धैर्य खोने का परिणाम।

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 जिस इंसान में सहनशक्ति का वास होता है, उस इंसान के लिए हर समस्या से बाहर निकलना आसान होता है। 





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*1. चैन और सुकून भरा जीवन जीने का तरीका। 


यदि तुम अपने जीवन में चैन और सुकून चाहते हो तो सबसे पहले अपने मन को शांत करना सीखो अपने मन को अपने काबू में करना सीखो क्योकि ये मन बड़ा ही चंचल होता है यदि हमारा नियंत्रण अपने मन पर तथा अपनी इच्छाओ पर नहीं रहता तो इसका दुष्प्रभाव हमारे जीवन पर पड़ने लगता है, जिससे हमारे अंदर की सहनशीलता खोने लगती है और जो इच्छा यदि पूरी नहीं होती तो हमारे जीवन का  चैन और सुकून भी खो जाता है। 


दुख हो या सुख कोई भी परिस्थिति हमे तभी विचलित करती है, जब हमारा मन एकाग्र नहीं रहता। जब हमारे मन में अनेको इच्छाएं जन्म लेने लगती है तो वो इच्छा यदि किसी कारणवश पूर्ण नहीं हो पाती तो हमारा विवेक भी अस्थिर होने लगता है। 


*2. कैसे रखें अपने मन पर काबू ?


अपने जीवन में एक बात हमेशा याद रखना, ये जो तुम्हारा मन है, वो तुम्हारा सबसे अधिक इम्तिहान लेता है, क्योकि तुम्हारा मन तुम्हे ये समझाने का प्रयास करता है, यदि तुम मुझे काबू में रखना चाहते हो तो सबसे पहले अपने मन में आने वाली इच्छाओ को शांत करना सीखो उसपे काबू करना सीखो यदि तुम अपने दिमाग को अनेको उलझन और बेवजह की बातो से अशांत करने का प्रयास करोगे तो तुम्हारा मन भी इससे अशांत और विचलित होगा क्योकि तुम्हारा मन और दिमाग तुम्हारे ही अंदर बसा है तुमसे अलग नहीं। 


जरुरी नहीं हमारी हर इच्छा पूरी हो, कुछ लोग जिनकी सोच बड़ी होती है, जो हर दुख को भी सुख में बदलने का हुनर और ज्ञान रखते है वो सर्वप्रथम अपने मन को काबू में करने का प्रयास करते है, जो नहीं मिला उसका क्या शोक करना, जो प्राप्त है वही पर्याप्त है, क्यों अधिक की लालशा में अपने जीवन को और स्वयं को दुखी रखना ? मेरे पास क्या नहीं ? जो मैं शोक करू अनंत ज्ञान का भंडार हूँ मैं फिर क्यों दुनिया की निरर्थक अमूल्य वस्तुओ के लिए मैं अपने दिमाग और मन को अशांत करू ?  जो सबसे अहम है वो ये है कि मेरे अंदर मौजूद है संतोष की भावना, जो नहीं होती, हर किसी के पास वो है मेरे पास फिर किस बात का मैं शोक करू ?



*3. सहनशीलता खोने का परिणाम


जब कोई व्यक्ति अपनी सहनशीलता को खो देता है, तो ये मान लेना वो स्वयं ही अपने हाथो से अपनी जिंदगी को गलत दिशा की ओर अग्रसर करने की भूल कर देता है। क्योकि सहनशीलता ही तुम्हारे व्यक्तित्व की ढ़ाल है, यदि तुम्हारे अंदर सहनशीलता ही नहीं फिर तुम्हे अच्छी बात भी बुरी लगने लगती है, और बुरी बाते अच्छी लगने लगती है,क्योकि अपनी सहनशीलता को खोने से तुमने अपना विवेक भी खो दिया सही और गलत क्या है ? इसे परखने का तुमने हुनर खो दिया। 


अपने रिश्ते को बचाने के लिए तथा मजबूत करने लिए सबसे पहले हमे बुरी और कड़वी बातो को नजरअंदाज करना सीखना होगा, यदि सामने वाला इंसान आपका प्रिय है, तो अक्सर अपने रिश्ते को बचाने की खातिर किसी एक को विनम्र और सहनशील बनना पड़ता है। यदि दोनों ही अपनी सहनशीलता खो देंगे तो दोनों का रिश्ता टूट कर बिखर सकता है, और बाद में पछतावे  कुछ भी शेष नहीं रहता। 


चाहे आप किसी बड़े पद पर क्यों ना हो, चाहे आप किसी दफ्तर के मालिक या कर्मचारी ही क्यों ना हो यदि आप अपने स्वभाव को सौम्य और गंभीर नहीं बनाते तो लोग आपको सम्मान भरी नजरो से नहीं देख सकते है।  सौम्य और गंभीर मैंने इसलिए कहा है क्योकि जब परिस्थिति अनुकूल हो तो आपको अपने क्रोध का प्रदर्शन करने की कोई आवश्यकता नहीं, मगर यदि कहीं पर कोई अन्याय या अपराध घटित होता है, तो वहां आपको गंभीरता से परिस्थिति को संभालने का हुनर अपने भीतर जागृत करना होगा। जिसमे आपको विचलित नहीं होना है, बहुत ही सूझ बुझ से सोच समझ कर किसी भी निष्कर्ष पर उतरना है, जिससे किसी का अहित ना हो सके। 


चाहे छात्र हो या कोई अधिकारी,चाहे आप कोई भी हो आपके अंदर सहनशीलता का होना बेहद जरुरी है, क्योकि जीवन में अनेको उतार-चढ़ाव आते जाते रहते है, कुछ लोग समस्याओ को देख अपने घुटने टेक देते है, तो कुछ लोग समस्याओ को अपनी सहनशीलता से हमेशा के लिए अपनी जिंदगी से दूर कर देते है। 


हमेशा याद रखे कोई भी समस्या आपसे बड़ी नहीं है, दुनिया में कोई भी ऐसी समस्या नहीं जिसका हल ना हो सके, जरुरत है तो बस बुद्धि और विवेक की,सहनशीलता  की। 


आपका बुद्धि और विवेक तभी काम करता है जब आप में  सहनशीलता का वास होगा। जिस व्यक्ति ने अपनी सहनशीलता खो दी तो ये मान लेना वो अपने जीवन में कभी किसी भी समस्या को सुलझा नहीं सकता बल्कि उन समस्याओ में स्वयं उलझ जाता है। सहनशीलता खोने से मनुष्य का ज्ञान भी किसी काम का नहीं क्योकि उसे कब किससे कैसे पेश आना है इसकी भी समझ नहीं होती, वो उद्वेग हो कर सबका अपमान करने लग जाता है,जिससे उसका सम्मान तो जाता ही जाता है साथ ही साथ वो अपनी जिंदगी में खुद को अकेला महसूस करने लगता है। 


इसलिए अपनी सहनशीलता को बनाए रखे, अपनी जिंदगी को जीना सीखे, इच्छाओ का क्या है ? ये तो हर दिन बढ़ते रहती है, यदि इसे रोका ना गया तो आपकी जिंदगी में ये मुश्किलें खड़ी कर सकती है, यदि इच्छाओ में उलझ कर आपने अपनी सहनशीलता को खो दिया तो आपकी ये लापरवाही आपके जीवन में एक नई समस्या को जन्म दे सकती है। 



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