चिंता तुम्हारी किसी भी समस्या का समाधान नहीं, बल्कि तुम्हारी चिंता ही तुम्हारे लिए एक जटिल समस्या है, जिससे हर हाल में तुम्हे बाहर आना है।
मैंने देखा है अक्सर कुछ लोग हर वक्त तनाव में रहते है, चाहे समस्या ज्यादा गंभीर ना हो तो भी वो इतना सोचते है कि सोच- सोच कर खुद को बीमार कर लेते है जिससे उनकी समस्या कम होने के बजाय और बढ़ जाती है।
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1. क्या दिमाग को भी आराम की जरूरत होती है ?
जैसे आप नया साबुन अपने इस्तेमाल के लिए लाते है, हर दिन उस साबुन का इस्तेमाल आप करेंगे तो क्या वो साबुन नए की तरह ही रहेगा ? या वो घिस-घिस कर एक दिन खत्म हो जाएगा ? ठीक वैसे जब आप अपने दिमाग को अनेको चिंताओं से घेरे रखने का प्रयास करेंगे तो एक दिन आपका दिमाग भी काम करना बंद कर देगा वो पहले की तरह तेज और बुद्धिमान नहीं रहेगा। क्योकि हर दिन हर पल आपने अपने दिमाग को तनाव से भर रखा है, आपके दिमाग को फुर्सत कहां जो आपका दिमाग कुछ पल आराम कर सके।
मनुष्य का काम है कर्म करना, तुम्हारे कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, तनाव में आ कर यदि तुम किसी भी काम में हाथ लगाओगे तो तुम्हे उस काम में कभी सफलता हासिल नहीं हो सकती, क्योकि तुम्हारा ध्यान और दिमाग कहीं और है, तुमने अपनी एकाग्रता, बुद्धिमता खो दी है।
यदि तुम्हे अपने भविष्य की चिंता है, तो तुमने अपने भविष्य के लिए कोई कदम उठाया है ? या केवल चिंता करने से तुम्हारा भविष्य सुनिश्चित हो जाएगा ?
किसी को अपनी संतान की चिंता है, किसी को अपनी बेटियों के विवाह की चिंता है, किसी को अपने करियर की चिंता है, किसी को अपने जीवनसाथी की चिंता है, किसी को अच्छी बहू नहीं मिली तो उसे उसकी चिंता है, किसी के पास धन का आभाव है तो उसे धन की चिंता है, इस संसार में कोई भी सुखी नहीं चाहे कोई दौलतमंद इंसान हो या कोई गरीब सबको कोई ना कोई चिंता रहती ही रहती है।
क्या चिंता आपकी समस्या का समाधान है ? क्या अधिक तनाव लेने से अधिक सोचने से आपका दुःख कम हो जाएगा ? यदि ये सत्य होता तो आज हर कोई चिंताओं में डूब कर समस्या का समाधान ढूंढ लिया होता।
आप किसी सड़क को पार करते है, तो ध्यान आपको देने की जरुरत है कि कहीं आस पास कोई गाड़ी तो नहीं आ रही, सावधानी बरतने की जिम्मेदारी आपकी है, क्योकि ये आपकी जिंदगी का सवाल है। आप स्वयं पर रोक लगा सकते है, आपका स्वयं पर अधिकार है, पूरे सड़क पर नहीं। सड़क पर तो लाखो लोग आएंगे जाएंगे, लाखो गाड़ियां आएगी जाएगी आप उन पर रोक नहीं लगा सकते।
फिर आप व्यर्थ में क्यों इतना चिंता कर रहे है, जब उस चीज पर आपका अधिकार और नियंत्रण ही नहीं। ये आपकी बेवकूफी नहीं तो और क्या है ?
बहुत दुःख के साथ मुझे आज ये कहना पड़ रहा है कि पढ़ लिख कर भी लोग अज्ञानता में जी रहे है, दिन के उजाले में भी रात्रि के अंधकार में जी रहे है, फिर कैसे वो चिंताओं से मुक्ति पाएंगे बिना कर्म किये जो परिणाम की चिंता में अपना पूरा जीवन बिताएंगे।
आप किसी को बदल नहीं सकते, तो बेहतर होगा आप स्वयं को बदल दो, जो उम्मीद तुम्हे नाउम्मीद करे उससे उम्मीद लगाना छोड़ दो। दुनिया में कुछ भी बिना परिश्रम और कर्म के हासिल नहीं हो सकता। कर्म तो भगवान भी करते है, फिर तुम तो एक मनुष्य हो। जो होगा अच्छा होगा, जो हो रहा है उसके पीछे भी कोई ना कोई कारण अवश्य होगा, मगर यदि तुम्हारा कर्म सही है तो तुम्हे चिंता करने की कोई आवश्यकता ही नहीं।
2. अधिक चिंता करना क्यों है आपके लिए चिंताजनक ?
चिंता तुम्हे अंदर ही अंदर कमजोर बना देती है, तुमसे तुम्हारे चेहरे की मुस्कान भी चूरा लेती है, क्यों दे रहे हो अधिकार तुम किसी को इतना कि वो तुमसे तुम्हारी हँसी ही छीन ले, तुम्हारा चैन और सुकून ही छीन ले।
सदैव चिंता में अपना जीवन बिताने वाले लोगो से यही कहना चाहूंगी कि तुम्हारा दिन रात चिंता में डूबे रहना तुम्हारे लिए काफी चिंताजनक है, क्योकि तुम सत्य को समझ पाने में असमर्थ हो और सत्य ये है कि चिंता में रहने वाले लोग ना चाह कर भी नकारात्मक चीजों को अपनी तरफ आकर्षित कर लेते है, ऐसा इसलिए होता है क्योकि मानव का मस्तिष्क उसकी चेतना अति प्रबल होती है यदि वो किसी विषय पर अधिक चिंतन करता है, तो वही चीजे उसकी तरफ आकर्षित होने लगती है।
3. क्या सकारात्मक सोच सभी चिंताओं का समाधान है ?
यदि तुम दुखी रहोगे तो दुःख कम होने के स्थान पर और बढ़ेगा, यदि तुम समस्याओ की चिंता में उदास रहोगे तो तुम्हारे जीवन में बस निराशा ही तुम्हारे हाथ लगेगा। क्योकि तुम अपने दिमाग को खुद उन नकारात्मक चीजों और बातो की तरफ केंद्रित करने का प्रयास कर रहे हो यदि तुम चिंता को अपने जीवन से बाहर निकाल दोगे तो कोई चिंता तुम्हे निराश और हताश नहीं कर पाएगी, अपनी सकारात्मक सोच को अपने दिमाग पर हावी रखोगे तो जीवन की कोई समस्या तुम्हे परेशान नहीं करेगी बल्कि तुम्हारी सकारात्मक सोच खुशियों को तुम्हारी तरफ आकर्षित करेगी।