किसे मिलता है सम्मान ?

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 पोथी,ग्रंथ,वेद और पुराण पढ़ने से कोई ज्ञानी और पंडित नहीं कहलाता,मंदिर जाने से पूजा पाठ, अनुष्ठान करने से कोई ईश्वर का सच्चा भक्त और पुजारी नहीं कहलाता, बड़ी डिग्रीया,उच्च शिक्षा और किताबी ज्ञान ग्रहण करने से कोई ज्ञानी नहीं कहलाता, क्योकि जो सच्चा और पवित्र ज्ञान है,ये जग उससे ही अनजान है। 





आज जिनकी नजरो में हम कुछ नहीं, कल उनकी नजरो में हम सब कुछ होंगे,आज हमे देख नजरअंदाज कर रही जिनकी नजरे, कल को वही लोग हमारी नजरे दीदार को तरसेंगे। 


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1. इस दुनिया में सबसे अधिक कद्र किसकी है ?


आज के समय में सबसे अधिक कद्र पैसे की है, वो पैसा ही है, जिसने माता-पिता के स्नेह और दुलार को छीन लिया, वो पैसा ही है,जिसने भाई को भाई का दुश्मन बना दिया, वो पैसा ही है,जो भक्त को भी पाखंड बना दिया, वो पैसा ही है,जो किसी की जिंदगी में कदम रखते ही उसको अभिमानी बना दिया, वो पैसा ही है,जिसने सच को झूठ और झूठ को सच बना दिया, वो पैसा ही है, जो दुनिया को सभ्य से असभ्य बना दिया। फिर भी क्यों है इतनी कद्र इस पैसे की जिसने तुमसे तुम्हारा चैन और सुकून ही छीन लिया ? और ईश्वर की नजरो में तुम्हे इंसान से दानव बना दिया। 


जमीन जायदाद, बंगले, गाड़ियां, हीरे,जवाहरात और पैसा तुम्हारी नजरो में सब कुछ है, इसकी कद्र तुम्हे अपनी जिंदगी से अधिक है, जीते जी मनुष्य अपनी हर एक वस्तु पर अधिकार जताते है,अपनों से भी बगावत करते है, किसी को कुछ भी देना नहीं चाहते, ना तो किसी की सहायता करना चाहते है, बल्कि दूसरे का भी हक उससे छीनने की चेष्ठा करते है, ऐसे मनुष्यो को मैं आज एक बात अवश्य कहना चाहूंगी, तुम्हे जो मिला है ये मानव शरीर मृत्युपरांत वो शरीर भी तुम्हारा साथ छोड़ जाता है, जब तुम्हारा शरीर भी तुम्हारा नहीं तो ये जमीन जायदाद तुम्हारा कैसे हो सकता है ?


2. क्या वाकई आपका केवल अपने कर्मो पर ही अधिकार है ?


मिट्टी का शरीर एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा, साथ तुम्हारे तुम्हारा शरीर भी नहीं जाएगा,फिर जिस दौलत के लिए तुम अपनों से बगावत करते हो वो भी यही रह जाएगा।


यदि संजोना है, तो अपने कर्मो को संजोए रखो, यदि कद्र करना है तो अपनों की कद्र करो, क्योकि तुम्हारा, बस तुम्हारे कर्मो पर ही अधिकार है, बाकि जो कुछ है,वो तो मोह माया का संसार है। 

आप कोई भी त्यौहार मनाए, आप चाहे कितनी भी पूजा पाठ करे सब तब तक अधूरा  माना जाता है,जब तक आपके अपने आपसे प्रसन्न नहीं होते,क्योकि अपनों के बगैर हर त्यौहार खाली है,अपनों के बगैर हर खुशी अधूरी है, क्योकि अपनों से ही होता है, हर त्यौहार निराला।इसलिए अपनों की कद्र करे, उनकी अहमियत को समझे, क्योकि पैसे और जायदाद आपको ऐशो आराम दे सकता है,मगर स्नेह,प्यार और कद्र आपको केवल अपनों से प्राप्त होती है। 



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