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1. क्यों गुप्त लीला होती है एक अवतार की ?
क्यों अपने ही भक्तो के करीब रह कर वो अपने ही भक्तो की परीक्षा लेते है और उनके होने का आभास उनके ही भक्तो को नहीं होता ? वो भक्तजन उन्हें मंदिरो और तीर्थ स्थलों में ढूंढते रहते है।ईश्वर अपने अवतार के माध्यम से यही जानना चाहते है कि मेरे सच्चे भक्तजन जो मंदिर में तीर्थ धाम में सच्चे दिल से मेरी पूजा करते है, क्या उनकी पूजा और उनकी भक्ति निस्वार्थ और निश्कपट है ? या एक छलावा ? भगवान बन कर तो मैंने तुम सभी की भक्ति देख ली है, अब मैं मनुष्य बन कर तुम्हारे बीच रह कर तुम्हारी भक्ति की परीक्षा लूंगा और तुम्हे इसका आभास भी नहीं होगा जब तुम्हारा साक्षात्कार सत्य से होगा तब तक मेरी लीला का अंत हो चुका होगा। क्योकि हर अवतार की एक निश्चित समय अवधि पूर्व ही निर्धारित होती है।
ये कलयुग है,यहां चमत्कार संभव नहीं ऐसा मानना है, कुछ लोगो का और इस कलयुग में किसी देवी देवता की शक्ति काम नहीं करती ऐसी भी मत है कुछ लोगो की।यदि ऐसा है, तो मुझे ये बताओ कि जो प्राण ऊर्जा तुम्हारे शरीर में है वो तुम्हे कहां से प्राप्त हो रही है ? सूरज की रौशनी चाँद की शीतलता तुम्हे कहां से प्राप्त हो रही है ?
क्यों चमत्कार इस कलयुग में संभव नहीं ? क्या कलयुग में बस पाप ही संभव है ? प्रत्येक चीज की एक सीमा होती है,यदि वो सीमा लांघ जाए तो क्षति अवश्य होती है। मान लो तुमने रसोई में दूध को गर्म होने होने के लिए गैस पर चढ़ाया है और तुमने उसकी आंच धीमी की जगह तेज कर दिया तो दूध उबल कर कहां गिरेगा ? ठीक वैसे यदि तुम कोई गलत कार्य करोगे तो उसका भुगतान कौन करेगा ?
मनुष्य को भले ही खबर नहीं मगर ईश्वर को सबकी खबर रहती है,प्रत्येक मनुष्यो के कर्मो का ईश्वर को पता रहता है, उनके मौन को तुम हलके में मत लेना, क्योकि कभी-कभी मौन एक भयावह विनाश का संकेत भी बन जाता है।पैसा तो ईश्वर को भी पीछे छोड़ रखा है, आज के वक्त में इंसान भगवान को भी पैसे और स्वार्थ के लिए ही पूजता है, यदि ऐसा ना होता तो आज इस कलयुग में इतना पाप और अधर्म ना होता।
2. ईश्वर का अवतार एक रहस्य क्यों होता है ?
अवतार अपने उदेश्य को पूरा करने अपने कर्तव्यों का पालन करने ही इस धरा पर प्रकट होते है। वो अपने सभी भक्तो को परखने के लिए अपना स्वरुप किसी के समक्ष उजागर नहीं करते, क्योकि यदि किसी को इस बात का पता चल गया तो वो अपने उदेश्य को भलीभांति पूर्ण नहीं कर पाएंगे। ईश्वर के अवतार का जीवन आम मनुष्य की तरह ही होता है, यूं कहू तो, आम मनुष्य से भी कठिन उनका जीवन होता है। हर दुख- दर्द को सहन कर वो अपने उदेश्य को पूरा करने में लग जाते है,मनुष्यो के समीप रह कर ही उनकी परीक्षा भी लेते रहते है, यही तो लीला है उस परमेश्वर की जो एक अद्भुत रहस्यों से परिपूर्ण है।
आज इस धरा पर यदि किसी का महत्व है, तो वो पैसे का है, क्योकि जहां तक मैंने जाना और समझा है, ये दुनिया स्वार्थ और लोभ से वशीभूत हो कर अपनों के साथ भी गैरो सा बर्ताव करने में जरा भी संकोच नहीं करते, तो वो स्वार्थ और लोभ से ग्रसित मनुष्य ईश्वर के अवतार को क्या पहचानेगे ?
समय दिया है, तुम्हे अब भी संभलने का ये ना सोचना, किसी के बस में नहीं तुम्हारे अधर्म और अन्याय को रोकने का, ईश्वर से बड़ा कोई नहीं, ईश्वर के न्याय पर जो सवाल उठाए ऐसा कभी हुआ ही नहीं, आज यदि कोई गरीब है तो इसमें शोक ना करना क्योकि यदि तुम्हारा कर्म सही है, तुम्हारी सोच बड़ी है तो तुमसे ज्यादा अमीर कोई नहीं हो सकता, यदि कोई अमीर है और उसके कर्म अच्छे नहीं,उसकी सोच अच्छी नहीं तो उससे ज्यादा गरीब कोई नहीं हो सकता, क्योकि कर्म से ही तुम बड़े बनते हो, कर्म से ही तुम महान कहलाते हो, कर्म से ही तुम ईश्वर की नजरो में उठते हो, यदि कर्म सही नहीं तो एक दिन तुम ईश्वर के कोप का भाजन भी बनते हो।
एक अवतार को कहने की आवश्यकता नहीं कि मैं ईश्वर का अवतार हूँ, एक अवतार ऐसा कभी नहीं कहता। निश्चित समय आने पे सब खुद जान जाएंगे,मगर इस कलयुग में कुछ पाखंडी मनुष्य स्वयं को ईश्वर का अवतार कह कर ईश्वर का अपमान करने का पाप करते है और लोगो को गुमराह कर उनसे पैसे वसूलते है,ऐसे पापी को भयंकर सजा मिलनी चाहिए, यदि तुम किसी को सही दिशा नहीं दिखा सकते तो तुम्हे कोई हक नहीं कि तुम उन्हें सही दिशा से भ्र्ष्ट करो।
शिव का संसार है जहां,शक्ति का विस्तार है वहां, कब कहां किस रूप में ईश्वर मिलेंगे इस रहस्य से वही वाकिफ होंगे,जो धर्म और सत्य की राह पर होंगे।