अंत का आगाज।

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 संसार में अब इंसानियत से भरोसा उठते जा रहा हैं, क्योकि अब इंसान के दिलो में नफरत की आग भड़क रही हैं ,हर दिन,हर देश में कोई ना कोई जुर्म हो रहा जिसे देख संसार अपने अंत की ओर बढ़ रहा।


1.जब मनुष्य भगवान को भी नहीं बख्श रहे,तो वो और किसी को क्या बख्शेंगे ? 


आज देश और दुनिया में जो भी घटित हो रहा हैं,उसे देख अब इंसानियत भी शर्मशार हो गई हैं। अभद्र तरीके से भोजन,आदि में जो मनुष्य दूषित पदार्थ का उपयोग कर रहा,ये बेहद चिंताजनक,अशोभनीय हैं। किसी को कोई हक़ नहीं बनता कि तुम किसी के मजहब या जाति से खिलवाड़ करो,किसी की मर्यादा और विश्वास को भंग करो। खाद पदार्थ में मिलावट,भगवान के भोग प्रसाद में मिलावट कर तुम्हे क्या हासिल होगा ? क्या तुम्हे ऐसा प्रतीत होता हैं कि तुमने भगवान के भोग में अशुद्ध जानवरो के मांस या चर्बी को मिला कर भगवान को दूषित कर दिया ? 


सच तो ये हैं कि तुमने स्वयं ही अपने भविष्य और जीवन को खतरे में डाल दिया। मैं किसी धर्म को बांटने का या अपमानित करने का प्रयास नहीं कर रही बल्कि मैं सत्य को आज प्रकाशित करने का प्रयास कर रही हूँ। किसी के धर्म के विश्वास को तोड़ना या उनके ईश्वर को अपमानित करने का पाप करना तुम्हे ही अंधकार में ले जा रहा हैं। मुस्लिम हो या हिन्दू तुम सभी को एक दूसरे की मजहब का सम्मान करना चाहिए ना की अपमान। मगर अब बात हद से आगे बढ़ चुकी हैं,क्योकि तुमने मानवता को शर्मसार कर  अपनी सारी हदे पार कर दी हैं। क्योकि समझाया उसे जाता हैं जिसमे समझ होती हैं, नासमझ को समझाना बेवकूफी कहलाती हैं। 


मानव हो तो मानव बन कर रहो,यदि दानव बनने का प्रयास करोगे तो मिटा दिए जाओगे,फिर उसी इतिहास को दोहराने की भूल कर रहे हो,जैसी भूल दानवो ने की थी अपने अंदर हैवानियत को जगा कर,फिर उनका भयंकर सर्वनाश हुआ,क्योकि आसुरी प्रवृति को अपनाना यानि अपने अंत का आगाज करना। 


तुम हर दिन कोई ना कोई अपराध करते हो,बिना भय के तुम ईश्वर को भी अपमानित करते हो,क्या लगता हैं तुम्हे कि ईश्वर बस नाम के हैं ? क्या लगता हैं तुम्हे तुम्हारे क्रियाकलाप का कुछ खबर नहीं ईश्वर को ? ईश्वर भी देख रहे हैं,तुम और कितने गिर सकते हो ? क्योकि ईश्वर की एक ऊँगली पर टिका हैं ये संसार,जहाँ उनकी ऊँगली हटी फिर ना तो तुम रहोगे ना ये संसार। तुम उस भयंकर अग्नि से खेलने और चुनौती देने  की भूल कर रहे हो,जिसे ना कोई हवा मिटा सकता,ना जल। 


तुम जिस ईश्वर को नकार रहे हो,वो ईश्वर कण कण में मौजूद हैं। तुम जिस शक्ति के मध् में चूर हो रहे हो वो भी ईश्वर की ही शक्ति हैं,तुम्हारी नहीं,उनका शुक्रिया अदा करने के स्थान पर तुम ईश्वर के बनाए संसार को बर्बाद करने की गुस्ताखी कर रहे हो।  


मान लो समाज में कुछ लोग तुम्हारी खुशियों से ईर्ष्या करते हैं, तुम्हारे परिवार की एकता को देख वो द्वेष करते हैं,एक दिन अचानक कुछ लोग तुम्हारे परिवार को तुम्हारे खिलाफ करने की साजिश करे,वो लोग तुम्हारे परिवार से तुम्हे अलग करने के लिए झूठा आरोप तुम पर लगाए,जो गलती तुमने किया ही नहीं,और तुम्हारा परिवार बिना सच जाने तुम्हे गलत कहे तो क्या गुजरेगी तुम्हारे दिल पर ?


2. जो दूसरों के कही सुनाई बातों पर यकीन करते है। 


क्योकि कही,सुनाई बातो पर जो यकीन करते हैं वो स्वयं को कुएं में ढकेलने का प्रयास करते हैं। जब तक तुम अपनी आँखों से देख नहीं लेते,जब तक तुम अपनी कानो द्वारा सुन नहीं लेते तब तक तुम्हे दूसरे के कहने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए,इससे तुम्हारा ही अहित हो सकता हैं। 


3. जो भगवान के होने का प्रमाण मांगते है। 


ठीक वैसे जो कुछ किताबो में छाप दी गई,जिसमे भगवान को भेदभाव करते बतलाया गया,जो की सत्य नहीं,असत्य हैं ये,यदि भगवान के लिए तुम सभी एक समान नहीं होते तो तुम्हारे भीतर वो शक्ति मौजूद नहीं होती जिस शक्ति के ही कारण आज तुम्हारा जीवन हैं,जिस शक्ति के द्वारा तुम अपना प्रत्येक कार्य कर पा रहे हो,जिस शक्ति के ही कारण आज तुम्हे भी बराबर का हक़ और दर्जा प्राप्त हैं,जैसे जाड़े में सूरज की गर्मी,गर्मी में बारिश और शीतल ठंडी हवा,तुम सबके शरीर के रक्त का रंग एक दूसरे से भिन्न नहीं तो तुम कैसे कह सकते हो की भगवान गलत हैं,तुम सही हो ? 


जैसे कुछ तुम्हारे भी विरोधी और शत्रु हैं,ठीक वैसे कुछ ईश्वर के भी विरोधी और शत्रु हैं,जिन्हे तुम ना ही देख सकते,ना ही समझ सकते हो,इसलिए स्वयं का ही सर्वनाश करने की भूल मत करो,क्योकि माता-पिता अपने प्रत्येक संतान को एक समान ही प्यार और दुलार देते हैं,मगर जो संतान अपने ही कुल के नाश का कारण बने,ना चाह कर माता-पिता को उसे उसके कुकर्मो का दंड देना पड़ता हैं।  


* मत करो अपने ही अंत का आगाज,मिटा दो आज ही ईर्ष्या और द्वेष का विचार,वरना तुम्हारा समय भी नहीं देगा तुम्हारा साथ,यदि समय रहते नहीं किया तुमने अपने कुकर्मो का परित्याग। 


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