1. सही और गलत की परख को समझना क्यों है जरूरी ?
सही और गलत की पहचान होना अति आवश्यक हैं,क्योकि यदि तुम्हारे अंदर सही इंसान को या सही और गलत निर्णय को समझने की तर्क शक्ति मौजूद नहीं तो तुम अपनी जिंदगी में कभी कोई बड़ी उपलब्धि या कामयाबी हासिल नहीं कर सकते।जो इंसान सही और गलत को परखने में असफल होते हैं वो अपने जीवन में कभी किसी के साथ खुश नहीं रह पाते, क्योकि अक्सर ऐसे लोग गलत लोगो को अपनी जिंदगी में शामिल कर लेते हैं,जिससे उनका तमाम जीवन दुःख और कलह में व्यतीत होता हैं।
2. कोई व्यक्ति गलत निर्णय कब लेता हैं ?
जब कोई इंसान अति आवेश में आ जाता हैं, तो वो क्रोधवश बिना सोचे,बिना समझे शीघ्रता में कोई भी निर्णय ले लेता हैं, उस वक्त उसे इस बात की कोई परवाह नहीं होती कि कहीं उसका लिया गया ये निर्णय आगे चल कर उसके लिए ही कोई समस्या ना बन जाए। ऐसा इसलिए होता हैं क्योकि क्रोध में व्यक्ति का मस्तिष्क विपरीत कार्य करने लगता हैं,जिससे व्यक्ति को अपनी भी परवाह नहीं होती और ना ही दुसरो की इसलिए वो गलत निर्णय ले लेता हैं,जिससे उसका तो अहित होता ही होता हैं,साथ ही साथ वो दुसरो का भी अहित कर जाता हैं।
जैसे किसी उबलते पानी में यदि तुम जानबूझ कर अपना हाथ डालोगे तो इससे तुम्हारा ही हाथ जलेगा,तुम्हे ही कष्ट पहुंचेगा ना की उस उबलते पानी का कोई नुकसान या अहित होगा। इसलिए स्वयं को यदि पछतावे भरी जिंदगी जीते नहीं देखना चाहते, तो आज से ही अपने दिमाग को शांत करना सीख लो, बिना विचारे कोई भी निर्णय लेना छोड़ दो जब तक तुम्हे पूर्ण सत्य का पता नहीं तब तक तुम कोई भी निर्णय या फैसला मत करो,जिससे बाद में तुम्हे पछताना पड़े।
ये जरुरी नहीं केवल जिससे तुम्हारा खून का रिश्ता हो एकमात्र वही तुम्हारे अपने रिश्ते होते हैं, संसार के बाकि लोगो से तुम्हे कोई मतलब नहीं किसी को कोई हानि पहुंचे तो तुम्हे क्या ? तुम्हे तो बस अपनी फ़िक्र होनी चाहिए। यदि किसी की ऐसी सोच हैं तो,''बड़े दुःख के साथ मुझे ये कहना पड़ रहा हैं कि तुम बहुत ही बदनसीब हो'' क्योकि तुमने स्वयं को उस परमात्मा से ही विलग कर रखा हैं,अपने भीतर ऐसी सोच को पाल कर।
3. किसे मिलता है जग में सम्मान ?
क्योकि सभी जीव-जंतु,पशु-पक्षी,पेड़-पौधे एक ही परमात्मा की संतान हैं,फिर मनुष्य के भीतर ऐसी सोच यदि आती हैं, तो वो स्वयं को ईश्वर से अलग कर लेता हैं, ऐसी गलत सोच को अपना कर। तुम मनुष्य को तो एक जानवर के साथ भी गलत व्यवहार नहीं करनी चाहिए,तो इंसान के साथ यदि तुम गलत व्यवहार करते हो तो सोचो तुम एक अपराध के भागीदार बन रहे हो।क्या तुमने देखा हैं कभी किसी गलत इंसान को किसी भी स्थान पर सम्मान मिला हैं ? चाहे घर हो या बाहर हर जगह सम्मान और प्रशंसा उसी की होती हैं, जो हमेशा सही फैसले और सही विचारधारा अपनाता हैं।
जैसे एक गलत दवा दिए जाने पर मरीज को नुकसान पहुँचता हैं,ठीक वैसे ही गलत आदत,गलत लोग या गलत फैसले, तुम्हे कभी सार्थक और अच्छे परिणाम नहीं दे सकते।
कुछ लोग कहते हैं, ना जाने क्यों मेरे साथ कभी सही नहीं होता ? मगर वो ऐसा क्यों नहीं सोचते की आखिर तुम्हारे साथ सही ना होने की वजह कुछ तो रही होगी ? तुम्हारे जीवन में सही ना होने के पीछे कुछ तो तुम्हारी भी भूल या गलती होगी। या तो तुमने किसी सही इंसान को अपने लिए नहीं चुना,या तो अपने जीवन में तुमने सही क्या हैं और गलत क्या ? इसे जानना कभी जरुरी नहीं समझा।
कभी-कभी तो अति उत्साह में भी इंसान कोई भी फैसला तुरंत कर लेता हैं,वो अपनी प्रसन्नता में ये भी नहीं सोचता,कि अति उत्साह में लिया गया उसका अभी का फैसला भविष्य में उसके दुःख का कारण ना बन जाए।
इसलिए कहा जाता ज्यादा खुशी, ज्यादा गम किसी के संभाले नहीं संभलता अक्सर मनुष्य अधिक प्रसन्नता में भी अपनी बुद्धि और विवेक खो देते हैं। इसलिए कहा जाता हैं अति प्रसन्नता भी मनुष्य के चिंता का विषय बन सकता हैं। अपने जज़्बात पे काबू करना सीखे, दुःख में हिम्मत ना हारे,क्रोध में अपनी बुद्धि और विवेक पर काबू करना सीखे,धीरज और धैर्य से काम ले तथा अति उत्साह और प्रसन्नता में खो कर कोई भी निर्णय का फैसला ना करे।