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आलोचना समाज में अक्सर किसी ना किसी की होते रहती है। आलोचना के बगैर कोई भी अपनी जिंदगी के सफर में आगे नहीं बढ़ता। आलोचना तो भगवान की भी होती है फिर आप तो एक इंसान है, फिर आप आलोचना से कैसे बच सकते है ? यहां के लोग तो ना जाने भगवान को क्या कुछ नहीं कहते जबकि सबको पता है भगवान हर जगह मौजूद रहते है कौन क्या कहता है कौन सा कर्म करता है भगवान को सबकी खबर रहती है फिर भी इंसान बेखौफ भगवान की आलोचना करते है, आखिर क्या वजह है जो भगवान अपनी आलोचना चुपचाप सुनते रहते है और किसी को कोई जवाब नहीं देते ? क्या कभी आपने ये विचार किया है ?
मैं इसका जवाब देती हूँ जब गौतम बुद्ध ज्ञान की प्राप्ति के लिए घर से निकले तो उन्हें भी कई आलोचनाओं से हो कर गुजरना पड़ा, मगर वो मुस्कुरा कर चुपचाप आगे बढ़ गए और अपने कर्म करते रहे, जब गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हो गई फिर उनके वही आलोचक उनके प्रसंशक बन गए। तो आप इस कहानी से क्या सीखे ?
अपने कर्म पर ध्यान दो आलोचको पर नहीं, ये तो दुनिया का दस्तूर है, यदि तुम्हें उनके कथन को गलत साबित करना है तो खामोशी से पूरी मेहनत के साथ अपने लक्ष्य पर ध्यान दो क्योकि एकमात्र तुम्हारा कर्म, तुम्हारी मेहनत ही तुम्हारी आलोचना का जवाब दे सकती है वरना तुम किस-किस का मुँह बंद करवाओगे ?
1. अपने आलोचकों को करें नजरअंदाज -
यदि आप अपनी आलोचना से परेशान है तो आप एक बात अवश्य याद रखे आप परेशान हो कर कुछ नहीं कर सकते सिवाय अपना समय नष्ट करने के।इसलिए बेहतर होगा जो आपकी आलोचना कर रहे उन्हें नजरअंदाज करें।आलोचनाएं तो हर जगह होती रहती है,चाहे आपका घर हो,दफ्तर हो या सोशल मीडिया।हम जिस समाज में है वहाँ रहने वाले कुछ लोगों का काम है दूसरों के जीवन में ताक झांक करना,निंदा करना उनको इसी से खुशी मिलती है तो उन्हें उनका काम करने दे,यदि आपको अपनी आलोचना से वाकई फर्क पड़ता है तो सबसे पहले ऐसे लोगों की बातों को नजरअंदाज करना सीखे ऐसे आलोचकों को यदि आप गलत साबित करना चाहते है तो चुपचाप अपने कर्म में लग जाए कठिन श्रम से ही आपको सफलता हासिल हो सकती है यदि आप सफल हो गए फिर आपके आलोचकों का मुँह खुद बंद हो जाएगा क्योकि आपकी सफलता से बड़ा आपकी आलोचना का कोई अन्य जवाब हो ही नहीं सकता।
2. अपनी आलोचना को चुनौती के रूप में ले -
यदि आप अपनी आलोचना को सहन नहीं कर पा रहे है तो आप आज से अपनी आलोचना को एक चुनौती के रूप लेने की आदत डाल ले क्योकि यही एक रास्ता है और हल जो आपके तनाव को कम कर सकता है और आपकी हिम्मत को बढ़ा कर आपमें कुछ बेहतर कर गुजरने की उमंग और हौसले को जागृत कर सकता है।आप याद रखे जिस दिन आप लोगों की आलोचनाओं को दिल से लगाना छोड़ देंगे उस दिन से आपकी जिंदगी आलोचना से आपकी प्रसंशा में बदल जाएगी।आप ऐसे आलोचकों की बातों को जब नजरअंदाज कर आगे बढ़ेंगे वो लोग आपकी आलोचना करना खुद छोड़ देंगे क्योकि उन्हें यही लगेगा आपको उनकी बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता।
3. आलोचना से शोहरत तक का सफर -
आलोचना से शोहरत तक का सफर आसान नहीं होता इसे आसान बनाना पड़ता है, हिम्मत से,विश्वास से,सच्ची लगन और कठिन परिश्रम से। हमेशा याद रखे यदि आप अंधकार में बिना सोचे समझे आगे बढ़ने का प्रयास करेंगे तो यकीनन आप अंधकार में उलझ जाएंगे अपनी मंजिल से भटक जाएंगे। कहने का तात्पर्य है ये आलोचना एक अंधकार की दुनिया है, इससे दूर रहना ही आपके लिए हितकारी होगा।हमेशा याद रखे आलोचना से जब भगवान भी गुजरते है तो आप एक इंसान है। दुनिया में कुछ लोगों की नजर में जब भगवान भी गलत है फिर आप अच्छे कैसे हो सकते है आप तो एक मनुष्य है।
इसलिए ईश्वर की चुप्पी को उनकी कमजोरी में लेने वाले एक दिन खुद ईश्वर की नजरो से और स्वयं की नजरो से गिर जाते है जब उनका सामना सच से होता है। हमेशा याद रखे आलोचना उसी की होती है जिसमें कुछ बड़ा कर पाने की साहस होती है।आप जीवन में तभी सफल होंगे जब आप अपनी आलोचना को अपने लक्ष्य से दूर रख पाने में सफल होंगे।
ReplyDeleteWe should stay away from criticism because if we want to be successful in life and shut people's mouths, then we should only focus on our deeds and hard work. Very inspiring article by you.👍
Thank you
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