एक वीरांगना अस्तित्व।

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एक वीरांगना अस्तित्व।💥


* पापा की परी हूँ मैं,अपनी माँ का स्वाभिमान हूँ मैं,और अपने पति की आन बान और शान हूँ मैं।।


 * हर दुःख और समस्याओं से गुजरी हूँ मैं,कभी गिर कर संभली हूँ मैं,मुझे राह के कंटक  क्या रोकेंगे ? खुद ही अपने पाँव के कांटो को निकाल कर यहां तक आई हूँ मैं।।


* दुनिया की भीड़ से जो अलग चलता हैं,एक दिन उसके ही किस्मत का सितारा चमकता हैं,ये अधर्म और जुल्म के अंधकार मुझे क्या भयभीत करेंगे ? क्योकि मैं तो सत्य हूँ जिसके साथ हर पल हर क्षण ईश्वर चलता हैं।।


* जब किसी ने नहीं दिया था मेरा साथ,फिर भी मेरे मन में था एक ही विश्वास,तो क्या हुआ आज कोई नहीं दे रहा मेरा साथ ? मैं तो सत्य हूँ फिर मुझे किसका भय,जब ईश्वर ने ही थाम रखा हैं मेरा हाथ,फिर मुझे नहीं चाहिए औरों का साथ।।


* रक्तरंजित हो रहे जो अधर्मियों के हाथ,जुल्म सितम ढा रहे जो नारियो के साथ, क्यों इस सत्य से हो रहा ये संसार अंजान,कि होती हैं, नारियो की शक्ति की मुझसे ही पहचान,आज नारियो की इस दशा को देख मैं स्वयं हूँ हैरान।।


* जब अकेले ही आना हैं और अकेले ही जाना हैं, फिर क्यों किसी बात से घबराना हैं ? आज अहमियत नहीं लोगो को मेरी अच्छाई की,वो भला क्या जाने होती हैं, क्या खूबियां सच्चाई की ? फिर भी अपनी तन्हाई में मगन हूँ मैं,क्योकि मैं तो सत्य हूँ, हर पल,हर घड़ी,हर क्षण हूँ मैं।।


* ये हिंसक नफरत की अग्नि में मुझे क्या जलाएंगे ? स्वयं ही एक धधकती अग्निपुंज हूँ मैं,अग्नि का भी स्रोत हूँ मैं, क्योकि मैं तो सत्य हूँ हर पल,हर घड़ी,हर क्षण हूँ मैं।।


* भीषण नदियों की धारा,समुंद्र भी जिससे मांगता अपना किनारा, उस जलधारा का भी स्रोत हूँ मैं, क्योकि मैं तो सत्य हूँ,हर पल,हर घड़ी,हर क्षण हूँ मैं।।



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