क्यों है संस्कारों से वंचित आज की पीढ़ी ?

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 एक वो दौर था एक आज का दौर हैं पहले संस्कारों से चलती थी दुनिया मगर आज संस्कारों से विहीन हैं दुनिया। फिर क्यों ना हो अधर्म में विलीन ये दुनिया ? क्योकि यहां तो संस्कारों से हैं विलग आज ये दुनिया। 





सर्वप्रथम एक बात जान लीजिए की माता-पिता ही अपनी संतान के पहले गुरु कहलाते हैं क्योकि जब कोई शिशु जन्म लेता हैं तो उसका साक्षात्कार सर्वप्रथम अपने माता-पिता से ही होता हैं। जैसे-जैसे वो शिशु बड़ा होने लगता हैं तो उसकी आदतों में भी बदलाव आने लगता हैं ये तो माता-पिता पर ही निर्भर करता हैं की वो अपनी संतान को बचपन से बड़े होने तक कैसी शिक्षा प्रदान करते हैं। 


यदि माता-पिता बचपन से ही अपनी संतान को सख्ती से नहीं पालते तो वही संतान माता-पिता की लाड-प्यार में बिगड़ने लगती हैं और उसमे अनेकों खामिया और बुराईया समाने लगती हैं बाद में ऐसी संतान अपने ही माता-पिता को सम्मान देना भूल जाती हैं और सदैव बुराई के मार्गो का अनुसरण करने लगती हैं। ये कानून,संस्कार  और शिक्षा का विस्तार सर्वप्रथम बच्चे को अपने घर से ही सिखने को मिलता हैं इसलिए घर के मुख्य सदस्य माता-पिता को इसमें बहुत एहतियात बरतनी होती हैं। 


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1. क्यों है संस्कारों से वंचित आज की पीढ़ी ?

आजकल के माता-पिता कम उम्र में ही अपनी संतान को अच्छी सीख देने के बजाय हाथ में मोबाइल पकड़ा देते हैं तो संतान बुरी आदतों का शिकार क्यों ना हो भला ? इस मोबाइल की लत से ही आज देश में इतने अपराध और आतंक का विस्तार हो रहा। क्योकि अच्छी आदतों को सिखने के बजाय आज की युवा पीढ़ी बुरी आदतों को बहुत जल्द ग्रहण करने लगती हैं उनकी यही बुरी आदत एक दिन उनकी पूरी जिंदगी बर्बाद कर देती हैं। 


आज की संतान को मोबाइल का इतना नशा हैं की यदि उससे कुछ देर मोबाइल छीन लिया जाए तो वो कोई भी गलत कदम उठाने में जरा भी संकोच नहीं करते कुछ तो अपने ही माता-पिता का खून कर देते हैं क्योकि उनकी जिद्द पूरी नहीं होती तो ऐसे युवा आवेश में आ कर किसी बड़ी दुर्घटना को जुर्म को अंजाम दे जाते हैं। घर के बड़े-बुजुर्ग दादा-दादी,माता-पिता ही एकमात्र अपने घर के बच्चों में अच्छी संस्कार को जन्म दे पाने में सक्षम होते हैं। मगर आजकल की युवा पीढ़ी को बुजुर्गो के पास बैठने में कहां रूचि हैं ? आजकल के युवा पीढ़ी तो बस पार्टी,बाहर घूमना-फिरना और मोबाइल से चिपकना पसंद करते हैं। आजकल किसी को बुजुर्गो के पास बैठना उनकी बातों को सुनना कहां अच्छा लगता हैं। 


2. क्यों हैं आजकल की पीढ़ियां गैर जिम्मेदार ? 


 इसकी मुख्य वजह हैं आजकल की पीढ़ियों की, की जाने वाली परवरिश। अब परवरिश तो निर्भर करती हैं उन संतानो की माता-पिता पर जो बचपन से बड़े होने तक अपनी संतान के साथ रहते हैं। अच्छे-बुरे की सीख एक माता-पिता ही अपनी हर संतान को दिया करते हैं। 


इसलिए वक्त रहते ही अपनी संतान की एक छोटी सी भूल पर उसे यदि उस भूल के लिए कोई दंड नहीं मिलता या उसके भूल को सुधारा नहीं जाता तो आगे चल कर वही संतान बड़े होने के बाद एक बड़ा अपराध कर जाती हैं।इसलिए बचपन से ही किसी भी संतान की माता-पिता को अपने बच्चों की किसी भी भूल पर पर्दा नहीं डालना चाहिए वरना आजीवन ऐसे माता-पिता को रोना पड़ता हैं क्योकि संतान का एक अपराध उसके माता-पिता को भी उसके अपराध का भागीदार बना देता हैं। क्योकि समाज सर्वप्रथम माता-पिता की परवरिश पर ही ऊँगली उठाता हैं। 


अब एक बात बताओगे आप सब मुझे ? मान लो आप अपने घर में कोई पौधा लाते हो तो आप जैसे-जैसे उसकी देख-रेख करते हो ठीक वैसे-वैसे ही उस पौधे में परिवर्तन होता हैं यदि पौधे की देखभाल भलीभाति नहीं होती हैं तो वो अंदर से खोखला हो जाता हैं और जल्द ही वो पौधा टूट कर बिखर जाता हैं। चाहे आप किसी भी वस्तु को नया ले कर आते हो मगर यदि उस वस्तु की देखभाल नहीं करते तो वो भी खराब  होने लगती हैं। इसलिए समय रहते स्वयं में बदलाव लाए अपनी संतान की परवरिश में किसी गलती को ना दोहराए तथा अपनी हर एक संतान को अच्छे संस्कार का पाठ पढ़ाए सही और गलत क्या हैं ? अपनी संतान को इस ज्ञान से अवगत कराए। 



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