क्यों हो रहे तुम बार- बार असफल ?

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1. क्यों नहीं मिल रहा तुम्हें सही मंजिल का रास्ता ?


आपने देखा होगा जब कोई व्यक्ति किसी रास्ते पर चलता है तो उसका ध्यान सीधा अपनी मंजिल की तरफ ही होता है मगर जब उसका ध्यान सही रास्ते से हट कर किसी और स्थान पर जाने लगता है तब वो व्यक्ति अपनी लापरवाही से या तो किसी खतरे का शिकार होता है या अपनी मंजिल का रास्ता भटक जाता है।जैसे चूल्हे पर यदि दूध को उबालने के लिए चढ़ाया जाता है जैसे ही ध्यान हटता है दूध उबल कर चूल्हे से गिरने लगता है इसमें गलती दूध और चूल्हे की नहीं बल्कि उस व्यक्ति की है जिसकी लापरवाही से ऐसा घटित हुआ। दोनों ही प्रसंग में मैंने जो समझाने का प्रयास किया है आप में से कुछ लोग मेरी बात को समझ गए होंगे मैं क्या कहना चाहती हूँ। 


2. क्यों हो रहे तुम बार- बार असफल ?


मेरे कहने का अर्थ यही है कि सफल और असफल हमे कोई नहीं बनाता, ना तो हमारा भाग्य और ना ही भगवान। हमे सफल और असफल केवल हमारा प्रयास हमारी मेहनत बनाती है। यदि हम प्रयास नहीं करेंगे तो हम कभी सफल नहीं हो सकते, क्योकि प्रयासों से ही भाग्य को भी बदला जा सकता है। यदि प्रयास के बाद भी आप बार-बार असफलता का मुख देख रहे है तो कहीं ना कहीं आपके प्रयास में कोई कमी है। 


यदि आपको प्यास लगी है तो केवल जल ही आपकी प्यास को बुझा सकता है और जल पान करने के लिए भी आपको खुद उठ कर जल को ग्रहण करना होता है। कोई भी कब तक आपकी मदद कर सकता है मान लो आज तुम्हें बिना पकाए भोजन मिल जा रहा है मगर कब तक ऐसा होगा मान लो कभी तुम्हारे घर में कोई ना रहे सब कहीं बाहर हो तो क्या तुम भूखे रह लोगे या खुद भोजन पकाने का प्रयास करोगे ? भोजन पकाना भी एक कठिन कला है जो बहुत प्रयासों से सीखी जाती है ऐसा नहीं कि कुछ भी उठा कर पका दिया कच्चा या जला कुछ भी। 


आपने देखा होगा जब कोई धनुष धारी अपनी धनुष की तीर से कोई निशाना लगाता है यदि उसका ध्यान थोड़ा भी भंग होता है तो उसका निशाना चूक जाता है और तीर सीधे निशाने पर ना लग कर कहीं और लग जाता है। यहां पर भगवान की कोई गलती नहीं बल्कि गलती उस व्यक्ति की है जिसका ध्यान अपने सही निशाने पर नहीं था। ठीक वैसे यदि व्यक्ति प्रयास कर रहा मगर उसे सफलता की जगह असफलता मिल रही है तो इसका मतलब कहीं ना कहीं कोई तो चूक अवश्य हुई है जिसका पता उसे नहीं चल पा रहा यदि वो अपना पूरा ध्यान अपनी मंजिल पर लगा दे और पीछे मुड़ कर ना देखे तो यकीनन इस बार उसे सफलता अवश्य प्राप्त होगी। 


3. आस पास का माहौल सही न हो तो कैसे अपने लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें ?


अक्सर ऐसा होता है कि हमारे आसपास का वातावरण और माहौल सही नहीं होता तो कुछ लोग उससे परेशान हो जाते है जिससे उनका ध्यान अपनी मंजिल से हटने लगता है ऐसे में वो कुछ नहीं कर पाते क्योकि कोई भी विधार्थी यदि पढ़ते वक्त अपने दिमाग में कोई और बात लाने का प्रयास करेगा तो जिस विषय को वो याद करने या समझने का प्रयास कर रहा वो उसे कभी ना तो याद हो सकता है और ना ही कभी वो विषय समझ में आ सकता है।हमेशा याद रखना आसपास का माहौल सही नहीं होता उसे सही बनाना पड़ता है अपनी सोच अपनी समझ और अपनी सूझ बुझ से। भीड़ में भी चल कर जो अपना अलग रास्ता बनाता है वहीं एक दिन सफलता की शिखर तक पहुँचता है। 


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