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1. समय का परिचय।
समय कभी किसी के विपरीत कार्य नहीं करता, बल्कि लोग खुद समय के विपरीत कार्य करते है और बाद में अपने समय को कोसते है। जब समय मिला तुमने समय का कद्र नहीं किया अब जो दुख भरा समय तुम्हारे सामने आया तो तुम्हे ग्लानि हो रही कि काश तुम आज इस मोड़ पर खड़े नहीं होते,काश सब कुछ समय के साथ सही हो जाता।
जिंदगी में उथल पुथल तो सबके मची रहती है, दुनिया में कोई ऐसा शख्स होगा जो आजीवन सभी दुख, चिंताओं और समस्याओं से मुक्त है ? दुख और समस्या तो सभी के जीवन में एक बार अवश्य आती है,मगर यदि बार-बार तुम्हारे जीवन में कई कठिनाइयां दस्तक दे रही तो इसका मतलब कहीं ना कहीं तुमसे कोई चूक अवश्य हुई है, मगर तुम इसे समझ नहीं पा रहे हो।
मैंने कई लोगों को कहते सुना है कि हमारा समय अभी सही नहीं चल रहा, समय हमारा साथ नहीं दे रहा, तुम इस वचन को जब कहते हो तो तुम्हे इस बात की अनुभूति नहीं होती आखिर क्यों ऐसी परिस्थिति उत्पन्न हुई ? क्यों समय तुम्हारे अनुकूल नहीं है ? क्या इसमें समय का कसूर है या तुम्हारे विवेक और सामर्थ्य का ?
सदैव याद रखना दुख और सच्चाई से तुम भाग नहीं सकते, तुम इनसे जितना दूर भागने का प्रयास करोगे ये उतना ही तुम्हारा पीछा करेगी इसलिए निडर हो कर धैर्य के साथ इनका सामना करों।
एक बात अपनी जहन में अवश्य डाल लेना कि समय कभी किसी के विपरीत कार्य नहीं करता है,बल्कि मनुष्य अपने समय का सही से पालन नहीं करते, अपने समय का दुरूपयोग कर वो खुद अपनी जिंदगी के साथ पक्षपात करते है और सारा इल्जाम समय पर लगाते है।
2. क्या तुम समय की वास्तविक सच्चाई से वाकिफ हो ?
समय कभी रुकता नहीं, समय अपने कर्म में पूरी तरह से तत्पर रहता है, समय सबके लिए एक समान ही कार्य करता है, यदि अभी तुम्हारी घड़ी में 2 बज रहे होंगे तो किसी अन्य की घड़ी में भी 2 ही बज रहे होंगे, फिर समय तुम्हारे विपरीत कैसे हुआ ?
समय का वास्तविक परिचय शायद ये संसार नहीं जानता, यदि सब समय के वास्तविक परिचय से वाकिफ होते तो कभी अपने समय को बर्बाद करने की भूल ना करते। समय ईश्वर का ही स्वरूप है, इसलिए समय सभी के लिए अनुकूल है प्रतिकूल नहीं। क्योकि समय सबको बराबर का मौका देता है,समय कभी किसी के साथ पक्षपात नहीं कर सकता, मनुष्य खुद अपने समय के अनुकूल कार्य नहीं करते तो समय कैसे तुम्हारा साथ दे सकता है ? ईश्वर अपने नियम को कभी नहीं तोड़ते।
मान लो तुम्हे किसी इंटरव्यू के लिए जाना है,मगर जिस समय पर तुम्हे जाना था तुम उस वक्त ना जा कर यदि देर से जाओगे तो इसमें तुम्हारी असफलता का दोषी कौन हुआ ? तुम या समय ? यकीनन तुम दोषी हो, जब तुम्हे पता था कि किस समय तुम्हे अपने इंटरव्यू के लिए जाना था तो तुम उस समय का पालन नहीं किए अपने कीमती समय का दुरूपयोग किए तो तुम्हे बेहतर परिणाम कैसे मिल सकता है ?
3. समय किसका साथ देता है ?
हमेशा याद रखना जिस किसी ने भी समय का पालन किया है, समय ने भी सदैव उसका साथ निभाया है,क्योकि यदि तुम समय का हाथ थाम कर उसके कदम से कदम मिला कर चलोगे तो समय भी तुम्हारा साथ देगा। यदि तुम समय के विपरीत कार्य करोगे तो समय कभी तुम्हारे अनुकूल कार्य नहीं कर सकता, क्योकि अपने अच्छे और बुरे वक्त के जिम्मेदार तुम खुद हो,समय नहीं।
* अहं भवद्भिः सह प्रतिक्षणं अस्मि, अहं भवतः प्रगतेः द्वारं, बहुमूल्यः समयः यस्य भवन्तः न प्रशंसन्ति, अहं भवतः समयः भूत्वा प्रतिक्षणं भवता सह अस्मि।
अर्थात,हर क्षण तुम्हारे साथ हूँ मैं,तुम्हारे प्रगति का द्वार हूँ मैं,तुम जिस कीमती समय की कद्र नहीं करते,तुम्हारा वही समय बन कर हर क्षण तुम्हारे साथ हूँ मैं।

