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1. रिश्ते की अहमियत।
कांच से भी ज्यादा नाजुक होते है रिश्ते यदि थोड़ी भी लापरवाही या चूक हुई तो पल भर में टूट कर बिखर जाते है। यदि इन्हें सही से संभाला नहीं गया तो ये आपसे दूर भी हो सकते है। आज मैं कोई पहेली नहीं सुझा रही बल्कि आपको रिश्ते की वास्तविकता से परिचित करवा रही।क्योकि इस संसार में धन, दौलत, नाम, रुतबा, पैसा कमाना कठिन नहीं मगर रिश्ते को आजीवन बरकरार रखना बेहद कठिन। आपका रिश्ता तभी बरकरार रह सकता है जब आप अपने रिश्ते की अहमियत को समझते है, जब आप स्वार्थ और अहंकार को भुला कर अपने रिश्ते को अधिक महत्व देते है। कौन बड़ा है और कौन छोटा ये बात मायने नहीं रखता क्योकि मनुष्य की सोच ही उसे बड़े कहलाने का दर्जा दिलाती है। यदि कोई उम्र और औदे में बड़ा है मगर उसमे रिश्ते को समझने या परखने का हुनर नहीं तो वो कभी बड़े कहलाने का दर्जा प्राप्त नहीं कर सकता।
हम अपनी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव देखते है, कभी हम खुद को अकेला महसूस करते है, कभी हम दुःख में भी सुख का अनुभव करते है मगर अकेला महसूस क्यों करते है ? दुःख में भी सुख का अनुभव क्यों करते है ? क्या इन बातों को आपने समझने का प्रयास किया ?
2. अकेलेपन की वजह।
यदि आप नहीं समझ पाए तो मैं सरल शब्दों में इसकी व्याख्या प्रस्तुत करती हूँ। खुद को अकेला महसूस आप कब करते है ? जब आपके रिश्ते अपनों से मजबूत और प्रगाढ़ नहीं होते, जब अपनों के होते हुए भी आप अपनों से दूरी बनाए रखते है, जब अपने क्रोध पर काबू करना आपके वश में नहीं होता, जब आपका क्रोध आपके रिश्ते के बीच आने का प्रयास करता है, जब अहंकार वश आप ये सोचते है कि मैं क्यों झुकू मैं क्यों क्षमा मांगू ? जिसे जरूरत होगी वो खुद झुकेगा, आपकी यही सोच आपके अकेलेपन की वजह बनता है, आपकी यही सोच आपको अपनों से दूर करता है।
दुःख में भी सुख का अनुभव इस बात को मैंने क्यों कहा ? आपको समझाने का प्रयास करती हूँ, जब आप किसी दुःख या मुसीबत में फसे होते है मगर यदि आपको अपनों का साथ प्राप्त होता है तो वो दुःख भी आपको सुख का अनुभव कराता है। क्योकि सारी दुनिया एक तरफ और अपनों का प्यार एक तरफ, दुनिया की कोई भी दौलत अपनों की जगह नहीं ले सकती, क्योकि दुनिया की हर दौलत हमारे रिश्ते के सामने छोटी पड़ जाती है, दुःख और मुसीबत में अपनों का साथ ही हमारे काम आता है।
3. रिश्ते में दुःख की वजह।
यदि कोई घर वर्षो से बंद पड़ा है तो उस घर में नकारात्मक ऊर्जा अपना स्थान बना लेती है, क्योकि उस घर में कोई मनुष्य नहीं रहता, उस घर में कभी पूजा पाठ और भजन आरती नहीं होता, उस घर में कोई साफ सफाई का ध्यान नहीं रखता, तो वो स्थान अपवित्र होने लगता है, उसकी दिव्यता और शक्ति नष्ट हो जाती है, तब वो घर बुरी नकारात्मक ऊर्जा के घेरे में आ जाता है।ठीक वैसे जैसे आपका दिल जो मैला हो जाता है, ठीक वैसे जैसे आपका मन दूषित हो जाता है, जब आप गलत आदतों को, गलत विचारो को अपने दिल और दिमाग में स्थान देने का प्रयास करते है, जब आपको अपने रिश्ते भी पसंद नहीं आते है, जब आपके दिल का रास्ता अपनों के लिए बंद हो जाता है, तब आपके जीवन में नकारात्मकता का वास हो जाता है, तब आपको अपनों की अच्छी बाते भी गलत लगने लगती है, तब आपको बस अकेला रहना ही पसंद आता है, और एक दिन यही आपके जीवन में आपके दुःख का कारण बनता है।

