किस धोखे में उलझे हो तुम ?

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 * मरकर भी जो नहीं मरते,सबके दिलों में जो अपना स्थान हैं पाते, कुछ तो बात होगी उनकी शक्शियत में, जो हो कर अमर इतिहास में अपना नाम दर्ज कर जाते।  




इस दुनिया में यदि तुम आए हो, तो कुछ ऐसा कर जाओ ताकि तुम्हारे जाने के बाद भी तुम्हारा नाम सम्मान से लिया जाए अपमान से नहीं। यदि तुम ऐसा सोचते हो कि जिंदगी मिली है तो क्या आज नहीं तो कल सबको इस दुनिया से जाना है जितने दिन की जिंदगी है उसे यूंही फालतू की बातो में और व्यर्थ के कामो में लगा दूँ ,मौज मस्ती करो,ऐशो आराम से जियो बस यही तो जिंदगी है, यदि तुम्हारी सोच ऐसी है तो तुमसे बड़ा अज्ञानी कोई अन्य हो नहीं सकता। 



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अच्छा खाना, अच्छे महंगे कपड़े पहनना,बड़ी-बड़ी गाड़ियों में घूमना,दोस्तों के साथ पार्टी में जाना, बस यही ऐशो आराम को तुम एक खूबसूरत जिंदगी कहते हो तो ये तुम्हारी भूल के सिवा कुछ नहीं। 


* चला था वो ढूंढने बेशुमार दौलत अपार धन को, मगर जिंदगी ने ठुकरा दिया उसी को, क्योकि उसे थी ही नहीं इतनी समझ की वो जान ना पाया अपनी जिंदगी के असली महत्व हो। 


तुमने सुना होगा अक्सर लोगों को कहते कि ये जिंदगी कब धोखा दे जाए इसकी किसी को खबर नहीं, इस कथन को तुम गलत तरीके से यदि लेते हो तो इसे सही मायने में जानना सीखो। सबसे पहली बात जिंदगी किसी को धोखा नहीं देती, दूसरी बात तुम खुद को एवं अपनी जिंदगी को धोखा देने का प्रयास कर रहे हो। 


तुमने व्यर्थ की बातो में,चिंता तनाव में,फालतू के कामो में अपना कीमती समय बर्बाद किया है,तुम दुसरो के कथन पर शीघ्रता से विश्वास कर लेते हो,मगर जो जीवन का असल सत्य है तुम उसे जानने और समझने का प्रयास ही नहीं करते,जब कोई दुर्घटना घटती है तभी लोग होशियार होते है और सावधानी बरतते है यदि उन्हें होशियार नहीं किया गया तो वो ऐसे ही असावधानी बरतते रहेंगे और अपनी जिंदगी से खेलने का प्रयास करते रहेंगे। 


मेरा एक प्रश्न है आज इस संसार के सभी प्राणियों से क्या तुम्हे बताया जाता है कि तुम्हे कब भोजन करना है ?


मेरा प्रश्न बड़ा अजीब है ना, कुछ लोग यही विचार कर रहे होंगे कि ये कैसा प्रश्न है भला हमे क्या पता नहीं कब भोजन करना है ? स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए ही तो सभी प्राणी भोजन ग्रहण करते है,जब भूख का एहसास होता है खुद सभी प्राणी अपने आहार को ग्रहण करते है। 


चलो ये तो बड़ी समझदारी वाली बात है जो तुम सभी प्राणी इस तथ्य से अवगत हो जीने के लिए जल और भोजन का होना अत्यंत आवश्यक है इसके बगैर जीवन खतरे में पड़ सकता है। मगर ये फिक्र तुम तो अपने परिवार के लिए और खुद के लिए ही जताते हो तुम्हे बाकि कर्तव्यों का भान कहां है ?


मेरे कहने का तात्पर्य है,'' जिंदगी बिना कुछ कहे ही हमे बहुत कुछ कह जाती है '' जिसे जानने और समझने के लिए हम सभी को अपने अज्ञान को मिटा कर अपने असल ज्ञान को जागृत करना पड़ेगा। 



1. जिंदगी को वरदान में कैसे बदलें ?


जिंदगी तुम्हे ईश्वर ने प्रदान की है, यदि तुम अपनी जिंदगी को एक वरदान में तब्दील करने की चाहत रखते हो तो तुम दूसरे की जिंदगी से खेलना बंद करो, क्योकि इससे उस व्यक्ति की जिंदगी खराब होती ही है,साथ ही साथ तुम्हारी जिंदगी भी खराब होती है,जो तुम्हे अभी मालूम नहीं होगा समय आने पर तुमसे जब एक-एक खुशियां छीनते जाएगी तब तुम्हे स्वतः ही स्मरण हो आएगा अपनी भूल का। 


बस अपने फायदे के लिए तुम लोगों का इस्तेमाल कर रहे हो, जब तुम्हारा काम निकल जाएगा तुम उन्हें ठोकर मार दोगे तो क्या तुम महारत हासिल कर लोगे ? प्रत्येक कर्मो का हिसाब तुमसे तुम्हारी जिंदगी लेगी, लोगो की बद्दुआएं उनके आँशु भी तुम्हे अनेको पीड़ा और दुःख पहुंचाएगा जिससे तुम जीते जी और मरने के बाद भी बाहर नहीं आ सकोगे क्योकि लोग बुरे इंसानो को जीते जी भी कोसते है और मरने के बाद भी जिससे बुरे लोगो की आत्मा को शांति और मुक्ति प्राप्त नहीं होती। 


एक साफ वस्त्र धारण किया व्यक्ति दूर से ही आता है तो लोग उसे पहचान लेते है उसकी कद्र और सम्मान करते है मगर यदि कोई मैला गंदा वस्त्र धारण किया व्यक्ति जो ना जाने कितने दिनों से एक ही मैला वस्त्र धारण कर रखा है उसे देख सब दूर भागते है। सोचो कितना फर्क है दोनों व्यक्ति में एक साफ स्वच्छ वस्त्र और दूसरा मैला गंदा वस्त्र ,इसमें गलती किसकी है उस व्यक्ति  की या उसके मैले गंदे वस्त्र की ?


इसमें गलती वस्त्र की नहीं बल्कि उस व्यक्ति की है जिसे इतनी भी खबर नहीं कि अपने शरीर पर जो वस्त्र उसने धारण कर रखा है वो गंदे और मैले हो चुके है,मगर अपना सुध बुध खो कर वो बस अपनी जिंदगी का हर एक दिन व्यर्थ में काट रहा है उसे यदि इस बात का ज्ञान होता कि मनुष्य की पहचान उसके वस्त्रो से होती है तो वो यकीनन अपने साफ-सफाई पर ध्यान देता। 


मगर जब उस व्यक्ति के मैले वस्त्र जब उसे पूर्ण रूप से बीमार करेंगे तब उसे आभास अवश्य हो जाएगा अपनी भूल का अपने अज्ञान का। 


2. बुरे कर्म बुरी आदतें कैसे जीवन को बर्बाद कर देती है ?


ये दोनों व्यक्ति को बस उदाहरण है,मेरे कहने का अर्थ तो यही है कि ये जो मानव तन और जीवन तुमने पाया है उसे यदि तुम बुरे कर्मो से बुरी आदतों से मैला करने का प्रयास करोगे तो इससे तुम्हारा ही अहित होगा क्योकि जिस तरह एक मैला गंदा वस्त्र उसे ही बीमार करता है जिसने उसे धारण किया है,ठीक वैसे तुम्हारा बुरा कर्म, बुरी आदते,बुरे व्यवहार तुम्हे ही नुकसान पहुंचाने का प्रयास करता है किसी दूसरे को नहीं। इससे तुम लोगो की नजरो से तो गिरते ही हो,साथ ही साथ ईश्वर भी तुमसे रुष्ट हो जाते है और यही विचार करते है क्यों तुम्हे उन्होंने ये जिंदगी प्रदान की जब तुम्हे अपनी जिंदगी का सही मतलब ही नहीं मालुम।   




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