एक ऐसी सच्ची कहानी जिसे सुन कर हर किसी की आँखे नम हो जाएगी, क्योकि ये एकमात्र किताबी कहानी नहीं ना ही बनावटी बातें है, ये किसी के जीवन से जुड़ी एक अद्भुत दास्तान है।यदि आपके पास समय है तो इस कहानी को पूरा पढ़े अन्यथा आप बिना पढ़े भी जा सकते है इसलिए अधूरी कहानी ना पढ़े क्योकि इस कहानी को पढ़ने से इस संसार को एक बहुमूल्य सीख प्राप्त होगी जिससे किसी भी मोड़ पर कोई भी फैसला करने में आपको कठिनाई और उलझन महसूस नहीं होगी।
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1. कौन है इस सच्ची कहानी का मुख्य किरदार ? (Who is the main character of this true story?)
तो कहानी यहां से शुरू होती है एक लड़की से, जिसका जन्म एक पढ़े लिखे संस्कारी परिवार में होता है जिस परिवार में दादा जी उसकी दादी उसके माता पिता, ताऊ ताई,चाचा सब एक साथ रहा करते थे। जब उस लड़की का जन्म हुआ तबसे ले कर आज तक वो अपने दादा और दादी की चहेती रही, उसके पिता की जान भी उस लड़की में ही बसती थी।बचपन से ही उस लड़की में ये सारे गुण थे जैसे किसी गरीब असहाय की मदद करना, बड़े बुजुर्गो का सदा सम्मान करना। ये सब देख उसकी माँ भी चौक जाती थी जैसे ये सारे ज्ञान इतने कम उम्र में उस लड़की में कहां से आए। बचपन से ही उस लड़की को सबका बहुत लाड प्यार मिला। वो लड़की अक्सर अपने दादा जी के पास ज्यादा समय बिताती थी उसके दादा जी काफी पढ़े लिखे आध्यात्मिक थे उन्हें पूजा पाठ का काफी ज्ञान था उस लड़की में बचपन से ही कुछ बड़ा करने की ख्वाइश थी वो बचपन से ही दादा जी के साथ पूजा पाठ अध्यात्म जगत की जानकारी लेती थी उसके दादा जी और दादी उसे बहुत प्यार करते थे। उस लड़की को भी अपने दादा जी और दादी से काफी लगाव था। मगर परिवार में कुछ ऐसे सदस्य थे जिन्हें उस लड़की से ईर्ष्या होती थी।
उसके चाचा चाची और उनके बच्चों को ऐसा लगता था कहीं दादा जी अपने जायदाद में से ज्यादा हिस्सा उसके नाम ना कर दे। मगर उस लड़की को पैसे धन दौलत और जायदाद से कोई मतलब नहीं था क्योकि बचपन से ही उस लड़की को अपनी माँ से अच्छे संस्कार प्राप्त हुए थे वो लड़की बिना किसी स्वार्थ के अपने दादा जी और दादी की सेवा करती थी। बचपन से बड़े होने तक वो लड़की अपनी पढ़ाई में भी काफी अच्छी थी जब भी वो एग्जाम में अच्छे अंक हासिल करती सबसे पहले अपने दादा जी के पास जा कर बताती थी उनके पाँव छू कर उनका आर्शीवाद लिया करती थी वो बहुत खुश होते थे उन्हें विश्वास था कि उनकी पोती में कुछ तो असाधारण है। जब वो लड़की अपने चाचा चाची के पास जा कर उनके पाँव छूती तो वो उसे कुछ नहीं कहते उसकी चाची अपने बच्चों से कहती सब झूठ है पास नहीं हुई ताकि ये बात सुन कर उस लड़की को दुःख हो। जब वो लड़की अपनी माँ के पास जा कर सारी बात बताती है तो उसकी माँ उसे समझाती है माँ कहती है बेटा किसी के कहने से सच बदल नहीं सकता कोई बात नहीं तुम अपनी पढ़ाई पर ध्यान दो किसी की बातों पर नहीं एक दिन तुम बहुत बड़ी अधिकारी बनोगी फिर माँ की बात सुन कर वो लड़की खुश हो जाती है और अपने पढ़ाई में लग जाती है।
2. बचपन से ही जिसने अपने संघर्ष को सीख के रूप में लिया। (Who took her struggles as a lesson since childhood.)
एक बार उस लड़की को एक होमवर्क मिला जो वो हल नहीं कर पा रही थी वो अपनी (cousin sis) के पास जाती है कहती है दीदी मेरी मदद कर दो मेरा होमवर्क मुझे समझ नहीं आ रहा उसकी (cousin sis) उसे डांट कर कमरे से बाहर कर देती है फिर वो लड़की रो कर माँ के पास जाती है माँ उसे समझाती है कहती है तुम अपनी टीचर से फिर से होमवर्क समझाने को कहना वो तुम्हें अवश्य बतलाएंगे उस लड़की को फिर माँ ने कहा बेटा जो तुम्हारा अपमान कर रहे एक दिन वो खुद तुम्हारे पास मदद के लिए आएंगे। उस लड़की ने माँ की बातों से एक और सीख हासिल किया और अपनी पढ़ाई को जारी रखा फिर एक दिन वो लड़की अपने पूरे घर में पढ़ाई में सबसे अव्वल हो गई। जो लोग उसको अपमानित करते थे आज वही लोग उससे मिल कर बात करते है समाधान पूछते है उसकी प्रसंशा करते है। मगर उस लड़की ने कभी किसी का अपमान नहीं किया क्योकि वो हमेशा कहा करती थी यदि मैं भी उनकी तरह व्यवहार करुँगी फिर उनमें और मुझमे क्या फर्क रह जाएगा। वो लड़की हमेशा सबकी मदद के लिए तत्पर रहती थी। उस लड़की के पिता को उस लड़की पर बहुत फक्र था कुछ लोग कहते थे उसके माता पिता से कि उन्हें एक भी बेटा नहीं बस बेटी है उस लड़की के पिता कहते थे मेरे लिए मेरी बेटी बेटा से बढ़ कर है।
3. समस्त संसार के लिए एक बहुमूल्य सीख। (A valuable lesson for the whole world)
समय बीतते गया वो लड़की अपनी पढ़ाई आगे जारी रखना चाहती थी अचानक उसके दादा जी बीमार हो गए जब डॉक्टर ने कहा दादा जी को कैंसर है वो ज्यादा दिन जिंदा नहीं रह पाएंगे तो उस लड़की से ये सब सहन नहीं हो पा रहा था वो रोने लगती है दादा जी को इस बात का पता चल जाता है तब वो जानबूझ कर उस लड़की को डांटते है उस पर बेवजह हमेशा गुस्सा करते है ताकि वो लड़की दादा जी से नफरत करने लगे मगर ऐसा नहीं हुआ जब दादा जी से अपना ऐसा बर्ताव बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो उस लड़की को बुला कर पूछते है दादा जी कहते है मैं इतना गुस्सा करता हूँ तुम्हें ना कहने योग्य बातें कहता हूँ तुम्हें बुरा क्यों नहीं लगता बेटा तुम फिर भी मेरी सेवा करती हो मेरा ख्याल रखती हो इतना कह कर दादा जी रोने लगते है फिर उस लड़की ने कहा दादा जी मैं जानती हूँ आप ऐसा बर्ताव क्यों करते है मगर मैं आपसे कभी नफरत नहीं करुँगी ना आपकी बात का बुरा मानूंगी क्योकि मुझे पता है दादा जी आप मुझसे बहुत प्यार करते है फिर वो लड़की अपने दादा जी के सीने से लग कर रोने लगती है। दादा जी और दादी दोनों रोने लगते है अचानक बाहर आवाज आने लगती है धरती में कंपन होने लगता है सब लोग भूकंप के भय से अपने घर से बाहर निकल जाते है दादा जी को छोड़ कर मगर वो लड़की दादा जी और दादी को छोड़ कर नहीं जाती है दादा जी उसे जाने कहते है तो वो लड़की मना कर देती है, दादा जी को लगा सब अपनी जान की परवाह कर चले गए मगर उस लड़की को अपनी जान से अधिक दादा जी और दादी प्यारे थे।फिर दादा जी उस लड़की के सर पर हाथ रख कर ये आर्शीवाद देते है और कहते है आज मैं तुम्हें एक वचन देता हूँ चाहे मैं इस दुनिया में रहू या ना रहू तुम जब भी दिल से मुझे याद करोगी मैं हमेशा तुम्हारी मदद के लिए आऊंगा मैं अपने जीवन के सारे पूजा पाठ और सारे पुण्य तुम्हें प्रदान करता हूँ। यदि मुझे कुछ हो जाए तुम दादी का ख्याल रखना कभी उदास मत रहना मेरा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है।
4. भागवत गीता की शक्ति। (The Power of the Bhagavad Gita.)
जैसे-जैसे समय बीतता गया दादाजी की तबीयत बिगड़ती गई गले में कैंसर होने के वजह से वो खाना और पानी कुछ भी खाने पीने में असमर्थ थे वो हमेशा भगवान से मृत्यु मांगते थे एक दिन दादा जी एक ऐसे पुष्प और पत्ते को मंगवाए जिनमें विष होता है किसी को खबर नहीं थी मगर उस लड़की ने देख लिया उसे पहले से ही बहुत कुछ ज्ञान प्राप्त था उस लड़की ने उस पुष्प के पत्ते को उठा कर फेक दिया दादा जी क्रोधित हो गए। उस लड़की ने कहा दादा जी आप मृत्यु खुद के हाथो से क्यों करना चाहते है जबकि आप इतने पढ़े लिखे और ज्ञानी है ? दादा जी बोलते है हर पल तड़पने से अच्छा है मृत्यु एक बार आ जाए फिर उस लड़की ने कहा दादा जी सब ठीक हो जाएगा मैं गीता का पाठ करुँगी आपके पास बैठ कर वो लड़की लगातार कई दिन तक गीता का पाठ करने लगी जब गीता का पाठ खत्म हुआ तब उस दिन दादा जी को क्या एहसास हुआ जो वो सभी परिवार के सदस्य को बुलाए सबसे मिले फिर सबको आशीर्वाद दिया और बोले मुझे अकेला छोड़ दो। फिर सब चले गए केवल दादी थी उस स्थान पर वो लड़की सुबह से कुछ भी नहीं खायी ना जल पिया माँ ने उसे कहा तो वो मना कर दी दादा जी का हाथ पकड़ कर बैठ गई दादा जी उसे वहां से जाने बोलते है वो मना कर देती है जैसे उसे भगवान ने एहसास कराया हो फिर दादा जी जिद्द करते है तो चली जाती है फिर अचानक दादी के चिल्लाने और रोने की आवाज से सब दादा जी के कमरे में जाते है तब तक दादा जी की आँखे हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो जाती है। ये बात उस लड़की से सहन नहीं होती कई दिनों तक वो लड़की दादा जी को याद कर रोती रही आज भी वो अक्सर यही सोचती है कि दादा जी उसके पास है वो मर नहीं सकते।फिर एक बड़े तपस्वी उसके घर आए उससे मिले उन्होंने कहा जो दादा जी तुम्हें प्रदान कर गए है वो किसी के पास नहीं तुमने दादा जी को भागवत गीता सुना कर मोक्ष प्रदान किया है। तुम कोई साधारण कन्या नहीं।दादा जी और दादी की हर निशानी को उस लड़की ने आज भी संभाल कर रखा है। क्योकि धन दौलत पैसे जायदाद ये सब कुछ भी मायने नहीं रखते ये सब अस्थायी है यदि कुछ स्थायी है तो वो है अपनों का प्यार और विश्वास जो दुनिया के हर दौलत से बढ़ कर है।
कहानी अभी खत्म नहीं हुई आगे की कहानी बहुत ही अद्भुत अविश्वसनीय है जिसे सुन कर और जान कर आप भावविभोर हो उठेंगे फिर आगे उस लड़की के साथ क्या हुआ और वो कहाँ है इसकी चर्चा मैं दूसरे लेख में करुँगी मगर वो कहानी मैं अगले लेख में प्रकाशित करुँगी वरना आज का लेख बहुत लंबा हो जाएगा।
इस कहानी से आप क्या सीखे और आपको ये कहानी कैसी लगी आप अपने अनुभव हमे कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं। उस लड़की का नाम मैं अभी जाहिर नहीं करुँगी समय आने पर मैं अपने लेख में उस लड़की का नाम उसका परिचय अवश्य प्रकाशित करुँगी।
ReplyDeleteTruly this story brought tears to my eyes, it has given a great lesson to this world through which we come to know our proper responsibilities and the importance of elders. I will eagerly wait for part 2👍
Thank you so much
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