क्या आप कर्म की शक्ति से परिचित है ? (Are You aware of The Power of Karma?)

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इस संसार में जन्म लेने वाले हर मनुष्य के जीवन का कोई ना कोई उदेश्य अवश्य होता हैं यदि ऐसा ना होता तो किसी भी मनुष्य को उसके कर्मानुसार फल प्राप्त ना होता। मनुष्य यदि गहराई से चिंतन करे तो उसे ये ज्ञात अवश्य होगा की ईश्वर ने आखिर इस संसार में हर मनुष्य को क्यों भेजा ?


जैसे एक अच्छी सीरत एक अच्छी सूरत और एक अच्छा व्यक्तित्व सबको अपनी और आकर्षित करता हैं सबका ध्यान अपनी ओर केंद्रित करता हैं ठीक वैसे ही मनुष्य का अच्छा कर्म उसके जीवन में एक सकारात्मक दिव्य ऊर्जा को अपनी ओर आकर्षित और केंद्रित करता हैं इसलिए प्रत्येक मनुष्य को सर्वप्रथम अपने कर्म को बेहतर बनाने का प्रयास करना चाहिए क्योकि यदि कर्म ही अच्छा नहीं तो किसी का भविष्य और उसका जीवन अच्छा कैसे हो सकता हैं क्योकि कर्म से ही तो हर मनुष्य अपने भाग्य को बदल पाने में सफल होता हैं अर्थात प्रत्येक मनुष्य का भाग्य उसके कर्म पर ही आश्रित होता हैं। ये मानव काया आपको यूँ ही नहीं मिली जरा विचार करे ईश्वर ने आपको बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ी आपकी संरचना उस परमेश्वर ने कुछ तो सोच कर ही किया होगा। मनुष्य की संरचना स्वयं कर पाना असंभव हैं ये एकमात्र वो ईश्वर वो विधाता ही कर पाने में सक्षम हैं उसके सिवा कोई भी नहीं। 


ईश्वर ने आपको दो आंखे दी ताकि आप अच्छा देख सको, दो कान दिया ताकि आप अच्छा सुन सको,मुख दिया ताकि आप अच्छी वाणी बोल सको, दो हाथ प्रदान किया ताकि आप एक हाथ से यदि ग्रहण करो तो आपका दूसरा हाथ सदैव दुसरो के दान के लिए खुल सके, दो पैर दिया ताकि आप सही मार्ग पर चल सको। मगर क्या इस धरा पर रहने वाला मनुष्य ईश्वर के किए  उपकारों का भलीभांति  आकलन कर रहा हैं ?क्या इस धरा पर रहने वाला मनुष्य अपने कर्मो का सही से पालन कर रहा हैं ? नहीं कर रहा क्योकि यदि मनुष्य अपने कर्म को सुधार लेता तो आज इस धरा पर इतना पाप और अधर्म का विस्तार नहीं होता। 


क्या हैं कर्म की शक्ति ?





कर्म की शक्ति इतनी प्रबल होती हैं जो इंसान के भाग्य को बदलने की ताक़त रखती हैं। मनुष्य के हर कर्म में छुपा हैं उसका सम्पूर्ण भविष्य यदि कर्म में सुधार नहीं तो आपके भविष्य में सुधार कैसे हो सकता हैं ? व्यक्ति का हर कर्म उसके जीवन को सुख या दुःख की तरफ ले कर जाता हैं कहने का अर्थ हैं यदि व्यक्ति के कर्म अच्छे और नेक हैं तो उसके जीवन का हर दुःख सुख में परिवर्तित हो सकता हैं मगर यदि व्यक्ति का कर्म बुरा हैं तो उसका पूरा जीवन सुख से दुःख में परिवर्तित हो जाता हैं। 


माना की आज इस दुनिया में अच्छे कर्म वाले इंसान दुःख का सामना कर रहे हैं और बुरे कर्म वाले इंसान खुशी से अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं मगर ये सुख क्षणिक हैं और अस्थायी हैं क्योकि पाप और अधर्म से कमाया गया धन किसी को कबतक सुखी रख सकता है ? मगर जो अच्छे कर्म कर रहे हैं उसके बावजूद यदि वो दुःख झेल रहे हैं तो उनका ये दुःख स्थायी कदापि नहीं उनका ये दुःख क्षणिक भर का दुःख हैं क्योकि अच्छे कर्मो का अच्छा ही परिणाम होता हैं हर काली अंधेरी रात के बाद ही सुबह का उजाला आपके जीवन को प्रकाशित करता हैं।


 कर्म ही मनुष्य की ढाल हैं और कर्म ही मनुष्य का कवच जो अपने कर्मो के द्वारा जनहित का कल्याण चाहता हैं सबकी सहायता के लिए सदैव आगे बढ़ता हैं उसका चाह कर भी कोई अहित नहीं कर सकता हैं क्योकि उसके सर पर सदैव ईश्वर का  हाथ होता हैं। धन-दौलत पैसा सबके पास हो सकता हैं मगर ईश्वर सबके पास नहीं होते क्योकि ईश्वर को पाना सबके बस में कहां, ईश्वर को वही पा सकता हैं जो अपने कर्मो में सुधार लाने की ताक़त रखता हैं,अच्छे कर्म ही ईश्वर को आपसे जोड़ने का कार्य करते हैं। इस बात का ध्यान अवश्य रखे आपके कर्मो द्वारा ही आपका एक अदृश्य मकान तैयार होता हैं जैसे कर्म होंगे उस मकान में भी वैसे ही बदलाव होंगे यदि कर्म सही नहीं तो आपका वो मकान टूट कर बिखर सकता हैं जिसका पूरा असर आपकी जिंदगी पर हो सकता हैं। यदि कर्म सही हुआ तो वो अदृश्य मकान एक महल का रूप ले लेता हैं यही तो कहलाती हैं कर्म की शक्ति। 


* ये जो दुख की बारिश है,इससे हताश ना होना, दुख तो आना और जाना हैं क्योकि कर्म से ही मिलता मंज़िल का ठिकाना हैं।।


कर्म वो जो दूसरे की जीवन को खुशियों से भर दे एक अच्छे कर्म से किसी के बेरंग जिंदगी को रंगो से भर दे। कर्म वो जो कभी किसी पे अन्याय को होने ना दे। कर्म वो जो अपने बड़े बुजुर्गो को सदा सम्मान भरी नजरो से देखे उनके बनाए मर्यादा संस्कार का उलंघन ना करे। कर्म वो जो किसी भी स्त्री का अपमान ना करे। 


पूजा-पाठ दान-पुण्य ये सब तभी सार्थक परिणाम देते हैं जब मनुष्य अपने कर्म सही रखता हैं और सही कर्मो का चुनाव आजीवन करता हैं। 


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