माना की अपने मकाम को हासिल करना इतना आसान नहीं,मगर दुनिया में यदि कोई चीज आसानी से मिल जाए,फिर उस चीज की इस दुनिया में कद्र नहीं,चाहे वो इंसान हो या कोई वस्तु यदि उसे आसानी से तुमने पा लिया, फिर तुम्हे उसकी अहमियत का अंदाजा नहीं होता,ऐसा क्यों होता हैं ? क्या तुम सबने कभी विचार किया हैं ?
ऐसा इसलिए होता हैं,क्योकि जो चीज मनुष्य को सरलता से प्राप्त हो जाए तो मनुष्य उसे ज्यादा अहमियत नहीं देता हैं, क्योकि उसे ऐसा लगता हैं,अरे इसे पाना तो मेरे लिए बहुत आसान हैं, यदि खो भी गया तो क्या फर्क पड़ता हैं,मैं पुनः उसे प्राप्त कर लूंगा। जैसे बाजार में कोई सामान यदि मुफ्त में मिल जाए तो लोग उसे इतनी खास अहमियत नहीं देते, उन्हें लगता हैं कौन सा इसमें पैसा लगा हैं ? ऐसे ही इसे पड़े रहने दो, मगर वही सामान यदि उसे खरीदना पड़ता हैं तो उस सामान को वो व्यक्ति बहुत संभाल कर उपयोग करता हैं।
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1. क्यों भगवान जल्दी फरियाद नहीं सुनते ?
क्यों भगवान को पाना इतना सरल नहीं ? क्यों भगवान सबको अपना दर्शन नहीं देते ? जानना नहीं चाहोगे इसकी वजह क्या हैं ? क्योकि भगवान इंसान के रग-रग से वाकिफ होते हैं,भगवान को पता होता हैं किसे,कब क्या देना हैं ?
तुम सभी मनुष्यो में से कुछ मनुष्यो को यही प्रतीत होता हैं, की भगवान होते ही नहीं हैं,यदि भगवान होते तो आज इस धरा पर जो अन्याय और पाप हो रहा हैं उसे आ कर रोकते नहीं ? तुम्हारी यही नकारात्मक सोच से ही तुम्हे आज तक कोई सही सार्थक परिणाम नहीं मिले और ना ही तुमने ये जानना आवश्यक समझा की तुम्हारे जीवन का सही लक्ष्य क्या हैं ?
जो अपने लक्ष्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं,तथा जो अपने सही लक्ष्य से अनभिज्ञ हैं,उन दोनों के लिए एक जरुरी और खास बात मैं आज कहना चाहूंगी, ''इतिहास के पन्नों में तुम सबने पढ़ा या सुना होगा, नाम उन्ही का सम्मान से लिया जाता हैं,'' जो तमाम उम्र अपने जीवनकाल में सदैव कठोर और कड़ी मेहनत किया,हर असंभव को भी संभव किया और इतने कामयाब होने के बाद भी जिन्होंने कभी अपने ईमान से सौदा नहीं किया और ना ही इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल कर कभी दुसरो का अहित या अपमान किया।
इसलिए तुम्हारा कार्य हैं,अपना कर्म करना और उसके फल की चिंता नहीं करना,क्योकि जो अच्छे कर्मो का चुनाव कर कठिन परिश्रम से अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं,वो कभी फल की चिंता नहीं करते,क्योकि उन्हें पता होता हैं, ''कि कर्म ही फल का बीज हैं,कर्म ही फल की शाखा,बस तुम निरंतर अपना कर्म करो,क्योकि तुम्हारा कर्म ही होता हैं, तुम्हारा भाग्य और विधाता।
जब तुम किसी भी परीक्षा में बैठते हो तो तुम परीक्षा से पूर्व ही अपने उत्तीर्ण होने,ना होने की चिंता करने लगते हो,यही तो तुम्हारी सबसे बड़ी गलती हैं,क्योकि तुम अपने कार्य से ज्यादा दुसरो के कार्य पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हो,तुम एक बार अच्छी तरह से पूरे लगन और मेहनत से प्रयास कर के तो देखो तुम्हे अपनी परीक्षा में अवश्य सफलता हासिल होगी ,''क्योकि कठिन प्रयास तुम्हे कभी निराश नहीं कर सकते, और बिना प्रयास किए कभी किसी निष्कर्ष पे नहीं उतरते।
2. कहां हैं तुम्हारी मंजिल का पता ?
बहुत से ऐसे छात्र और छात्राएं हैं,जो अपनी मंजिल को पाने के लिए अनेको प्रयास करते हैं,मगर फिर भी उन्हें जल्दी सफलता नहीं मिलती,जिससे वो निराश हो जाते हैं, कुछ छात्र और छात्रा तो आवेश में आ कर गलत फैसला कर लेते हैं,अपनी जिंदगी को खत्म करने की, ये फैसला ही उनके जीवन की सबसे बड़ी भूल कहलाती हैं, सदैव मेरी एक बात स्मरण रखना कोई भी इंसान या कोई भी इम्तिहान तुम्हारी जिंदगी से बढ़ कर नहीं, और बिना इम्तिहान के ये जिंदगी किसी काम की नहीं, क्योकि जब तक तुम्हे अपनी जिंदगी की अहमियत का अंदाजा नहीं होता तब तक तुम्हे अपनी मंजिल का पता नहीं चल सकता,क्योकि ''तुम्हारी जिंदगी के ही एक पन्ने में छिपा हैं,तुम्हारी मंजिल का पता'' यदि तुमने अपनी जिंदगी को ही खत्म करने का फैसला कर लिया फिर कौन देगा तुम्हे,''तुम्हारी मजिल का पता ?
दोस्त,परिवार और रिश्तेदार क्या कहते हैं,ये सोचना तुम्हारा काम नहीं,उन्हें जो कहना और सोचना हैं उन्हें सोचने और कहने दो,क्योकि तुम लोगो की सोच और नजरिए को नहीं बदल सकते, हाँ मगर तुम अपनी कठिन मेहनत और प्रयासों से सफल हो कर एक दिन उनका मुँह अवश्य बंद कर सकते हो जो आज तुमपे ऊँगली उठा रहे हैं,कल वहीं लोग तुम्हारी ओर ऊँगली दिखा कर कहेगे यदि बनना हैं, तो ऐसा बनो जिसने सबको गलत साबित कर दिया अपने प्रयासों से अपने मंजिल का पता खुद ही हासिल कर लिया।