क्यों रक्षक ही बन बैठा भक्षक ?

World Of Winner
2

 संसार की स्त्री जाति से मैं यही कहना चाहूंगी कि बनना है तो रक्षक बनो भक्षक नहीं वरना जो महाशक्ति  तुम्हें अस्तित्व में लाई है, वो महाशक्ति तुम्हारे अस्तित्व को मिटा देगी। 





(toc) #title=(Table Of Content)


स्त्री हो कर भी मैं ऐसी स्त्रियों का कभी समर्थन नहीं करुँगी जो स्त्री जाति के नाम पर एक धब्बा है एक कलंक है। मैंने कभी अपनी कल्पना में भी नहीं सोचा था कि जो स्त्री एक नया जीवन दे सकती है एक दिन वो स्त्री किसी के जीवन को समाप्त भी कर सकती है। क्या हो गया है संसार की स्त्रियों को ? क्यों भूल बैठी है स्त्रियां अपनी मर्यादा और गरिमा ?


1. देवी सावित्री के समक्ष क्यों यमराज को होना पड़ा नतमस्तक ?


देवी सावित्री जिसने अपने पति के प्राण को वापस लाने के लिए कितने कष्ट सहे यहां तक कि सावित्री यमलोक तक चली गई स्वयं यमराज को भी सावित्री के पतिव्रत के समक्ष नत्मस्तक होना पड़ा और सावित्री के पति को पुनः जीवित करना पड़ा। मगर आज क्या हो गया है संसार की कुछ स्त्रियों को ? 


यदि तुम्हें अपने पति के साथ नहीं रहना है तो तुम उससे अलग हो जाओ मगर किसी की जान बक्श दो क्योकि किसी की जान लेने का हक़ किसी को नहीं। एक पत्नी अपने पति की ढाल बन कर उसकी रक्षा करती है, मगर जो पत्नी ही स्वयं अपने पति की भक्षक बन जाए तो उस पति पर क्या गुजरती होगी जिसने ना जाने कितने सपने संजो रखे थे अपने परिवार के लिए उसे क्या पता था जिसे वो अपना सब कुछ मान चुका है एक दिन वो ही उसके मौत की वजह बनेगी।  


ये कलयुग है इसका मतलब ये नहीं यहां पापियों और अधर्मियों की मनमानी चलेगी ये मत भूलो इस संसार को अस्तित्व में कौन लाया है ? ये मत भूलो तुमने  ये मानव जीवन किससे पाया है ? आंधी, तूफ़ान,सुनामी बता कर नहीं आती अचानक आती है जो एक पल में सब कुछ बहा कर अपने साथ ले जाती है। 


आज देश और दुनिया की ऐसी हालत हो गई है कि लोग दहशत में आ गए है अब विवाह जैसे अटूट बंधन से लोगों का विश्वास उठने लगा है लोग इस खौफ में है कि उन्हें पत्नी के रूप में कौन मिलेगी एक देवी जैसी पत्नी या पत्नी रूप में एक भक्षक प्यार को पवित्र रिश्ते को शर्मसार कर क्या मिलेगा ऐसे लोगों को जो अपने पति को किसी पराए पुरुष के लिए जान से मार देती है ? 


2. विवाह को खेल समझने वाले ध्यान दे। 


हमेशा याद रखो ये जीवन एक बार मिलता है, प्यार भी एक बार होता है और विवाह भी उसी से होता है जिसके साथ तुम्हें ईश्वर ने जोड़ा है मगर अब संसार में प्यार और विवाह को एक खेल समझा जाने लगा है जो बहुत बड़ा पाप है इससे मुक्ति ना तो जीतेजी मिल सकती है और ना ही मरने के बाद। कहीं एक माँ अपने प्रेमी के लिए अपने मासूम बच्चे की जिंदगी मिटा रही, कहीं पर एक पत्नी अपने प्रेमी के लिए अपने पवित्र वैवाहिक रिश्ते को शर्मसार कर रही, ये प्रमाण है तुम्हारे विनाश का।जिस मनुष्य में मनुष्यता ना हो वो मनुष्य नहीं कहलाता, नारी में यदि दया, करुणा और ममता ना हो तो वो नारी कभी किसी के प्रेम को नहीं समझ सकती और ऐसी नारियां अंत में नर्क से भी भयंकर जीवन जीने पर मजबूर हो जाती है आजीवन पश्चाताप की अग्नि में जलती रहती है। 


प्यार ही संसार का सबसे अनमोल धन है अपने वैवाहिक रिश्ते को प्यार से जियो अपने जीवनसाथी को समझने का प्रयास करो, भले ही अधिक धन ना हो मगर यदि जीवन में सच्चा प्यार साथ हो तो हर दुःख भी सुख में बदल जाता है। 


Post a Comment

2Comments


  1. We should understand the dignity of true love and marital relationship. If love is true then every sorrow turns into happiness. Very inspiring article by you.,👍

    ReplyDelete
Post a Comment

#buttons=(Accepted !)

Our Website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Ok, Go it!