कैसे प्रसन्न होती हैं देवी ?

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नवरात्रि का आरंभ कल से होने जा रहा,सभी भक्तजन बड़े उल्लास से मातारानी का स्वागत करते हैं,भक्तो के हर्षोउल्लास को देख मुझे ऐसा प्रतीत होता हैं जैसे मानो सभी भक्तो को साक्षात् देवी महागौरी के दर्शन हो रहे हैं। अपने भक्तो से देवी बस यही कहना चाहती हैं,कि मेरे प्रिय भक्तो तुमने बड़ी श्रद्धाभाव से मेरा स्वागत किया, मेरे लिए नौ दिनों तक उपवास रखा,मेरी भक्ति पूजा,मेरा ध्यान किया,मगर जो सबसे विशेष और मुख्य बात हैं,तुम उसे ही भूल बैठे,क्या चाहती हूँ मैं तुम सभी भक्तो से ? क्या तुमने कभी इन बातो पर चिंतन किया हैं ?


 1. कैसे प्रसन्न होती हैं देवी ? 


ये नाना प्रकार के 56 भोग,प्रसाद,मिठाइयां,फल आदि मुझे प्रसन्न नहीं करते,भले ही तुम मुझे प्रसाद में कुछ भी चढ़ाओ मगर मुझे यदि सत्य में महसूस करना चाहते हो, तो सर्वप्रथम अपने विचारो,व्यवहारों और आदतों में बदलाव लाओ,जो बुरे कर्म तुम्हे बाद में ग्लानि महसूस कराए सर्वप्रथम उन बुरे कर्मो का सदा के लिए परित्याग करो, यदि सत्य में तुम मेरे दर्शन पाना चाहते हो तो सर्वप्रथम नारियो,छोटी मासूम कन्याओ पर हो रहे अत्याचार को बंद करो।


अपने माता-पिता बड़े बुजुर्गो का भूल कर भी अपमान ना करो,दिल में सभी के लिए सम्मान और प्यार बसा कर ही तुम मेरी भक्ति और मेरी पूजा करो,क्योकि मैं मनुष्य के अच्छे कर्मो से प्रसन्न होती हूँ,मैं दुराचारियो बुरे कर्म करने वालो की पूजा-पाठ और उपवास से कभी प्रसन्न नहीं होती। यदि तुम स्वयं को एक अच्छे इंसान में बदलने की साहस रखते हो तो मेरे नवरात्र के प्रथम दिन तुम ये प्रतिज्ञा लो की आज से तुम कभी किसी का अहित नहीं करोगे,किसी का अपमान नहीं करोगे,किसी के अन्याय को देख शांत नहीं रहोगे,सत्य का सदैव साथ दोगे और असत्य से सदैव दूर रहोगे।इस कलयुग के कालचक्र में अनेको अधर्म और पाप हो रहे हैं, अपने स्वार्थ की पूर्ति हेतु मनुष्य अपने ही माता-पिता भाई-बहन की जान लेने पर तुले हैं। 


अब मुझे ये बताओ तुम्हारे गृह में सभी सदस्य रहते हैं,उनमे कुछ अच्छे हैं,कुछ बुरे भी हैं तो क्या तुम किसी एक सदस्य की गलती के लिए पुरे गृह को नुकसान पहुँचाओगे ? तुम प्रयास करोगे सायद समझाने से बात सुलझ जाए तुम्हारा गृह बर्बाद होने से बच जाए। आज ठीक वही स्थिति इस संसार की हो गई हैं,कुछ संतान के अपराधों को देख अपने सभी संतान के जीवन को खतरे में नहीं डाल सकते कोई भी माता-पिता,इसलिए देवी के आगमन से पूर्व यही जिज्ञासा हैं आज मेरे दिल में कि ये संसार बिखर तो चुका हैं,मगर अभी भी उसे समेटने का प्रयास किया जा रहा, यदि फिर भी कोई समझने का प्रयास नहीं करेगा तो सौम्यता को त्याग कर देवी को अपने रौद्र स्वरुप में आना होगा,क्योकि बच्चे जब प्यार और स्नेह से समझाने पर भी यदि नहीं समझते तो उन्हें समझाने के लिए कठोर बनना पड़ता हैं, ताकि बच्चे की जिंदगी बर्बाद होने से बच जाए और समय रहते बच्चे सही और गलत क्या हैं ? इसे समझ जाए। 


2. देवी कहां वास करती है ?


प्रत्येक कन्याओ में वास हैं देवी का,प्रत्येक नारियो में वास हैं देवी का,चाहे वो नारी तुम्हारी माँ हो,पत्नी हो,बहन हो, चाहे बेटी हो या कोई अन्य।ये ना सोचना कि बस नवरात्र में ही देवी का आगमन होता हैं, कण-कण में जिनका निवास हैं,वो देवी हर पल तुम्हारे पास हैं, यदि तुम अपनी पत्नी का अपमान करते हो तो ये ना भूलना ये अपमान उस देवी का ही अपमान हैं,यदि तुम अपनी माँ का अपमान करते हो तो ये अवश्य याद रखना ये अपमान देवी का ही अपमान हैं। किसी परायी स्त्री पर कुदृष्टि डालना ये एक जघन पाप हैं जिससे तुम्हे कभी मुक्ति नहीं मिलेगी क्योकि हर स्त्री में देवी का ही वास हैं। 


3. नवरात्रि क्यों इस संसार में विख्यात हैं ?  


समय अब भी थोड़ा शेष हैं अपनी भूल के लिए क्षमा मांगने का, प्राश्चित करने का,वरना नवरात्रि क्यों इस संसार में विख्यात हैं ?  तुम्हे ज्ञात अवश्य होगा,जब अधर्म बार-बार अपनी सीमा को लांघने का प्रयास करता हैं,पाप और अन्याय का विस्तार करता हैं,दीन -हीन  प्राणियों पर अत्याचार करता हैं,तो उस अन्याय,पाप और अधर्म को रोकने के लिए ही देवी दुर्गा का अवतार इस धरा पर होता हैं। 


4. संसार की प्रत्येक नारियों को देवी का संदेश। 


संसार की सभी नारियों से भी मैं यही कहना चाहूंगी कि अपने मन, अपने चरित्र, अपने व्यवहार को बेहतर बनाओ, नारी चरित्र पर कोई दाग ना लगाओ, हमेशा याद रखना तुम सभी कन्याओं को मैंने ही अस्तित्व प्रदान किया है, यदि तुम अपने उचित मार्ग, उचित कर्तव्यों का पालन नहीं करोगी तो मुझे ना चाह कर भी तुम्हारे अस्तित्व को मिटाने पर विवश होना पड़ेगा। 


आज इस कलयुग में कुछ ऐसी भी नारियां मौजूद है जो नारी जाति की गरिमा का उचित पालन कर रही है यही वजह है जो कलयुग अब तक सुरक्षित है वरना कब का खत्म हो गया होता, कुछ बुरे इंसान के कर्मो की सजा मासूम बेगुनाह को नहीं मिलना चाहिए। मगर एक बात हमेशा याद रखना चाहे नारी हो या पुरुष जो कुमार्ग और अधर्म को चुनेगे वो सदा के लिया मिटा दिए जाएंगे । 


असत्यं पराजयितुं, सत्यं पुनः स्थापयितुं, मार्गभ्रष्टान् बालकान् सम्यक् मार्गस्य विषये अवगतं कर्तुं आगच्छामि, पुनः एतां अशुद्धभूमिं शुद्धीकर्तुं आगच्छामि।। 🔱


अर्थात,

आ रही हूँ मैं,असत्य को पराजित करने,सत्य को पुनः स्थापित करने, भूले भटके संतानो को सही मार्ग से अवगत कराने,आ रही हूँ मैं, इस अपवित्र धरा को पुनः पवित्र करने,आ रही हूँ मैं। 



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