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1. आत्मसंयम की खासियत।
आत्मसंयम का होना सभी के लिए अति आवश्यक है,क्योकि यदि हमारे भीतर धैर्य,आत्मविश्वास,और आत्मसंयम ही नहीं होगा तो हम अपने जीवन में किसी भी लक्ष्य को हासिल करने के योग्य नहीं बन सकते। मनुष्य का जीवन अनेको समस्याओ से गुजरते हुए ही आगे बढ़ता है,निरंतर ही समय आगे बढ़ता रहता है। जिस मनुष्य में धैर्य का वास नहीं होता वो अपने जीवन में छोटी-बड़ी समस्याओ से विचलित होने लगता हैं।जल्दबाजी किसी के लिए हितकारी साबित नहीं होती इसलिए मनुष्य को अपने धैर्य को बनाए रखना चाहिए जिससे आगे चल कर उसकी हिम्मत ना टूटे और वो अपने जीवन के सभी समस्याओ से निजात पाने का रास्ता ढूंढ सके।आत्मसंयम से ही मनुष्य को अपने क्रोध आदि बुरे विकारो से लड़ने की शक्ति प्राप्त होती है। जो ब्रह्मचर्य का पालन करते है,जो अध्यात्म के मार्ग का चुनाव करते है,वही आत्मसंयम को अपने भीतर जगा पाने में सफल होते है।
अनेक विद्वान,बड़े शोधकर्ता यहां तक कि ईश्वर भी स्वयं के भीतर आत्मसंयम बना कर रखते है,जिससे कब कौन सा निर्णय लेना सही होगा,कौन सा निर्णय गलत साबित होगा इसकी जानकारी उन्हें स्वयं के भीतर मौजूद धैर्य,आत्मसंयम से ही प्राप्त होता है।
अपने जीवन के लक्ष्यों के प्रति तुम सचेत और दृढ़ रह सको तथा तुम्हारा भटकाव ना हो सके इसके लिए तुम्हे तीन बातो का विशेष ध्यान रखना होगा पहला कि तुम अपने धैर्य से काम लो,दूसरा अपने आत्मविश्वास को बनाए रखो,तीसरा जो सबसे अहम है वो हैं आत्मसंयम,यदि इन तीन बातो का तुम ध्यान रखते हो तो तुम कभी अपने जीवन में निराश नहीं हो सकते,ना ही तुम कभी असफल हो सकते हो।
ये जीवन एक तपस्या है,जिस तपस्या में सफलता हासिल करने के लिए हमे अनेको चुनौतियों से गुजर कर आगे बढ़ना पड़ता है तभी हमारी तपस्या पूर्ण हो सकती है तथा हमे अपनी तपस्या का फल प्राप्त हो सकता है।याद रहे कोई भी तप बिना धैर्य,आत्मसंयम तथा आत्मविश्वास के प्राप्त नहीं किया जा सकता है,इसलिए यदि तुम अपने जीवन को वरदान स्वरुप तब्दील करने के इच्छुक हो तो सर्वप्रथम अपने चंचल मन पर विजय पाना सीखो,अपने अनियंत्रित क्रोध पर काबू पाना सीखो,अपनी इच्छाओ पर काबू पाना सीखो,तब जा कर तुम्हारी तपस्या सफल हो पाएगी और तुम्हे जीवन की सभी समस्याओ से उभरने का राह मिल पाएगी।
2. आत्मसंयम की खास विशेषता।
यदि किसी इंसान में आत्मसंयम का समावेश होने लगता है,तो वो इंसान सांसारिक मोहमाया से बाहर निकल आता है,उसे सत्य का बोध होने लगता है,सही और गलत हर निर्णय को परखने की शक्ति उसके भीतर जागने लगती है,क्योकि आत्मसंयम का समावेश सब मे हो पाना संभव नहीं, ये उसी इंसान में हो सकता है जो आध्यात्मिक और धैर्यवान होता है।
अच्छे-बुरे हालातों में भी जो सही फैसला ले पाते है,वही हकीकत में आत्मसंयम का पालन कर पाते है,क्योकि जिस व्यक्ति में धैर्य ही नहीं,जिस व्यक्ति में साहस ही नहीं वो व्यक्ति कैसे अपने लक्ष्य को पा सकता है ? आत्मसंयम वो रहस्य्मयी शक्ति है,जो व्यक्ति को अच्छे-बुरे हालातों से लड़ने और उस पर जीत हासिल करने की शक्ति प्रदान करती है।
यदि बिखरे हुए घर को और बिखेर दिया जाए तो उसे समेटना इतना सरल नहीं होता,ठीक वैसे जीवन की समस्याओ और उतार-चढाव से विचलित हो जाना भी समस्या और परेशानियों को और बढ़ाने के बराबर कहलाता है, यदि इससे उभरना है तो अपने भीतर आत्मसंयम को जगाए,धैर्य और हिम्मत से काम लेना सीखे यकीनन आप सफल होंगे।