इस जग में कोई भी ऐसा नहीं मिलेगा जिसे अपनी प्रसंशा सुनना पसंद नहीं, इस जग में हर कोई केवल अपनी प्रसंशा सुनना चाहता है,मगर अपनी निंदा कोई नहीं सुनना पसंद करता है।
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जब तुम बाजार से कोई नई वस्तु खरीद कर लाते हो, तो वो वस्तु तुम्हे तब तक प्रिय लगती है जब तक वो नई लगती है, पुरानी होते ही तुम उस वस्तु को नाकाम समझ कर किसी कोने में फेक देते हो, तुम यही सोचते हो अब ये पुरानी हो चुकी है, अब ये मेरे किसी काम की नहीं, पड़े रहने दो इसे किसी कोने में।
चलो ये तो एक वस्तु की बात है, इस पर इतना गौर नहीं करते मगर जो गौर करने वाली बात है, वो ये है कि आज इस बदलते युग में मनुष्य स्वयं को इतना बदल चुका है, कि उसके लिए किसी भी रिश्ते से ज्यादा अहमियत बस अपने फायदे की होती है, लोग पहले किसी चीज में अपना फायदा ढूंढते थे, मगर अब लोग हर रिश्ते में भी अपना फायदा ढूंढने का प्रयास करते है, जो सरासर गलत है।
यदि ईश्वर के पास अद्भुत अतुलनीय शक्ति नहीं होती तो आज तुम मनुष्य ईश्वर को भी नहीं पूजते ? क्यों सत्य कहा है ना ?
तुम सभी चाहते हो तुम सदैव प्रसन्न रहो, तुम्हारे जीवन में सभी सुख समृद्धि तुम्हे प्राप्त हो, तुम्हे किसी प्रकार का कोई कष्ट प्राप्त ना हो, यदि तुम्हे थोड़ा भी कष्ट प्राप्त होता है, तो तुम विचलित हो जाते हो, तो आज मुझे एक बात बताओ, क्या बाकि लोग भी नहीं चाहते कि वो भी सदैव प्रसन्न रहे ? क्या बाकि लोग नहीं चाहते उन्हें सभी सुख समृद्धि प्राप्त हो और उन्हें कोई कष्ट प्राप्त ना हो ?
जैसे तुम्हे खुद की खुशियों की इतनी परवाह है, जैसे तुम्हे खुद की खुशियों से इतना प्यार है, ऐसे ही बाकि लोगो को भी तो अपनी खुशियां प्यारी होगी वो भी तो अपनी खुशियों से इतना ही प्यार करते होंगे, जैसे तुम अपनी खुशियों से प्यार करते हो, फिर तुम कैसे किसी दूसरे मनुष्य से उसकी खुशियां छीनने का प्रयास कर सकते हो ? आज मेरी इस जिज्ञासा को तुम मनुष्य शांत करो, क्योकि हर दिन मैं कोई ना कोई नया जुर्म, नया अपराध सुनते और देखते रहती हूँ, जिसे देखने के पश्चात एक ही पीड़ा मुझे परेशान करती है,मुझे कष्ट पहुंचाती है, कि कैसे एक मानव दानव बन सकता है ? यदि तुमने स्वयं को दानव में तब्दील करने की ठान ली है, तो अब उस दानव से तुम्हे मुक्त करने के लिए कोई ना कोई उपाय तो करना ही होगा जिससे इस जग की खुशियां पुनः लौट सके, संसार से अंधकार के बादल छट सके।
1. एक मजबूत पवित्र रिश्ते की बुनियाद क्या होती है ?
हमारे घर में रहने वाले सभी सदस्य हमारे लिए अहम होते है, हमे किसी भी सदस्य में कोई भेदभाव नहीं रखना चाहिए, क्योकि रिश्ते शर्तो पर नहीं चलते है, रिश्ता फायदा या नुकसान नहीं देखता, रिश्ता तो दिल से निभाया जाता है।
इस दुनिया में कई ऐसे घर है, जहां आज भी माता-पिता बड़े बुजुर्गो को ईश्वर तुल्य माना जाता है, मगर इस दुनिया में कई ऐसे भी घर है,जहां माता-पिता बड़े बुजुर्गो को एक पुराना सामान समझ कर उनका हर दिन अपमान किया जाता है, यहां तक कि उन्हें घर से बेघर कर दिया जाता है, जो असहनीय है, ये सबसे बड़ा पाप है, और पापी है वो संतान जिसे अपने माता-पिता ही बोझ लगने लगते है, जरा उनसे पूछो जिन्होंने अपने बड़े बुजुर्गो को खोया है, अपने घर की रौनक और खुशियों को दूर जाते देखा है। माता-पिता बड़े बुजुर्ग दादा-दादी ये हमारे घर की रौनक होते है, इनसे ही हमारी घर खुशियां जुड़ी होती है, इनके बगैर हर त्यौहार भी फीका पड़ जाता है, बड़े किस्मतवाले होते है, जिनके घरो में बड़े बुजुर्गो के साए होते है।
2. कौन सा अवगुण आपको भीतर से मैला कर रहा ?
बूँद-बूँद से ही एक तालाब बन जाता है, एक बूँद जहर भी अपना असर दिखा जाता है, तो तुम्हारी थोड़ी सी भूल भी अपराध में बदल सकती है, स्वयं को क्यों मैला करने का प्रयास कर रहे हो ? क्योकि तुम्हारे अंदर जो गंदगी बसी है, वो स्नान के पश्चात भी दूर नहीं हो सकती, उसे यदि दूर करना है, तो अपने बुरे विचारो से, बुरे व्यवहारों से स्वयं को मुक्त करो, अपनी जिंदगी की अहमियत को समझो, अपने कर्तव्यों से मुख ना मोड़ो, खुशियां बांटने से कम नहीं होती, बल्कि और बढ़ जाती है। अपने अंदर के इंसानियत को जगाओ, अच्छाई को गले लगाओ।
3. इस वेबसाइट को बनाने का उदेश्य।
इस वेबसाइट को बनाने का उदेश्य पैसा और नाम कमाना नहीं, बल्कि संसार को तथा संसार के सभी वासियों को अंधकार से प्रकाश की ओर लाने के उदेश्य से बनाया गया है, क्योकि ये अत्यंत आवश्यक है, ताकि आप सभी मनुष्यो की जाग्रति हो सके,आपका परिचय आपके जीवन के सत्य से हो सके, आपका सही मार्गदर्शन हो सके, इस जग का कल्याण हो सके, क्योकि शब्दों में बहुत शक्ति होती है,शब्द यदि मीठे और मधुर हो तो ये शत्रु को भी मित्र बना देते है, शब्द यदि तीव्र या कठोर हो तो मित्र को भी शत्रु बना देता है,जो आपके जख्मो पर मरहम का कार्य करते है।

