्यार एक ऐसा वरदान है जो यदि किसी के जीवन में एक बार दस्तक दे दे तो उसका पूरा जीवन बदल जाता है। प्यार को पा कर बुरे से बुरे इंसान भी बदल जाते है, प्यार को पा कर सब जिंदगी की कीमत समझ जाते है।मनुष्य के कई जन्म होते है, हर जन्म को याद रख पाना किसी के लिए संभव नहीं, क्योकि जन्म के बाद मनुष्य अपने पूर्व जन्म की स्मृतियों को भुल जाता है। मगर जो संबंध अटूट,पवित्र और गहरे होते है उसे भुला कर भी कहीं ना कहीं मनुष्य याद रखता है जब उसके समक्ष सत्य आता है, ये सत्य उसके समक्ष यूंही नहीं आता उसे लाया जाता है, उस रिश्ते से उसे पुनः मिलाया जाता है।


 क्योकि ये सच्चे प्यार की ही ताकत है जो बिछड़ कर भी कभी एक दूसरे से विलग नहीं होता, क्योकि दो शरीर एक आत्मा का रिश्ता कभी एक दूसरे से अपरचित नहीं रह सकता। ये कोई पहेली नहीं ना तो कोई कहानी है ये है सच्चे प्यार की दास्तान जो है अनकही, अनसुनी दास्तान। 

चाहे जन्म कहीं भी हो, चाहे वो सात समुन्द्र पार क्यों ना हो यदि उसके सतीत्व में सच्चाई और पवित्रता है तो उनका मिलन हो कर ही रहता है। आज इस कलयुग में लोगों को ऐसी बातें बेकार और असत्य प्रतीत होगा क्योकि आज इस बदलते युग में सच्चा प्यार कर पाना सबके बस में नहीं। कोई तो किसी की सूरत पर मरता है, कोई किसी से बस अपनी स्वार्थपूर्ति के लिए संबंध बनाता है, कोई कपड़ो की तरह प्यार को बदलता है। फिर इस धरा पर कौन समझेगा सच्चे प्यार को ? जिनके दिलों में रही नहीं इंसानियत वो क्या समझेगा सच्चे प्यार की अहमियत ?


आज एक सवाल है जिसे आपको स्वयं से पूछना है क्योकि उसका जवाब भी आपके पास ही मौजूद है। तो सवाल ये है कि यदि दुनिया में आज भी सच्चा प्यार नहीं पाया जाता तो क्या ये दुनिया आज टिक पाती ? यदि इस दुनिया में भगवान का कोई करिश्मा या चमत्कार ना होता तो क्या सूरज और चाँद होता ? यदि दुनिया में बस अधर्म और पाप ही होता तो क्या अब तक कोई मनुष्य यहां जीवित रह पाता ? ना तो सूरज अपने वास्तविक स्थान से निकलना भुला है और ना सूरज और चाँद बदला है, यदि कुछ बदला है तो वो है मनुष्य की सोच, जिस कारण आज मनुष्य ही मनुष्य का शत्रु बन कर घूम रहा, जिस कारण आज पति पत्नी का रिश्ता भी टूट कर बिखर रहा, फिर ऐसी परिस्थिति में कोई कैसे यकीन कर सकता है सच्चे प्यार पर।


आज कल के युवा तो एक जन्म में साथ निभाना नहीं चाहते वो क्या जन्म-जन्म का साथ निभाएंगे ? आज कल के युवा तो एक जन्म में बोर हो जाते है, वो क्या जन्म-जन्म तक साथ रहने का वचन निभाएंगे ? आज कल के युवा तो बस पैसे,धन,दौलत,जायदाद और शक्ल देख कर रिश्ता जोड़ते है, वो क्या सच्चे प्यार को निभा पाएंगे ?


मगर सत्य तो केवल वही समझ सकता है जिसने सच्चे प्यार की अहमियत को संसार के समक्ष प्रस्तुत किया, संसार में सच्चे प्यार की नींव उन्होंने रखी इस सृष्टि में जिनका प्रथम विवाह हुआ वो है शिव और महासती, जिनके ही कारण सच्चे प्यार की अहमियत से समस्त संसार अवगत हुआ। 


2. पवित्र सच्चे प्यार की मिसाल।


कई जन्म लिया सती ने अपने शिव को पाने के लिए, शिव ने भी हर जन्म में प्रतीक्षा किया अपनी सती का और दोनों का विश्वास ही दोनों को करीब लाया। ये है सच्चे प्यार की ताकत जिसने एक वैरागी, एक महासंयासी को गृहस्थ बनाया। मिलना, बिछड़ना, जन्म, मरण ये तो अलग बात है, मगर जो मर कर भी साथ है, जो बिछड़ कर भी पास है ये बहुत बड़ी बात है। आज के इस लेख को यही पर समाप्त करती हूँ समय आने पर उस अनकही, अनसुनी सच्ची दास्तान को मैं दुनिया के सामने अवश्य प्रस्तुत करूंगी। 



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