प्यार कभी मरता नहीं और ना ही कोई प्यार को मिटा सकता हैं, क्योकि प्यार वो अटूट बंधन हैं,जो जन्म जन्मांतर तक एक दूसरे के साथ रहता हैं।
केवल कह देने से कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ /या करती हूँ, इससे सिद्ध नहीं हो जाता कि वाकई तुम्हारा प्यार सच्चा और पवित्र हैं बल्कि जब तक तुम अपने प्यार का सम्मान नहीं करते तब तक तुम्हारा प्यार पवित्र और अटूट नहीं कहला सकता। प्यार में कभी भी अमीर,गरीब और जाति नहीं देखी जाती, क्योकि ये बंधन स्वतः ही जुड़ जाता हैं,जिसका प्यार सच्चा होता हैं, उसे एक होने से कोई नहीं रोक सकता।
सच्चे प्यार में इतनी शक्ति होती हैं कि इसके बीच आने वाली हर दीवार स्वतः ही टूट जाती हैं। जिसे तुमसे सच्चा प्यार होगा वो तुमसे कभी स्वार्थ का रिश्ता नहीं जोड़ सकता क्योकि सच्चे प्यार में स्वार्थ के लिए कोई जगह नहीं हैं।
भले ही उसके जीवन में कितने दुःख या तकलीफ हो मगर यदि उसके जीवन में एक बार सच्चे प्यार ने दस्तक दे दी तो वो इंसान अपने हर दुःख और तकलीफ को भूल जाता हैं,ये हैं सच्चे प्यार की ताकत। तुम्हारी खुशियों को देख जो खिल उठे, अपने गम को भुला कर जो तुम्हारे हर गम की दवा बने,तो उस इंसान की कद्र करना मत भूलना क्योकि सच्चा प्यार जीवन में बस एक बार ही दस्तक देता हैं,जो इस की कद्र नहीं करते वो सारी उम्र सच्चे प्यार के लिए तरसते हैं। सच्चे प्यार को आजमाया नहीं जाता बल्कि सच्चे प्यार को महसूस किया जाता हैं, व्यक्ति की आदतों से,व्यवहार से उसकी पसंद-नापसंद से।सच्चे प्यार में वासना के लिए कोई स्थान नहीं,ना ही ये जिस्म का रिश्ता हैं, सच्चा प्यार तो निस्वार्थ होता हैं जिसे जिस्म से ज्यादा तुम्हारी खुशियों की परवाह होती हैं।
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1. क्या सच्चा प्यार आज भी जिंदा हैं ?
हाँ, आज भी जिंदा हैं सच्चा प्यार,चाहे कितनी भी दुरी हो, या दोनों एक दूसरे को जानते तक नहीं हो मगर यदि दोनों का रिश्ता जन्म जन्मांतर का हैं,तो वो दुनिया के किसी भी कोने में क्यों ना हो एक ना एक दिन नियति उन्हें मिला ही देती हैं और एक दूसरे के सामने ला कर खड़ा कर देती हैं।
युग बदलने से क्या होता हैं ? समय के चक्र के घूमने से क्या होता हैं ? बदलता हैं तो केवल युग और समय, मगर जो युग और समय के बदलने के बावजूद भी यदि नहीं बदलते वही अपने रिश्ते की अहमियत को समझते हैं।जिन्हे अपने रिश्ते की अहमियत का पता होता हैं,वो रिश्ता कभी टूट कर नहीं बिखरता हैं।
ये कोई वस्त्र नहीं जिसे तुम जब चाहो बदल डालो, जैसे तुम्हारा मनुष्य शरीर हैं जिसे बदला नहीं जा सकता ठीक वैसे ही सच्चा प्यार यदि किसी से एक बार हो जाए तो ना ही उसे भुलाया जाता हैं और ना ही उसे बदला जाता हैं,क्योकि ये दो शरीर और एक आत्मा का जुड़ाव होता हैं।
जैसे तुम्हारे नाम से तुम्हारी पहचान होती हैं,ठीक वैसे ही तुम्हारे जीवनसाथी से तुम्हारी पहचान होती हैं,कहने का तात्पर्य हैं, दोनों ही एक दूसरे की पहचान कहलाते हैं। यदि दोनों में से कोई भी एक यदि जुदा होते हैं,तो उनकी पहचान भी उनसे जुदा होने लगती हैं। यदि चोट तुम्हे लगती हैं तो उस दर्द का एहसास उसे होता हैं, ये हैं सच्चे प्यार की ताकत। यदि तुम पर कोई दुःख या मुसीबत आती हैं,तो उसका पता, तुम्हारे बिना बताए ही उसे ज्ञात हो जाता हैं।
मगर इस कलयुग में किसी का विश्वास सच्चे प्यार पर अब नहीं रहा,जानना नहीं चाहोगे इसकी वजह क्या हैं ?
2. क्यों कलयुग में सच्चा प्यार नहीं रहा ?
इसकी वजह हैं मनुष्य की जिज्ञासा, वासना,प्रलोभन, स्वार्थ, अहंकार, क्रोध, असंतोष जैसी भावना। मनुष्य स्वयं दोषी हैं और सारा इल्जाम प्यार पर लगा देते हैं। सत्य तो ये हैं कि सच्चा प्यार कभी नहीं मरता,और ना ही उसे कोई मिटा सकता हैं,क्योकि सच्चा प्यार तो अमर होता हैं।