क्यों है प्यार का पहला अक्षर अधूरा ?

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 अक्सर आप सब ने सुना होगा,या गूगल पर सर्च किया होगा अनेको ऐसी शायरी मौजूद होगी जिसमे बताया गया है कि प्यार किसी का पूरा नहीं होता,क्योकि प्यार का पहला अक्षर ही अधूरा होता है। आप में से कई लोगो को इस बात पर विश्वास भी हो गया होगा,कुछ लोगो को तो ऐसी दर्द भरी शायरी बहुत पसंद आई होगी, क्योकि आज इस कलयुग में लोगो को प्यार में धोखा मिल रहा तो उन्हें यकीन होने लगा है कि वाकई प्यार बस नाम के लिए रह गया,प्यार में दुख और दर्द के सिवा कुछ भी हासिल नहीं होता है। 





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क्या ये वाकई सत्य है ? क्या प्यार का दूसरा नाम धोखा होता है ? क्या वाकई प्यार किसी का पूरा नहीं होता ?


यदि आज मैं आप सबसे सत्य कहूं तो आप में से कई लोगो को मेरी बातो पर यकीन नहीं होगा क्योकि जिसने प्यार में धोखा खाया है उसे कभी प्यार पर विश्वास नहीं हो सकता। मगर जो सत्य है उसे कोई झुठला नहीं सकता, आप यकीन करे अथवा ना करे मगर जो सच्चाई है वो एक ना एक दिन सबके समक्ष उजागर हो ही जाती है। 


यदि सच सुनना चाहते हो तो सुनो जैसा इस दुनिया में घटित हो रहा है ठीक वैसे ही लोग बाते करते है ये सबको पता है,कौन सी बात किसे पसंद आएगी, लोग ठीक वैसा ही आपको प्रसन्न करने के लिए कहेगे या लिखेंगे अब चाहे शायरी हो या कोई लेख ज्यादातर लोग प्यार की निंदा करते है, कोई ये क्यों नहीं लिखता प्यार सबका पूरा होता है,मगर प्यार करने से पहले प्यार को समझना जरुरी होता है, प्यार किसी का अधूरा नहीं होता,अधूरा तो प्यार का पहला अक्षर होता है,क्योकि जब दो लोग एक होते है तब प्यार का अधूरा अक्षर पूरा होता है। क्योकि यदि प्यार का पहला अक्षर अधूरा ना होता तो प्यार का सही मतलब कोई नहीं जानता। 


कहने का तातपर्य है जब जिंदगी में आप अकेले होते है, कोई आपका हमसफर नहीं होता तो आप अपनी जिंदगी में एक अधूरापन महसूस करते है,एक कमी आपको बार-बार महसूस होती है, जब आप अकेले होते है, तब आप अधूरे होते है मगर जैसे ही कोई आपके जीवन में दस्तक देता है जिसे देख कर,जिसे पा कर आपको महसूस होता है कि अब वो अधूरापन आपकी जिंदगी से जा चुका है,क्योकि आपकी जिंदगी में एक हमसफर आ चुका है। 


आपके अकेलेपन को दूर करने,आपकी अधूरी जिंदगी को पूरी करने और आपके सुख दुख में आपका साथ निभाने ताकि आप जीवन के किसी भी मोड़ पर खुद को अकेला महसूस ना करे। 


1. क्यों है प्यार का पहला अक्षर अधूरा ?  


प्यार का पहला अक्षर इसलिए अधूरा रहता है, क्योंकि बिना हमसफर के आपकी जिंदगी अधूरी है,भगवान शिव और देवी सती का रिश्ता उनका प्यार इस संसार में प्रख्यात और प्रसिद्द है, बिना सती के शिव अधूरे है,बिना शिव के सती अधूरी है, उनका अर्धनारीश्वर रूप इस बात का प्रतिक है कि पति पत्नी दोनों एक दूसरे के पूरक होते है। 


प्यार कोई मजाक या खेल नहीं,प्यार पूजा के समान है, प्यार कोई एक दिन या एक वर्ष का रिश्ता नहीं बल्कि ये तो जन्मो का रिश्ता होता है,प्यार के शब्दों को आप बदल नहीं सकते,तो जिससे तुम प्यार करते हो यदि तुम उस इंसान की जगह किसी और को दे रहे हो तो ये प्यार नहीं बल्कि प्यार का अपमान है एक पाप है फिर तुम्हे कैसे किसी का सच्चा प्यार प्राप्त हो सकता है ?


2. क्या वाकई अपनी परेशानियों का दोषी मनुष्य खुद होता है ?


यदि कोई गलत है तो वो है इंसान, जब तुम खुद गलत रास्ते पर चलोगे,गलत और बुरी आदतों को अपनाओगे तो दोष किसी और का कैसे हो सकता है ? किसी को जाने बिना उसे अपना दिल दे बैठे,पहले नजर में ही उसके रूप को देख कर उसको सही समझ बैठे, ये तुम्हारी नासमझी नहीं तो और क्या है ?


मनुष्य स्वयं ही अच्छा और बुरा तय करता है,मनुष्य खुद ही अपने साथ गलत करता है,ना ही इसमें भाग्य का कोई कसूर है और ना ही प्यार का, यदि कसूर है तो बस इंसान का। बेवजह दुनिया में प्यार बदनाम हो रहा है, कसूर इंसान कर रहा है, और कसूरवार प्यार को ठहरा रहा है। 




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